भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संसद के समक्ष अभिभाषण
माननीय सदस्यगण,
1. संसद के इस समवेत सत्र को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। कुछ ही महीने पहले देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करके आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। आज़ादी के इस अमृतकाल में हजारों वर्षों के गौरवशाली अतीत का गर्व जुड़ा है, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणाएं जुड़ी हैं और भारत के स्वर्णिम भविष्य के संकल्प जुड़े हैं।


