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भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में समापन संबोधन

मुझे, 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में शामिल होकर और समापन अवसर पर आपसे बातचीत करते हुए प्रसन्नता हो रही है। मुझे आप सभी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर बहुत प्रसन्नता हो रही है, इसलिए भी कि यह सम्मेलन चार वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है। मैं इस अवसर पर आप सभी को एक खुशहाल और सफल नव वर्ष की शुभकामनाएं देती हूं।

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का डिजिटल इंडिया अवार्ड्स 2022 में संबोधन

डिजिटल इंडिया अवार्ड्स के सातवें संस्करण में आपको संबोधित करते हुए मुझे खुशी हो रही है, यह सभी स्तरों पर अभिनव डिजिटल पहलों को प्रोत्साहित करने और सम्मानित करने का एक अवसर है।

डिजिटल इंडिया अवार्ड्स 2022 न केवल सरकारी संस्थाओं बल्कि स्टार्टअप्स को भी डिजिटल इंडिया के विजन को हासिल करने के लिए मान्यता देता, प्रेरित और उत्साहित करता है। ये अवार्ड्स भारत को इस प्रकार डिजिटल रूप से सशक्त समाज बनाने की दिशा में एक कदम है, जहां डिजिटल गवर्नेंस के प्रभावी उपयोग से लोगों की क्षमता को प्रकट किया जाता है।

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का सैन्य अभियंता सेवाओं के प्रोबेशनर्स द्वारा भेंट के अवसर पर संबोधन

सैन्य अभियंता सेवाओं के प्रिय प्रोबेशनर्स,

मैं, आप सभी को इन प्रतिष्ठित सेवाओं में आपके चयन के लिए बधाई देती हूं, इसमें आपको हमारे सशस्त्र बलों की सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा। मुझे बताया गया है कि आज यहां मौजूद अधिकारियों में एमईएस के भारतीय रक्षा सेवा के इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट कैडर और सर्वेयर कैडर के अधिकारी हैं।


आप ऐसे समय में सेवाओं में शामिल हुए हैं जब भारत ने अभी-अभी अमृत काल में प्रवेश किया है और G20 की अध्यक्षता भी ग्रहण की है। यह वह समय है जब दुनिया नए नवाचारों और समाधानों के लिए भारत की ओर देख रही है।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का जी नारायणम्मा महिला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान में संबोधन

मुझे आज जी. नारायणम्मा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस फॉर वूमेन का दौरा करके खुशी हो रही है। मैं इस वर्ष संस्थान की रजत जयंती के अवसर पर संस्थान के सभी हितधारकों को बधाई देती हूं। आज यहां बड़ी संख्या में युवा और उत्साही महिला इंजीनियरों को देखकर बहुत खुशी हो रही है।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी में संबोधन

आप जैसे तीव्र बुद्धिऔर उत्साही युवाओंके बीच आज यहां आना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। मैं, केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी की rich history और noble mission को स्वीकार करते हुए अपनी बात शुरू करना चाहती हूं। वर्ष 1940 में श्री विनायक राव विद्यालंकार द्वारा अपने पिता, न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर के सम्मान में स्थापित की गई यह संस्था अपने आदर्श वाक्य ‘विद्ययाऽमृतमश्नुते’ को सार्थक कररही है, जिसका अर्थ है कि ज्ञान, immortal wisdom तक ले जाता है। यह, न केवल पारंपरिक ज्ञान प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि छात्रों को बढ़िया चरित्र वाले अच्छे नागरिकों के रूप में तैयार करने की भी प्रतिब

भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रोबेशनर्स से मुलाकात के अवसर पर सम्बोधन

सर्वप्रथम, मैं आप सभी को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित परीक्षा में आपकी सफलता के लिए बधाई देती हूं। आप सभी ने लोक सेवा को अपने करियर के रूप में चुना है। आपको, अपने क्षेत्राधिकार में नेतृत्व की भूमिका निभाकर बदलाव लाने का अवसर मिला है।

प्रिय अधिकारियों

भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय रेल के प्रोबेशनरी अधिकारियों द्वारा मुलाकात के अवसर पर सम्बोधन

अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर करियर शुरू करने के लिए मैं आप सभी को बधाई देती हूँ। आप सभी ने इस पद पर पहुंचने के लिए बहुत समय समर्पित किया है और कड़ी मेहनत की है। आपने, सेवा के लिए भारतीय रेल कोचुना है, इसके लिए मैं आपकी सराहना करती हूँ। आप ऐसे समय में सेवा में शामिल हो रहे हैं जब भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है और आपके लिए देश के बहुमुखी विकास में निर्णायक भूमिका निभाने का उपयुक्त समय है।

प्रिय अधिकारियों

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह के अवसर पर संबोधन

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह के अवसर पर संबोधन

मुझे, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह में भाग लेकर प्रसन्नता हो रही है। यह दिन संपूर्ण मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि वर्ष 1948 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अंगीकार किया था, जिसे यूडीएचआर के नाम से भी जाना जाता है।

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