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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी में संबोधन

आप जैसे तीव्र बुद्धिऔर उत्साही युवाओंके बीच आज यहां आना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। मैं, केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी की rich history और noble mission को स्वीकार करते हुए अपनी बात शुरू करना चाहती हूं। वर्ष 1940 में श्री विनायक राव विद्यालंकार द्वारा अपने पिता, न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर के सम्मान में स्थापित की गई यह संस्था अपने आदर्श वाक्य ‘विद्ययाऽमृतमश्नुते’ को सार्थक कररही है, जिसका अर्थ है कि ज्ञान, immortal wisdom तक ले जाता है। यह, न केवल पारंपरिक ज्ञान प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि छात्रों को बढ़िया चरित्र वाले अच्छे नागरिकों के रूप में तैयार करने की भी प्रतिब

भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रोबेशनर्स से मुलाकात के अवसर पर सम्बोधन

सर्वप्रथम, मैं आप सभी को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित परीक्षा में आपकी सफलता के लिए बधाई देती हूं। आप सभी ने लोक सेवा को अपने करियर के रूप में चुना है। आपको, अपने क्षेत्राधिकार में नेतृत्व की भूमिका निभाकर बदलाव लाने का अवसर मिला है।

प्रिय अधिकारियों

भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय रेल के प्रोबेशनरी अधिकारियों द्वारा मुलाकात के अवसर पर सम्बोधन

अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर करियर शुरू करने के लिए मैं आप सभी को बधाई देती हूँ। आप सभी ने इस पद पर पहुंचने के लिए बहुत समय समर्पित किया है और कड़ी मेहनत की है। आपने, सेवा के लिए भारतीय रेल कोचुना है, इसके लिए मैं आपकी सराहना करती हूँ। आप ऐसे समय में सेवा में शामिल हो रहे हैं जब भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है और आपके लिए देश के बहुमुखी विकास में निर्णायक भूमिका निभाने का उपयुक्त समय है।

प्रिय अधिकारियों

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह के अवसर पर संबोधन

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह के अवसर पर संबोधन

मुझे, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस समारोह में भाग लेकर प्रसन्नता हो रही है। यह दिन संपूर्ण मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि वर्ष 1948 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अंगीकार किया था, जिसे यूडीएचआर के नाम से भी जाना जाता है।

भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय डाक सेवा, भारतीय रेल लेखा सेवा और भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों और भारतीय रेडियो नियामक सेवा के अधिकारियों से मुलाक़ात के अवसर पर भारत की राष्ट्रपति, माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन

मुझे भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय डाक सेवा, भारतीय रेल लेखा सेवा और भारतीय रेडियो नियामक सेवा के युवा अधिकारियों और प्रशिक्षु अधिकारियों से मुलाक़ात करके खुशी हो रही है।

सबसे पहले मैं आप सभी को यूपीएससी द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाएँ उत्तीर्ण करने और अपने प्रशिक्षण का एक बड़ा हिस्सा पूरा करने के लिए बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि आप में से कुछ की पहले ही अधिकारियों के रूप में तैनाती हो चुकी है। मुझे यह भी बताया गया है कि भूटान रॉयल सेवा के दो प्रशिक्षु अधिकारी भी आज यहां मौजूद हैं। मैं दोनों अधिकारियों का स्वागत करती हूं।

भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय नौसेना द्वारा ऑपरेशनल प्रदर्शन और रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय की विभिन्न परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन/शिलान्यास करने के अवसर पर संबोधन

सबसे पहले मैं आप सभी को नौसेना दिवस की बधाई देती हूं। आज, मुझे पूर्वी तट के jewel विशाखापत्तनम में नौसेना दिवस समारोह में भाग लेकर प्रसन्नता हो रही है। विशाखापत्तनम का समृद्ध इतिहास है, तथा पूर्वी नौसेना कमान का मुख्यालय और एक औद्योगिक व बंदरगाह शहर होने के नाते, यह भारत के सुरक्षित भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है।

भारत की राष्ट्रपति माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समापन समारोह में सम्बोधन

मुझे आज संविधान दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर यहां आकर प्रसन्नता हो रही है। 73 साल पहले इसी दिन संविधान सभा ने हम सबके भविष्य के लिए इस दस्तावेज को अंगीकार किया था। आज हम उस संविधान को अंगीकार करने को स्मरण कर रहे हैं जिसने न केवल दशकों से हमारे गणतंत्र की यात्रा का मार्गदर्शन किया है, बल्कि कई अन्य देशों को भी अपने संविधान तैयार करने के लिए प्रेरित किया है।

भारत की राष्ट्रपति, माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मिजोरम विधानसभा में सम्बोधन

मुझे आज यहां "मिज़ो भूमि" में आपके बीच आकर खुशी हो रही है। मिज़ोरम राज्य और इसकी अद्भुत जनताको प्रकृति माँ का आशीर्वाद प्राप्त है । राष्ट्रपति के रूप में पहली बार मिज़ोरम का दौरा करना मेरे लिए खुशी की बात है, और मैं, मेरे गर्म जोशी से स्वागत करने के आपका धन्यवाद करती हूँ।

जैसा कि हम कहते हैं, भारत विविधता का देश है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्य इस विविधता और समृद्ध करते हैं। आप उन लोगों में से हैं जिन्हें उगते सूरज के सबसे पहले दर्शन होते हैं और इस तरह से आपबाकी भारतीयों से आगे हैं।

मित्रों,

भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मिजोरम विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह और विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के अवसर पर सम्बोधन

आइजोल में आज मिजोरम विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। आइजोल मिजोरम का सबसे बड़ा शहर और मिजोरम की राजधानी है। यह खूबसूरत शहर एक रिज पर स्थित है, जिसके पश्चिम से तल्वांग नदी घाटी और पूर्व में तुइरियाल नदी घाटी दिखती है। यहां विभिन्न मिजो समुदाय के लोग शांतिपूर्वक एक साथ रहते हैं। यह जीवंत और हलचल भरा आकर्षक शहर है और यह वर्णन से परे है।

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