भारतीय दण्ड संहिता 1860 की155वीं वर्षगांठ के समापन समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
1. भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की 155वीं वर्षगांठ के समापन समारोह में भाग लेने पर मैं प्रसन्न हूं। सर्वप्रथम,मैं अभियोग निदेशालय, केरल को बधाई देता हूं जिसके तत्वावधान में यह समारोह मनाया जा रहा है।

1. मुझे पर्यटन मंत्रालय,भारत सरकार के सहयोग से केरल सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही मुजिरिस धरोहर परियोजना का उद्घाटन करने के लिए आज कोडुंगलूर के इस ऐतिहासिक शहर में आकर प्रसन्नता हो रही है।
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सर्वप्रथम, मैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हमारे देश और विश्व की महिलाओं को अपनी हार्दिक बधाई देता हूं।
1. मैं आप सभी का ऐतिहासिक राष्ट्रपति भवन में स्वागत करता हूं। आपने अभी-अभी एक नये कैरियर में प्रवेश किया है जिसमें आपको छोटी उम्र में अपरिमित उत्तरदायित्वों को निभाने का अवसर मिलेगा। आप लोकसेवाओं के द्वारा देश और जनता की सेवा कर सकेंगे।
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1. मैं नवान्वेषण उत्सव 2016के प्रतिनिधियों और समावेशी नवान्वेषण पर वैश्विक गोलमेज में आपका हार्दिक स्वागत करता हूं। मैं यह देखकर खुश हूं कि गोलमेज ने एक बार फिर पूरे विश्व और भारत के विद्वानों,पेशेवरों और विचारकों के एक प्रभावी समूह को आकर्षित किया है।
1. मुझे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अध्यर्धशतवर्षीय समारोह के उद्घाटन के लिए न्यायाधीशों,विधिवेत्ताओं, बार के सदस्यों तथा अन्य गणमान्यों के इस विशिष्ट बैठक में शामिल होने पर प्रसन्नता हुई है।
शुभ संध्या और राष्ट्रपति भवन में हार्दिक स्वागत!