फिनलैंड की संसद को भारत के माननीय राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का संबोधन
फिनलैंड की संसद के महामहिम अध्यक्ष श्री एरो हैनालुओमा,
माननीय उपाध्यक्ष श्री पेक्का रवि और श्री एन्सी जाउसेनलाती,
फिनलैंड की संसद के माननीय सदस्यगण,
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
मैं, मेरे स्वागत के सम्मानपूर्ण शब्दों के लिए आपका धन्यवाद करता हूं।

मुझे, महान श्रीलंकाई बौद्ध पुनर्जागरणवादी और लेखक अंगारिका धर्मपाल के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए स्मारक डाक टिकट जारी करने के लिए आज यहां उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हुई है।
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1.सबसे पहले मैं, इस सम्मेलन से मुझे जोड़ने के लिए नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षा तथा उनके कार्यालय को हार्दिक धन्यवाद देना चाहूंगा। मुझे 27वें महालेखापरीक्षा सम्मेलन में उपस्थित होकर खुशी हो रही है। मैं आरंभ में ही भारत की लेखापरीक्षा संस्थान को बधाई देता हूं जिसका 150 से ज्यादा लंबा इतिहास है।
महामहिम,ल्योन्छेन सेरिंग तोबगे, भूटान के प्रधानमंत्री,
प्रख्यात हिंदी कवि डॉ. केदारनाथ सिंह को भारतीय साहित्य में असाधारण योगदान के लिए 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किए जाने के शुभ अवसर पर आज आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए प्रसन्नता की बात है। मैं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने के लिए उन्हें बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि वह आने वाले वर्षों में हिंदी साहित्य को समृद्ध करते रहेंगे।
1.सबसे पहले, मैं राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के54वें एनडीसी पाठ्यक्रम, जिसमें सिविल सेवाओं,सशस्त्र सेनाओं के अधिकारी तथा विदेशी मित्र देशों के अधिकारी शामिल हैं,में भाग ले रहे प्रतिभागियों के साथ अपने कुछ विचार बांटने का अवसर देने के लिए राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के प्रति गहरा आभार प्रकट करता हूं। मैं राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में आप सभी का स्वागत करता हूं।
मुझे इस संध्या 20वें न्यायमूर्ति सुनंदा भण्डारे स्मृति व्याख्यान देने के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। स्वर्गीय न्यायमूर्ति भण्डारे महिला अधिकारों की संरक्षक थीं। उन्होंने अपने पेशे और पिछड़ों के प्रति चिंता के संबंध में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया। 52 वर्ष की आयु में उनकी असमय मृत्यु से एक महान और समृद्ध जीवनवृत्त का दुखद अंत हो गया।