भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा सीनेट के अध्यक्ष और बेल्जियम संसद की प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष द्वारा आयोजित मध्याह्न भोज के अवसर पर समापन अभिभाषण
महामहिमगण, विशिष्ट अतिथिगण,
आरंभ में मुझे और मेरे शिष्टमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य के लिए, मैं अपना गहरा आभार प्रकट करता हूं। बेल्जियम संसद में उपस्थित विशिष्ट सभा को संबोधित करना एक विशेष सम्मान और गौरव की बात है। अपनी स्थापना के 180 से अधिक वर्षों के दौरान इस संसद ने बेल्जियम के लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

इस्तांबुल विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफेसर डॉ. युनुस सोयलेट,
महामहिम,
मुझे आज की सुबह आप लोगों के बीच उपस्थित होकर द्वितीय भारत जल फौरम के उद्घाटन सत्र में भाग लेने पर बहुत प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले मैं, सही मायने में वैश्विक प्रासंगिकता वाले इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए ऊर्जा तथा 
मुझे हमारे देश के प्रमुख पुलिस प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय पुलिस सेवा के परिवीक्षाधीनों की दीक्षांत परेड का अवलोकन करके अपार प्रसन्नता हो रही है।
मैं, पहली बार राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के इस सम्मेलन में आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं।
मुझे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के 44वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपसे मिलकर प्रसन्नता हुई। इस मनोरम परिसर में आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।