भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन।
भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आकर मुझे खुशी हो रही है। मैं, आज डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देती हूं।
भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आकर मुझे खुशी हो रही है। मैं, आज डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देती हूं।
मुझे आईआईएम बैंगलोर जैसे प्रमुख संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर उपस्थित होकर वास्तव में खुशी हो रही है।
आप सब का राष्ट्रपति भवन में स्वागत है। आप सब का एक स्थान पर, एक भावना के साथ एकत्रित होना सर्व-धर्म समभाव के लिए महत्वपूर्ण है। इस आयोजन के लिए मैं ब्रह्मा कुमारी संस्थान की सराहना करती हूं।
आज उपाधियां प्राप्त करने वाले दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूं। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की मैं विशेष सराहना करती हूं।
मुझे यह बताया गया है कि विद्यार्थियों को दिए जाने वाले पदकों की कुल संख्या 103 है। इन पदकों में 66 पदक हमारी बेटियों ने हासिल किए हैं। मैं पदक विजेता छात्राओं को विशेष बधाई देती हूं।
प्रायः सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं द्वारा श्रेष्ठ प्रदर्शन किया जा रहा है। यह एक बहुत ही सुखद बदलाव है। यह एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में भारत की प्रगति का द्योतक भी है।
आज इस दीक्षांत समारोह में आप सब के बीच आकर मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। सबसे पहले सभी स्वर्ण पदक विजेताओं और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देती हूँ। आज का दिन आप सब के लिए बहुत खुशी का दिन है। आज आप सब को वर्षों के परिश्रम का फल मिला है। मैं आपके अभिभावकों और माता-पिता को भी बधाई और शुभकामनाएं देती हूँ।
पूर्वी चंपारन में स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर यहां आप सब के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
आज बिहार के चतुर्थ कृषि रोड मैप के शुभारंभ के अवसर पर आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति के रूप में भले ही यह राज्य की मेरी पहली यात्रा है, मैं बिहार के लोगों और यहां की संस्कृति से भली-भांति परिचित हूं। पड़ोसी राज्य झारखंड के राज्यपाल पद के दायित्वों का करीब छह वर्षों तक निर्वहन करते हुए मैंने बिहार की संस्कृति और जीवन-शैली को करीब से जाना और महसूस किया है। मेरा गृह राज्य ओडिशा भी ऐतिहासिक रूप से बिहार से जुड़ा हुआ है। इसलिए मुझे लगता है कि मैं भी अपने-आप को बिहारी कह सकती हूं।
मैं आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी विजेताओं को बधाई देती हूं। आप सब पुरस्कार विजेताओं के उन सहयोगियों की भी मैं सराहना करती हूं जिनका योगदान आपकी उपलब्धि में सहायक रहा है।
माता वैष्णो देवी और हजरतबल की रहमत से महफूज तथा लल्लेश्वरी लल द्येद और नुन्द ऋषि शेख नूरूद्दीन की दुआओं से भरी-पूरी जम्मू-कश्मीर की सरजमीन को मैं सलाम करती हूँ।