भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का India Smart Cities Conclave 2023 में सम्बोधन (HINDI)

‘India Smart Cities Conclave 2023’ में आप सब के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं आज के सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देती हूँ।

‘India Smart Cities Conclave 2023’ में आप सब के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं आज के सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देती हूँ।

आज, हुबली-धारवाड़ twin citiesमेंआप सबके बीचआकरमुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
ये दोनों शहर,कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे भारत के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा हैं और भारत के सांस्कृतिक मानचित्र पर इनकी उपस्थिति उल्लेखनीय रही है। ऐसे महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक नगर का निवासी होने के लिए मैं आप सबको बधाई देती हूं।
देवी चामुंडेश्वरीगे, नन्ना, मनपूर्वक, नमस्कारगलू!
येल्ला सहोदरा, सहोदरीयरिगे, नन्ना, हृदयपूर्वक, नमस्कारगलू!
मैं, देवी चामुंडेश्वरी को, श्रद्धापूर्वक नमन करती हूं:
जय त्वं देवि चामुण्डे, जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि, कालरात्रि नमोSस्तुते॥
तायी भुवनेश्वरीया मक्कलाद, समस्त कन्नडिगरिगे, नन्ना, हृदयपूर्वक नमस्कारगलू!
भारत के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद, स्वदेश में अपनी पहली यात्रा पर मैं कर्नाटक के आप सभी भाई-बहनों के बीच आई हूं। कल मुझे मैसुरु में देवी चामुंडेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला। मेरी यह यात्रा माता चामुंडेश्वरी की कृपा से तथा कर्नाटकवासी भाई-बहनों के स्नेह के कारण संभव हुई है। अपनी इस यात्रा के लिए तथा आज के इस अभिनंदन के लिए राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत जी, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई जी तथा कर्नाटक के सभी भाई-बहनों को मैं धन्यवाद देती हूं।
नमस्कार!
जय जय गरवी गुजरात!
हूं, गुजरात मा आवीने बहु खुश छूं!
आप सबको तथा गुजरात के लगभग 6.5 करोड़ निवासियों को मैं नवरात्रि की हार्दिक बधाई देती हूं।
कुरुक्षेत्र में, अत्यंत पावन ब्रह्म-सरोवर के तट पर आयोजित, इस अंतरराष्ट्रीय गीता जयन्ती महोत्सव में शामिल होकर मुझे आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है। यह लोक-मान्यता मुझे रोमांचित करती है कि इसी क्षेत्र में, सरस्वती नदी के तट पर, वेदों और पुराणों को लिपिबद्ध किया गया था। इसे मैं भगवान श्री कृष्ण का वरदान मानती हूं कि राष्ट्रपति के रूप में, हरियाणा की अपनी पहली यात्रा को, मुझे इस धर्म-क्षेत्र से आरंभ करने का अवसर प्राप्त हुआ है। महाभारत के वन-पर्व में इस क्षेत्र की तुलना स्वर्ग से की गई है:
ये वसन्ति कुरुक्षेत्रे ते वसन्ति त्रिविष्टपे
पिछले वर्ष सितम्बर में मेरा यहां आने का कार्यक्रम था लेकिन अपरिहार्य कारणवश उस समय मैं आप सब के बीच उपस्थित नहीं हो सकी। इसलिए आज आप सब के बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।