दिल्ली विश्वविद्यालय के 90वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

दिल्ली विश्वविद्यालय के 90वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए गौरवपूर्ण है। मैं, इस दीक्षांत समारोह मंा आकर सम्मानित अनुभव कर रहा हूं क्योंकि पूर्व में पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. एस. राधाकृष्णन जैसे भारत के कुछ महानतम नेता इसमें मुख्य अतिथि रह चुके हैं।




मैं, सबसे पहले भारतीय नौसेना और महादेई के कप्तान को, अकेले, बिना रुके, बाहरी सहायता रहित, पूरे विश्व की नौ परिक्रमा, सागर परिक्रमा-II के सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर बधाई देता हूं। विश्व के कुछ सबसे जोखिम भरे महासागरों में अकेले, बिना सहायता के समुद्र में निरंतर 150 दिन से अधिक लम्बी समुद्री यात्रा करना एक असाधारण कार्य है। पहली बार एक भारतीय समुद्री यात्री की यह 


