भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में 97वें फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधन (HINDI)

मसूरी : 09.12.2022
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में 97वें फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधन

भारत की सिविल सेवाओं के शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में आप सभी युवा अधिकारियों से मिलना और आपको संबोधित करना, मेरे लिए एक सुखद अनुभव है। अकादमी में अपना प्रशिक्षण सफलता-पूर्वक पूरा करने के लिए, आप सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं। मैं यहां प्रशिक्षण ले रहे Royal Bhutan Civil Services के अधिकारियों को भी हार्दिक बधाई देती हूं।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के सभी वर्तमान और पूर्व अधिकारियों की मैं प्रशंसा करती हूं जिन्होंने बड़े ही लगन और मेहनत से हमारे देश के चुने हुए brilliant minds को able civil servant के रूप में ढाला है।

आज इस सभागार में आने से पहले मुझे यहां पर एक नए हॉस्टल ब्लॉक और मेस, अरेना पोलो फील्ड और अन्य कई सुविधाओं का उद्घाटन करने का अवसर मिला। मुझे विश्वास है कि इन नयी सुविधाओं से प्रशिक्षु अधिकारियों को और अधिक सहूलियत होगी। यह बहुत ही खुशी की बात है कि आज से "Parvatmala Himalayan & North East Outdoor Learning Arena” का निर्माण कार्य शुरू हो रहा है जो civil servants और प्रशिक्षुओं के लिए हिमालय और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में एक ज्ञान कोश का काम करेगी।

प्रिय प्रशिक्षु अधिकारी-गण,

आज जब मैं आपको संबोधित कर रही हूं तो मेरी स्मृति में सरदार वल्लभभाई पटेल के शब्द गूंज रहे हैं। अप्रैल 1947 में, सरदार पटेल IAS के प्रशिक्षु बैच से मिल रहे थे। देश अभी आज़ाद नहीं हुआ था, लेकिन इस बैच का भारतीयकरण हो चुका था। उस वक्त उन्होंने कहा था and I quote "We must expect and we have a right to expect the best out of every civil servant in whatever position of responsibility he or she may be” un-quote. आज हम गर्व से कह सकते हैं कि civil services के लोग इन अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं। आप लोग मेधावी भी हैं और मेहनती भी। आप सब किसी भी आकर्षक career में जा सकते थे पर आपने civil services के माध्यम से देश-सेवा का मार्ग चुना।

आप देश के भिन्न-भिन्न प्रान्तों से आए हैं। आज आप से मिल कर मुझे भारत की विविधता में एकता का प्रत्यक्ष अनुभव हो रहा है। आपके foundation course का मूल मंत्र है "मैं नहीं हम”। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सामूहिक भावना से देश को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी निभाएंगे। आप में से कई अधिकारी, आने वाले 10-15 वर्षों तक देश के एक बड़े भाग का प्रशासन चलाएँगे, आम जनता से जुड़े रहेंगे। आपके सपनों का भारत कैसा हो, इसको आप मूर्त रूप दे सकते हैं।

विभिन्न services के आप सभी 455 प्रशिक्षु अधिकारियों ने इस अकादमी का motto देखा ही होगा। ‘शीलं परम भूषणम्’ अर्थात ‘character is the highest virtue’। आपके प्रशिक्षण की पद्धति कर्मयोग के सिद्धान्त पर आधारित है, जिसमें character की बड़ी महत्ता है। हमारे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए संविधान के प्रति सम्मान और निष्ठा का भाव रखने को कहा था। मैं भी इस बात को दोहराना चाहती हूं। आपको समाज के वंचित वर्ग के लोगों के लिए संवेदनशीलता रखनी है। Anonymity, Ability और Austerity ही एक civil servant के आभूषण हैं। यही गुण आपको पूरी सेवा अवधि में आत्मबल देंगे।

आप अपने प्रशिक्षण के दौरान जिन मूल्योंक से अवगत हुए हैं, वे मूल्य सिर्फ सैद्धांतिक दायरे तक ही सीमित नहीं रहने चाहिए। देश की जनता के लिए काम करते समय, आपके सामने अनेक चुनौतियां और कठिनाइयां पेश आयेंगी। उन परिस्थितियों में आपको इन मूल्योंप का अनुसरण करते हुए, पूरे आत्मपविश्वा स के साथ काम करना होगा। भारत को उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर करना, देशवासियों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करना, आप सबकी संवैधानिक जिम्मेदारी भी है और नैतिक उत्तरदायित्व भी।

समाज के हित का कोई भी कार्य तभी कुशलतापूर्वक संपन्नी हो सकता है, जब सभी भागीदारों को साथ लेकर चला जाए। समाज के सभी वर्गों और समुदायों की भागीदारी से किया गया कार्य, प्रत्येोक दृष्टिकोण से उत्कृतष्टो होता है। इसलिए, मेरा यह मानना है कि जब आप समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय लेंगे, तो आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होंगे।

मुझे बताया गया है कि आपलोगों ने अपने प्रशिक्षण के दौरान ‘आजादी से अंत्योदय तक’ अभियान के तहत पूरे देश के 75 गांवों में समय बिताया। साथ ही, आपने उन गांवों में अमृत-सरोवरों का निर्माण भी किया। ये सभी गांव ऐसे स्वतन्त्रता सेनानियों के गांव हैं, जिन्होंने किसी नाम और ख्याति की इच्छा किए बिना, देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी। आपको उन महान आत्माओं से प्रेरणा लेते हुए एक आम आदमी बन कर देश की सेवा करनी है। आपने गांवों में प्रवास के दौरान सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को नजदीक से देखा। वहां के लोगों की बुनियादी जरूरतों, उनकी समस्याओं, उनकी आशाओं-आकांक्षाओं को जानने-समझने का मौका भी आप सब को मिला। मुझे विश्वास है कि आप इस व्यापक अनुभव को केवल प्रशिक्षण तक ही सीमित नहीं रखेंगे। बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येीक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने का दायित्व आप सदैव निभाएंगे।

आज जनता जागरूक है और good governance समय की मांग है। good governance का अभाव हमारी अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है। लोगों की समस्याओं को समझने के लिए आम लोगों से जुड़ना जरूरी है। लोगों से जुड़ने के लिए आपको विनम्र बनना पड़ेगा, तभी आप उनके साथ संवाद स्थाापित कर सकेंगे, उनकी जरूरतों को समझ सकेंगे और उनकी भलाई के लिए काम कर सकेंगे।

मुझे यह देखकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि प्रशिक्षु अधिकारियों के इस बैच में 133 बेटियाँ हैं। हमारे देश के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं और पुरुषों दोनों का योगदान महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं आप सब से, विशेषकर बेटियों से अपील करूंगी, कि आप अपनी सेवा के दौरान जहां भी रहें लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। जब हमारी बेटियाँ विभिन्न क्षेत्रों में आगे आएंगी तो हमारा देश और समाज सशक्त बनेगा।

प्रिय प्रशिक्षु अधिकारी-गण,

मैं आज आपसे वर्तमान समय के एक ज्वलंत मुद्दे पर बात करना चाहूंगी। आप सब जानते है कि पूरी दुनिया global warming और climate change की समस्याओं से जूझ रही है। इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। आप सब से मेरी अपील है कि भारत सरकार पर्यावरण संरक्षण से जुड़े जो भी कदम उठा रही है, उसको पूरी तरह से लागू करें, जिससे हमारा आने वाला कल सुरक्षित हो सके।

मुझे विश्वास है कि यहां प्रशिक्षण के दौरान आप लोगों ने अकादमी गीत की भावनाओं को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया होगा और यह गीत आपके लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। मेरा मानना है कि आप ‘रहो धर्म में धीर, रहो कर्म में वीर। रखो उन्नत शिर – डरो ना’ की भावना के साथ ‘मसूरी वाले कर्मयोगी’ के रूप में देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने के लिए पूरी तरह से तैयार और समर्थ हैं। आपकी इस यात्रा में, मेरी शुभकामनाएं आप सभी के साथ हैं।

प्रिय प्रशिक्षु अधिकारी-गण,

आप आजादी के अमृत काल में civil services में प्रवेश कर रहे हैं। अगले 25 वर्षों में आप लोग देश के सर्वांगीण विकास के लिए नीति-निर्माण और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आज मैंने इस अकादमी में ‘Walk Way of Service’ का उद्घाटन किया - जहां प्रत्येक वर्ष, प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा निर्धारित किए गए उनके राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को time capsules में रखा जाएगा। मुझे बताया गया है कि इन time capsules को वर्ष 2047 में उन अधिकारियों द्वारा स्वयं खोला जाएगा, जिन्होंने अपने राष्ट्र-निर्माण के लक्ष्यों को कैप्सूल में रखा है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों ने, इस time capsule में, हमारे देश को, इसके आजादी के शताब्दी वर्ष तक, आधुनिक, आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा होगा। मेरी आपसे अपील है कि आप स्वयं निर्धारित किए गए अपने लक्ष्यों को सदा याद रखें, और उनको पूरा करने में निष्ठापूर्वक जुटे रहें, ताकि जब आप वर्ष 2047 में time capsule को खोलें तो आपको अपने लक्ष्य को पूरा करने का गर्व हो, संतुष्टि हो।

धन्यवाद!  
जय हिन्द! 

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