भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में संबोधन (HINDI)

धर्मशाला : 06.05.2024
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में संबोधन (HINDI)

आज हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूँ। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं विशेष बधाई देती हूँ। मुझे बताया गया है कि आज स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों में, छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। यह बहुत ही हर्ष का विषय है। मैं आप सभी बेटियों की विशेष सराहना करती हूँ। आपने अपनी संकल्प-शक्ति के बल पर अनेक बाधाओं को पार किया है और अपनी असाधारण क्षमता का परिचय दिया है। 

मैं विद्यार्थियों के अभिभावकों और प्राध्यापकों को भी बधाई देती हूँ। आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की वजह से ही ये सभी विद्यार्थी आज यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं। मैं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ला जी को भी हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किए जाने पर बधाई देती हूं।

प्यारे विद्यार्थियो, 

कवि शिरोमणि रवीन्द्रनाथ टैगोर जितने महान कवि और संगीतकार थे, उतने ही महान शिक्षाविद एवं शिक्षक भी थे। इसलिए उन्हें गुरुदेव भी कहा जाता है। उनका मानना ​​था कि प्रकृति विद्यार्थियों की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। हिमाचल प्रदेश की धरती अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती है। मैं जब भी हिमाचल प्रदेश आती हूँ, यहाँ के वातावरण में मेरा हृदय सुखद अनुभूति से भर जाता है। ऐसे सुंदर प्रदेश में संचालित इस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए सौभाग्य की बात है। 

मुझे विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त शिक्षा ने आप सब को जीवन की चुनौतियों के समाधान ढूँढने के लिए मजबूत आधारशिला प्रदान की है।

देवियो और सज्जनो,

मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी ने वर्ष 2022 में इस विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया था। उन्होंने अपने सम्बोधन में इस संस्थान की Alumni Association को सक्रिय करने का सुझाव दिया था। मुझे बताया गया है कि आज Alumni Association सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। युवा विद्यार्थियों को विकास के अवसर प्रदान करने की दिशा में यह एक सराहनीय प्रयास है, जिसके लिए मैं विश्वविद्यालय एवं पूर्व विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ।

प्यारे विद्यार्थियो, 

प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों की संभावनाएं होती हैं। मैं चाहती हूं कि आप सभी विद्यार्थी कितनी भी मुश्किल परिस्थिति में हों, बुराई को कभी भी हावी न होने दें। बुराई का मार्ग कितना भी सुगम क्यों न हो, हमेशा अच्छाई का ही पक्ष लें। करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को अपने जीवन का आदर्श बनाएं। इन मूल्यों पर आधारित आपका जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होगा।

देवियो और सज्जनो, 

परिवर्तन, प्रकृति का नियम है। अतीत में परिवर्तन की गति इतनी तीव्र नहीं थी। आज हम 4th Industrial Revolution के दौर में हैं। Artificial Intelligence, Machine Learning जैसे नए क्षेत्र तेजी से उभर रहे हैं। परिवर्तन की speed एवं magnitude दोनों आज बहुत ज्यादा हैं। जिसकी वजह से technology एवं required skills में बहुत तेजी से बदलाव आ रहे हैं।

इक्कीसवीं सदी के आरंभ में कोई नहीं जानता था कि तब से 20 या 25 साल बाद लोगों को किस तरह के कौशल की आवश्यकता होगी। बहुत सारे वर्तमान skills आने वाले समय में उपयोगी नहीं रहेंगे। हमें निरंतर नए skills अपनाने होंगे।

इसलिए हमारा ध्येय Flexible Minds विकसित करने पर होना चाहिए। जिससे हमारी युवा पीढ़ी तेजी से हो रहे बदलावों के साथ सामंजस्य बना के रख सके। हमें विद्यार्थियों में जिज्ञासा और सीखने की ललक को प्रबल करना है जिससे वे 21वीं सदी की जरूरतों और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हों।

हमारा ध्यान “क्या सीखना है” के साथ-साथ “कैसे सीखना है” पर भी होना चाहिए। हमारे देश में Open Book परीक्षा प्रणाली पर कार्य किया जा रहा है। रटने अथवा rote learning की खामियों को दूर करने की दिशा में यह एक सराहनीय प्रयास है। जब विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से बिना किसी तनाव के सीखते हैं तब उनकी रचनात्मकता और कल्पना को उड़ान मिलती है। फिर वे शिक्षा को सिर्फ जीवन-यापन का पर्याय नहीं मानते हैं। बल्कि वे नवाचार करते हैं, समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं, और उत्सुकता के साथ सीखते हैं।

उपस्थित शिक्षक-गण, 

शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को शिक्षित करने के साथ-साथ उनको आत्मनिर्भर बनाये, उनके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करे। चरित्र से रहित ज्ञान को महात्मा गांधी ने पाप का दर्जा दिया है। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों में अपनी संस्कृति, परंपरा एवं सभ्यता के प्रति जागरूकता लाना भी है। इस दृष्टि से एक शिक्षक का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। आपका कार्यक्षेत्र सिर्फ अध्यापन तक ही सीमित नहीं है, आपके हाथों में राष्ट्र के भविष्य-निर्माण का बड़ा कर्तव्य है।

प्यारे विद्यार्थियो, 

शिक्षा, चिकित्सा, तकनीक एवं life-expectancy अब तक के अपने उच्चतम स्तर पर हैं। लेकिन अभी भी हमें बहुत से मानकों पर बहुत कुछ करना है। एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जो आने वाली पीढ़ियों के हित में हो। आपमें विकास की असीम संभावनाएं हैं। आप विकसित भारत के संकल्प को सिद्धि तक ले जाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इसलिए आपको अपना सर्वस्व देश के लिए समर्पित करना चाहिए। ऐसा करना आपका मानवीय, सामाजिक एवं नैतिक कर्तव्य होने के साथ-साथ नागरिक कर्तव्य भी है। 

देवियो और सज्जनो, 

आज हम climate change जैसी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की ecology और environment भी बहुत ही नाजुक एवं संवेदनशील हैं। इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन करते हुए आगे बढ़ना, हमारा लक्ष्य होना चाहिए।

भारत सरकार ने ‘मिशन लाइफ' (LiFE) यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली की परिकल्पना की है। आप सब भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई प्रकार से योगदान दे सकते हैं। जैसे आप संसाधनों का कम से कम उपयोग करने एवं बार-बार उनका प्रयोग करने पर आधारित जीवन-शैली को अपना सकते हैं।

प्यारे विद्यार्थियो,  

मैं कामना करती हूँ कि आपका भविष्य उज्ज्वल हो। आप अपने जीवन में उत्कृष्टता हासिल करें। इसी शुभकामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूँ। 

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत

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