भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ब्रह्माकुमारीज़ – शांति सरोवर की 21वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित ‘Timeless Wisdom of Bharat: Pathways of Peace and Progress’ सम्मेलन में सम्बोधन (HINDI)

हैदराबाद : 20.12.2025

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का  ब्रह्माकुमारीज़ – शांति सरोवर की 21वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित ‘Timeless Wisdom of Bharat: Pathways of Peace and Progress’  सम्मेलन में सम्बोधन (HINDI)

आज ब्रह्माकुमारीज़ संगठन के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। ब्रह्माकुमारीज़ शांति सरोवर की 21वीं वर्षगांठ के अवसर पर हम सब यहाँ एकत्र हुए हैं। पिछले दो दशकों में शांति सरोवर ज्ञान, शांति और प्रेरणा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।

आज के सम्मेलन का विषय है - “Timeless Wisdom of Bharat: Pathway to Peace & Progress”. यह विषय आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है। आज विश्व समुदाय में अनेक बदलाव आ रहे हैं। इन बदलावों के साथ ही अनेक गंभीर चुनौतियाँ भी हमारे सामने हैं जैसे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ, सामाजिक संघर्ष, ecological imbalance और मानवीय मूल्यों का पतन। हमें यह याद रखना है कि केवल भौतिक विकास से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति नहीं होती है। इसके लिए आंतरिक स्थिरता, भावनात्मक समझ और मूल्यों पर आधारित सोच आवश्यक है।

आज के समय में भारत की शाश्वत ज्ञान-परंपरा अत्यंत उपयोगी है। हजारों वर्षों से हमारी सभ्यता ने उन सिद्धांतों को अपनाया है जो सत्य, न्याय, करुणा, आत्म-अनुशासन और प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित हैं।

इन मूल्यों ने हमारे समाज को सही दिशा दी है और ये मूल्य वर्तमान चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं।

भारत की आध्यात्मिक विरासत, विश्व की मानसिक, नैतिक और पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान प्रदान करती है। आधुनिकता और आध्यात्मिकता का संगम हमारी सभ्यता की सबसे बड़ी शक्ति है। वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव — पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की सोच — आज वैश्विक शांति की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा ने हमें सत्य, अहिंसा और सह-अस्तित्व का संदेश दिया है। भारत ने योग की परंपरा के माध्यम से विश्व को एक ऐसी जीवन-पद्धति प्रदान की है, जो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक संतुलन और आत्मिक अनुशासन को भी सुदृढ़ करती है। भारत ने योग के माध्यम से विश्व को संदेश दिया है कि स्वस्थ शरीर और स्थिर मन होने से नागरिक राष्ट्र और समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

आज के तनावग्रस्त और तीव्र गति वाले जीवन में योग ने विश्व को तनाव कम करने तथा जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम करने का एक प्रभावी उपाय दिया है। यह अभ्यास आयु, वर्ग और संस्कृति की सीमाओं से परे जाकर मानवता को एक ही सूत्र में बांधता है। यह केवल शारीरिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं, बल्कि विचार, व्यवहार और जीवन-दृष्टि को सकारात्मक दिशा देने की एक समग्र साधना है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल ने इस प्राचीन भारतीय ज्ञान को वैश्विक मान्यता दिलाई है और भारत को शांति एवं मानव कल्याण के अग्रदूत के रूप में स्थापित किया है।

आज सरकार के लक्ष्य भी इस शाश्वत ज्ञान से गहराई से जुड़े हुए हैं। समावेशी विकास का लक्ष्य जिसमें समाज के वंचित वर्गों और हाशिये पर रह रहे लोगों का विकास शामिल है, यह लक्ष्य उपनिषदों के समावेशी विचारों के अनुरूप है। प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में आत्म-अनुशासन और कौशल विकास पर बल दिया जाता था। आज आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा से हमें स्वावलंबन की प्रेरणा मिलती है। सतत विकास, स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण के प्रयास भी प्रकृति से प्रेम और उसके साथ सह-अस्तित्व की भारतीय सोच से प्रेरित हैं।

आध्यात्मिकता सामाजिक एकता और राष्ट्रीय प्रगति में एक मजबूत आधार की तरह काम करती है। जब एक व्यक्ति अपने भीतर मानसिक स्थिरता, नैतिक मूल्यों और आत्म-नियंत्रण का विकास करता है, तो उसका व्यवहार समाज में अनुशासन, सहिष्णुता और सहयोग को बढ़ावा देता है। ऐसे व्यक्ति राष्ट्र के निर्माण में भी सक्रिय योगदान देते हैं। आध्यात्मिक चेतना से प्रेरित लोग अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में प्रयासरत रहते हैं।

दशकों से ब्रह्माकुमारीज़ संगठन वैश्विक भारतीय मूल्यों को विभिन्न देशों तक पहुँचा रहा है। यह संगठन लोगों में शांति और सकारात्मकता का विकास करके समाज की नैतिक और भावनात्मक संरचना को मजबूत बना रहा है। इस प्रकार यह संगठन राष्ट्र-निर्माण में सार्थक योगदान दे रहा है।

शांति सरोवर भी इस विश्वव्यापी संस्था का एक उत्कृष्ट केंद्र है। यह परिसर आज एक बड़ा आध्यात्मिक प्रशिक्षण केंद्र बन चुका है। पिछले 21 वर्षों में इसने मूल्य-आधारित व्यक्तित्व के निर्माण, मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और भावनात्मक क्षमता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस विशेष अवसर पर, मैं ब्रह्माकुमारीज़ संगठन की सराहना करती हूँ। आपके मूल्य, सेवा और समर्पण का भाव — भारत की श्रेष्ठतम परंपराओं को प्रतिबिंबित करते हैं। आप सब के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूँ।

धन्यवाद!
जय हिन्द!

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