भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ब्रह्म कुमारी के ‘विश्व एकता और विश्वास के लिए राजयोग ध्यान’ के वार्षिक अभियान के उद्घाटन समारोह में सम्बोधन
लखनऊ : 28.11.2025
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आज ब्रह्म कुमारी के ‘विश्व एकता और विश्वास के लिए राजयोग ध्यान’ के वार्षिक अभियान के शुभारंभ के अवसर पर आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति ने सदैव विश्व को "वसुधैव कुटुम्बकम्" का संदेश दिया है — अर्थात संपूर्ण विश्व हमारा परिवार है। आज जब विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब यह विचार और अधिक प्रासंगिक बन गया है। मुझे विश्वास है कि इस महान संकल्प को सिद्ध करने में इस अभियान का प्रभावी योगदान रहेगा। मैं इस अभियान के शुभारंभ के लिए ब्रह्मा कुमारी परिवार के सभी सदस्यों को बधाई देती हूँ।
भारत सरकार भी समाज को अधिक समावेशी, शांतिपूर्ण, स्वस्थ और मूल्य- आधारित बनाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। योग और ध्यान को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना एवं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व ऐसे ही कदम हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल्य-आधारित शिक्षा, जीवन-कौशल और भावनात्मक सुदृढ़ता का समावेश भी किया गया है। भारत सरकार ने Mission LiFE की शुरुआत की है जो पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली का अभियान है। महिला सम्मान, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेश के लिए विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। G20 समिट जो भारत ने 2023 में आयोजित किया था उसका थीम भी "One Earth, One Family, One Future" था। ये सभी पहल इसी दिशा में एक महत्त्वपूर्ण संदेश देती हैं कि मानवता का भविष्य, मानव मूल्यों, संवाद, विश्वास और आध्यात्मिक चेतना से सुरक्षित और उज्ज्वल होगा।
आधुनिक समय में विज्ञान और तकनीक के बल पर मानवता ने अभूतपूर्व प्रगति की है। आज का युग सूचना-प्रौद्योगिकी, Artificial Intelligence, digital transformation और अंतरिक्ष-अनुसंधान का युग है। इन क्रांतिकारी परिवर्तनों ने मानव जीवन को अधिक सुविधाजनक, सुगम और संसाधन- समृद्ध बनाया है। आज का मानव पहले की अपेक्षा अधिक शिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम है तथा उसके पास आगे बढ़ने के अनेक अवसर हैं। लेकिन समाज में तकनीकी उन्नति के साथ-साथ तनाव, मानसिक असुरक्षा, अविश्वास और एकाकीपन भी है।
आज आवश्यक है कि हम केवल आगे बढ़ने की ही नहीं, बल्कि स्वयं के भीतर झांकने की यात्रा भी प्रारंभ करें। हर मनुष्य चाहता है कि दूसरे पर विश्वास करें — लेकिन विश्वास वहीं टिकता है जहाँ मन शांत हो, विचार स्वच्छ हों और भावनाएँ शुद्ध हों।
जब हम कुछ क्षण रुककर, स्वयं से संवाद करते हैं, तो इस बात का अनुभव होता है कि शांति और आनंद किसी बाहरी वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे भीतर हैं। जब आत्मिक चेतना जागृत होती है तब प्रेम, भाईचारा, करुणा और एकता स्वतः जीवन का हिस्सा बन जाते हैं। शांत और स्थिर मन, समाज में शांति का बीज बोता है और वहीं से विश्व-शांति और विश्व-एकता की नींव बनती है। सशक्त आत्मा ही विश्व-एकता की संकल्पना को साकार करने की आधारशिला है।
ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा विश्व-शांति, मानवीय मूल्यों, नारी-शक्ति, आत्मिक जागृति, शिक्षा और ध्यान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास वास्तव में प्रेरक और प्रशंसनीय हैं। इस महान सेवा के लिए मैं सभी बहनों-भाइयों का हृदय से अभिनंदन करती हूँ।
आइए, शांति को अपने भीतर जगाएँ, विश्वास को अपने विचारों में उतारें और एकता को अपने कर्मों में प्रकट करें। आप सभी एक बेहतर, शांतिपूर्ण और विश्वासपूर्ण विश्व के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे, इसी आशा और विश्वास के साथ, मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!
