भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान एवम् डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 30.09.2024

आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं विशेष शुभकामनाएं देती हूं। मुझे बताया गया है कि आज M. Phil. उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। मैं आशा करती हूं कि आने वाले समय में अन्य पाठ्यक्रमों में भी छात्राओं की समुचित भागीदारी होगी।

देवियो और सज्जनो,

इस प्रतिष्ठित अस्पताल द्वारा 90 वर्षों से अधिक समय से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इसके लिए मैं इस संस्थान से जुड़े अतीत और वर्तमान के सभी लोगों की सराहना करती हूं। वर्ष 2008 में इस अस्पताल से संबंधित संस्थान में शिक्षण कार्य की शुरुआत की गई थी। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान में शिक्षण कार्य में विस्तार हुआ है तथा पाठ्यक्रमों की दृष्टि से यह संस्थान अन्य medical colleges के समकक्ष हो गया है।

इस अस्पताल एवं संस्थान के साथ भारत के दो महापुरुषों का नाम जुड़ा हुआ है – डॉक्टर राम मनोहर लोहिया एवं श्री अटल बिहारी वाजपेयी। लोहिया जी एवं वाजपेयी जी महान देश भक्त थे। उन्होंने हमारे समाज और राष्ट्र को नई दिशाएं दी हैं। मुझे आशा है कि इस संस्थान से जुड़े सभी लोग इन दोनों महान विभूतियों के विचारों और आदर्शों के अनुरूप कार्य करते हुए देश के समावेशी विकास में योगदान देते रहेंगे।

प्रिय विद्यार्थियों,

आपने एक कठिन प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त करके, इस प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश पाया है। आज आपने उपाधि प्राप्त करके अपनी योग्यता को एक बार फिर से सिद्ध किया है। अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम के बल पर आपने ये सफलताएं अर्जित की हैं। आपने एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाने का रास्ता चुना है। हमारे देश में डॉक्टरों को लोग भगवान मानते हैं क्योंकि वे लोगों की स्वास्थ्य-रक्षा तथा प्राण-रक्षा करते हैं। मैं समझती हूं कि आपके मन में सेवा भावना थी, इसलिए आपने medical profession चुना है। इस भावना को और भी प्रबल करते हुए आपको कार्य करना है।

जब आप medical professionals के रूप में लोगों की सेवा करेंगे तब अनेक ऐसे क्षण आएंगे जब आप काम के बोझ से दबे होंगे, या आप अपने व्यक्तिगत जीवन को प्राथमिकता देना चाहेंगे। लेकिन आपको हमेशा याद रखना है कि आपके द्वारा दी गई दवा या परामर्श के साथ आपके व्यवहार में healing touch हो। कई बार मरीजों के परिवारजन सदमे में चले जाते हैं। आप उन्हें आश्वस्त करें, सहानभूति दें। आपको सचेत रहना है कि विषम परिस्थितियों में भी आपकी संवेदनशीलता बनी रहे। संवेदना और करुणा जैसे मूल्यों से हमारी कार्यशैली बेहतर होती है।

देवियो और सज्जनो,

मैं एक महत्वपूर्ण बात पर आप सबका ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं। कई बार आवेश में आकर मरीजों के परिवारजन healthcare professionals के साथ दुर्व्यवहार कर देते हैं। यह गलत है। सर्वथा निंदनीय है। सभी को यह बात समझनी चाहिए कि डॉक्टर, मरीज की जान बचाने के लिए सारे उपाय करते हैं। लेकिन फिर भी यदि कोई अप्रिय घटना होती है तो उसके लिए डॉक्टरों या अस्पताल के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए।

कोई भी डॉक्टर अपने मरीज का अहित नहीं सोचता है। लेकिन कई बार विज्ञान में भी सारे समाधान उपलब्ध नहीं होते हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टर पॉल कलानिधि की आत्मकथा “When Breath Becomes Air” आजकल चर्चा में है। 37 साल की उम्र में ही उन्होंने कैंसर से जूझते हुए प्राण त्याग दिया था। अपनी आत्मकथा में उन्होंने कई ऐसे प्रसंग दिये हैं जिसमें medical science की सीमाओं को दर्शाया गया है। उदाहरण के तौर पर जिस मरीज को वह स्वस्थ समझते थे उसे नहीं बचा सके, और जिस मरीज की स्थिति निराशाजनक थी वो स्वस्थ होकर घर चला गया। जीवन और मृत्यु को रोज निकट से देखने वाले चिकित्सक तो प्राय: इन सीमाओं को समझते हैं। जीवन और मृत्यु से जुड़े कारण हमेशा डॉक्टरों की समझ में भी नहीं आ सकते हैं, यह बात मरीजों, उनके परिजनों और आम जनता को ध्यान में रखनी चाहिए।

मानव शरीर से जुड़ी बहुत सी पहेलियों को चिकित्सा विज्ञान सुलझा नहीं सका है। मरीजों का इलाज़ करते समय डाक्टरों को कई बार ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जो बहुत कठिन होते हैं। वे बहुत तनाव भरे वातावरण में कार्य करते हैं। ऐसे में कभी-कभी वे अधीर नजर आ सकते हैं। लेकिन इसका यह तात्पर्य बिल्कुल नहीं हैं कि वे अपने Patients के प्रति गंभीर नहीं हैं।

हमने कोरोना महामारी के दौरान देखा कि कैसे हमारे देश के Doctors एवं healthcare professionals ने अपनी जान की परवाह किए बिना, समर्पण और निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की। हमारे डॉक्टरों, नर्सों, एवं मेडिकल क्षेत्र के अन्य लोगों ने सर्वोच्च मानवीय मूल्यों को दर्शाया। उनके human connect एवं personal touch ने इस महामारी से लड़ने में जो भूमिका निभायी है उसके लिए पूरा देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

देवियो और सज्जनो,

हमारा देश महिला सशक्तीकरण के साथ आगे बढ़ रहा है। मेरे संज्ञान में यह तथ्य आया है कि चिकित्सा क्षेत्र में महिला मरीजों की समस्याओं पर कम शोध किया जाता है। Medical Fraternity से जुड़े सभी लोगों, विशेषकर अनुसंधान-कर्ताओं, से मेरा आग्रह है कि महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शोध कार्य करें। इससे बीमारियों के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। मुझे यह जानकर हर्ष हुआ है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लागू होने से महिलाओं तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहले की तुलना में अधिक पहुँच रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार के लिए भारत सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। पिछले 10 वर्षों में, देश में, Medical colleges की संख्या बहुत बढ़ी है। साथ ही MBBS और PG की सीटें भी दुगनी से ज्यादा की गयी हैं। अनेक नए AIIMS को मंजूरी दी गयी है। उनमें से बहुत से AIIMS में under-graduate courses शुरू हो चुके हैं। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना – आयुष्मान भारत – से लोगों को सहायता मिल रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार द्वारा किए गए इन प्रयासों से आने वाले समय में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा-सेवा बहुत व्यापक स्तर पर सुलभ होगी।

प्रिय विद्यार्थियों,

आज के समय में विज्ञान और तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। Tele-medicine के प्रयोग से दूरदराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ी है। रोगों की पहचान एवं इलाज को और भी अधिक प्रभावी ढंग से करने के लिए Artificial Intelligence के प्रयोग पर कार्य किया जा रहा है। इन व्यापक बदलावों को देखते हुए मेरी आपको सलाह है कि सीखने की ललक को बनाए रखें। नए Research Paper पढ़ते रहें। नई तकनीकों के बारे में जानते रहें। नई चिकित्सा पद्धतियां सीखते रहें। इससे आप मरीजों का बेहतर इलाज कर पाएंगे।

मैं आशा करती हूं कि आप सभी ‘स्वस्थ भारत’ और ‘विकसित भारत’ के निर्माण में अपना योगदान देते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि आप जहां भी जाएंगे वहां उत्कृष्टता के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहेंगे। मैं आप सभी के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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