भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का AIIMS कल्याणी के प्रथम दीक्षांत समारोह में संबोधन कल्याणी, 30 जुलाई, 2025 (HINDI)
कल्याणी : 30.07.2025

इस Institute of National Importance में आज दीक्षांत परंपरा का शुभारंभ हो रहा है। इस प्रथम दीक्षांत समारोह के साथ आपके संस्थान के इतिहास का प्रथम अध्याय सम्पन्न हो रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं AIIMS कल्याणी की पूरी टीम को साधुवाद देती हूं।
आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूं। पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मैं उनकी विशेष सराहना करती हूं। विद्यार्थियों के डॉक्टर बनने के स्वप्न को साकार करने में मार्गदर्शन और प्रेरणा देने वाले प्राध्यापकों तथा अभिभावकों को भी मैं बधाई देती हूं।
प्रिय विद्यार्थियो,
First batch के आप सभी विद्यार्थी इस संस्थान के senior-most alumni हैं। आप जो प्रतिष्ठा अर्जित करेंगे उसके आधार पर AIIMS कल्याणी की पहचान बनेगी। इस प्रकार इस संस्थान के इतिहास में शामिल होने के साथ- साथ आप सब AIIMS कल्याणी के भविष्य-निर्माता भी हैं।
दीक्षांत अर्थात औपचारिक शिक्षा के सम्पन्न होने के साथ-साथ हमारी परंपरा में समावर्तन-संस्कार भी होता था। समावर्तन का भावार्थ है – शिक्षित और दक्ष होकर समाज में वापस लौटना। समावर्तन के साथ ही व्यावहारिक जीवन में प्रवेश का शुभारंभ होता था। आज आप सबका दीक्षांत भी है और आज से ही आप सबका समावर्तन भी हो रहा है। लेकिन आपको यह याद रखना है कि विद्या का अर्जन करना निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
विद्या प्राप्त करने की कामना रखने वाला विद्यार्थी कहलाता है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नित नए बदलाव होते रहते हैं। अपने अंदर के विद्यार्थी को आप सदैव जीवंत बनाए रखिए और नए शोध-अनुसन्धानों तथा चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहिए।
आपके इस संस्थान का अत्यंत सार्थक ध्येय वाक्य है – ‘स्वास्थ्यम् सर्वार्थ- साधकम्’ अर्थात स्वास्थ्य के आधार पर अन्य सभी लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। हमारी समावेशी संस्कृति में सबके कल्याण और उन्नति की कामना की जाती है। ‘सर्वे संतु निरामया:’ यह प्रार्थना भी की जाती है। इस प्रार्थना का अर्थ है कि सभी रोग-मुक्त रहें और आरोग्य लाभ करें। इस आदर्श को यथार्थ रूप देने की प्रमुख ज़िम्मेदारी आप जैसे डॉक्टरों की है। जो लोग साधन सम्पन्न नहीं हैं उनको स्वस्थ रखने की आपकी ज़िम्मेदारी और भी अधिक महत्वपूर्ण है।
आप सभी चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थी हैं। लेकिन सबसे पहले आप भारत के सचेत नागरिक हैं। सभी कार्य-क्षेत्रों में सक्रिय देशवासियों को हमारे देश की महान विरासत के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए और गौरव भी। अपनी जन्मभूमि, कर्मभूमि और विद्या-स्थली की जानकारी भी होनी चाहिए।
AIIMS कल्याणी, चैतन्य महाप्रभु की पवित्र जन्मस्थली के क्षेत्र में स्थित है। महाप्रभु यहां से ओड़िशा गए और मुख्यतः जगन्नाथपुरी से उन्होंने अपना आध्यात्मिक संदेश प्रसारित किया। उन्नीसवीं सदी में भारत के नवजागरण में नदिया के सपूत दीनबंधु मित्र के नाटक ‘नील दर्पण’ की बहुत बड़ी भूमिका थी। वह नाटक ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार तथा नील की खेती के लिए विवश किए गए किसानों के कष्ट और संघर्ष की गाथा है। यह क्षेत्र स्वाधीनता सेनानी बाघा जतीन की महानता का साक्षी रहा है। उन्होंने उद्घोष किया था ‘आमरा मोरबो, जगत जागबे’। ओड़िशा के बालेश्वर में ब्रिटिश राज की सेना का सामना करते हुए उन्होंने भारत माता की स्वाधीनता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। बाघा जतीन के बलिदान को, सभी देशवासियों के साथ, ओडिशा के लोग, विशेष श्रद्धा के साथ स्मरण करते हैं। ओडिशा में उनकी स्मृति में आयोजित कुछ कार्यक्रमों में शामिल होने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है। यह क्षेत्र अनेक महान विभूतियों की जन्मस्थली या कर्मस्थली रहा है। मैं उन सभी प्रेरक विभूतियों की स्मृति को सादर नमन करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
आप सब इस तथ्य से शायद अवगत होंगे कि इस क्षेत्र के विकास की आधारशिला, महान राष्ट्र-निर्माता बिधान चन्द्र राय ने रखी थी जो एक बहुत बड़े डॉक्टर भी थे। उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें भारत-रत्न से सम्मानित किया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान भी वे मरीजों की निशुल्क सेवा करते रहे। उनके सम्मान में हमारे देश में एक जुलाई को ‘Doctors’ Day’ मनाया जाता है, जो संयोग से उनकी जन्मतिथि भी है और पुण्यतिथि भी है। ऐसे आदर्श Doctor-Chief Minister द्वारा स्थापित planned city कल्याणी में स्थित इस Institute से जुड़े सभी विद्यार्थियों, आचार्यों और प्रशासकों का लक्ष्य बहुत ऊंचा होना चाहिए। AIIMS कल्याणी को Institute of National Pride बनाने के संकल्प के साथ आप सभी young doctors की सेवा-यात्रा का शुभारंभ होना चाहिए। साथ ही गरीबों और वंचितों को निशुल्क चिकित्सा-सेवा प्रदान करने का डॉक्टर बी.सी. राय का उदाहरण आपकी जीवन-यात्रा का मार्गदर्शक सिद्धान्त होना चाहिए।
अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति सचेत डॉक्टरों ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा अनेक उपलब्धियों में सीधा योगदान दिया है। Average Life Expectancy जो स्वाधीनता के समय केवल 32 वर्ष थी, अब दोगुने से अधिक होकर लगभग 70 वर्ष की हो चुकी है। टीकाकरण के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में असाधारण प्रगति हुई है। अनेक बीमारियों पर काबू पाया गया है। उदाहरण के लिए, आंख की बीमारी की रोकथाम और इलाज में हुई सफलता के बल पर पिछले वर्ष भारत को trachoma free घोषित किया गया है। लेकिन अभी भी अनेक ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना करने में आप जैसे युवा डॉक्टरों की निर्णायक भूमिका रहेगी।
Diabetes, heart ailments और obesity जैसी स्वास्थ्य-समस्याओं पर नियंत्रण करने में सरकार तथा अन्य भागीदारों से भी बड़ी भूमिका चिकित्सकों की है।
प्रिय विद्यार्थियो,
आप सबकी जीवन-शैली भी ऐसी होनी चाहिए जो सामान्य लोगों के लिए उदाहरण बने। Genetic manifestations की बात अलग है लेकिन समुचित आहार-विहार और जीवन-शैली के बल पर अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं को prevent किया जा सकता है या उनका काफी हद तक समाधान भी किया जा सकता है। आपके पास जो लोग चिकित्सा के लिए आते हैं उन्हें आप सब दवा के अलावा जीवन-शैली से जुड़े परामर्श भी दें। डॉक्टर साहब जब कोई सलाह देते हैं तो उसका लोगों पर अधिक असर पड़ता है। डॉक्टर साहब जब स्वयं आदर्श प्रस्तुत करते हैं तो उसका और भी अधिक असर पड़ता है। आप सबको अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है। Physician, heal thyself की पुरानी कहावत के बहुत से अर्थ निकाले जाते हैं। लेकिन इसका सबसे अधिक स्वीकृत भावार्थ यह है कि मसीहा यानी healer का यह पहला कर्तव्य है कि वह स्वयं को स्वस्थ रखे।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में जो अपनी higher medical education जारी रखेंगे वे तीन साल के लिए तथा अन्य विद्यार्थी एक साल के लिए junior resident doctor के रूप में काम करेंगे। Residency का मतलब ही होता है कि डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध रहें। कई कारणों से residency के दौरान बिना break लिए लगातार मरीजों के बीच रहकर काम करने को glorify किया जाता है। लेकिन अब medical professionals इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि कम सोने और लगातार काम करने से डॉक्टर की कार्य क्षमता और दक्षता पर बुरा असर पड़ता है।
ऐसी स्थिति में न डॉक्टर की भलाई है और न ही मरीज की। कुछ resident doctor अधिक से अधिक अनुभव और जानकारी पाने के उत्साह में लगातार बिना आराम किए काम करने की आदत डाल लेते हैं। इस मुद्दे पर अध्ययन करने वाले वरिष्ठ शोधकर्ताओं ने यह सलाह दी है कि long hours तथा lack of sleep युवा डॉक्टरों के लिए लाभदायक नहीं हैं।
प्रिय विद्यार्थियो,
मैं एक बार फिर आप सबको बधाई देती हूं। मैं यह मंगलकामना करती हूं कि आप सब अपने संस्थान के लिए गौरवशाली परम्पराओं का निर्माण करें तथा एक स्वस्थ और समृद्ध भारत के निर्माण में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!