नौसेना दिवस के अवसर पर भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन
पुरी : 04.12.2024
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मैं भारतीय नौसेना के ऑपरेशनल डेमंस्ट्रेशन को देखने हेतु पुरी में आकर अत्यधिक प्रसन्न हूँ। सबसे पहले, मैं नौसेना दिवस के अवसर पर आपको और भारतीय नौसेना सभी कार्मिकों को अपनी शुभकामनाएं देती हूँ! आज, 4 दिसंबर को, हम सन् 1971 के युद्ध में हमारी शानदार विजय का उत्सव मनाते हैं और नौसेना कार्मिकों की निस्वार्थ सेवा तथा मातृभूमि के रक्षार्थ उनके सर्वोच्च बलिदान को याद करते हैं।
मैं इस अवसर पर सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान असाधारण वीरता और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करने वाले नौसेना के बहादुर अधिकारी कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला के बलिदान और साहस को भी स्मरण करती हूँ। INS खुखरी के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में, उन्होंने विभिन्न उल्लेखनीय ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंत में अपने प्राण बलिदान कर दिए। हाल ही में, मुझे दीव की अपनी यात्रा के दौरान उन्हें श्रद्धांजलि देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
भारत आपका कृतज्ञ है और हर भारतीय सम्मान एवं साहस के साथ राष्ट्र की सेवा करने के आपके जज्बे को नमन करता है। आपने कुछ ही क्षणों पहले जो पेशेवराना अंदाज, जुनून तथा देशभक्ति यहाँ प्रदर्शित की, मुझे आपके सर्वोच्च कमांडर होने के नाते उस पर गर्व है, मुझे आप सब पर गर्व है।
मैं आपको इस सुसमन्वित और सुसंचालित ऑपरेशनल डेमंस्ट्रेशन के लिए बधाई देती हूँ। इससे हमारे देश के नागरिकों को हमारी नौसेना के समुद्र में काम करने के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी मिलेगी। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूँ कि पिछले दो वर्षों में मुझे आप सभी के साथ निकट संवाद स्थापित करने का अवसर प्राप्त हुआ। आज के जैसे हर ऑपरेशनल डेमंस्ट्रेशन को देखने के बाद मैं हमारे समुद्री क्षेत्रों और सीमाओं की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त महसूस करती हूँ।
देवियों और सज्जनों,
भारत की भौगोलिक बनावट ने हमें वे सभी आवश्यक विशेषताएँ प्रदान की हैं, जो एक महान समुद्री राष्ट्र होने के लिए जरूरी हैं। लंबी तटरेखा, द्वीपीय भूभाग, समुद्रीय आबादी और विकसित समुद्री अवसंरचना के बल पर भारत देश 5,000 साल से भी पहले से तटीय और सागर-पारीय समुद्री गतिविधियों में शामिल रहा है। हम समुद्री परिवहन में अग्रणी थे। हमारे जहाज-निर्माण कौशल और मानसूनी हवा के पैटर्न को समझकर उसका लाभ उठाने की हमारी क्षमता के कारण समुद्री मार्ग से होने वाले व्यापार पर हमारी धाक रही है।
शानदार समुद्री विरासत और इतिहास के बल पर अतीत से प्रेरणा लेने तथा देदीप्यमान भविष्य की आशा मन में लिए आगे की ओर बढ़ने वाला भारत देश हमेशा से ही एक मजबूत समुद्री राष्ट्र रहा है – यह समुद्र ही है जो हमारे भाग्य, हमारे गौरव और हमारी पहचान को परिभाषित करता है।
जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था प्रगति कर रही है और दुनिया भर में हमारे हितों एवं प्रभाव का विस्तार हो रहा है; मुझे विश्वास है कि भारतीय नौसेना अनवरत रूप से समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करती रहेगी। राष्ट्रहित को सुरक्षित करने में नौसेना की यह भूमिका वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण कारक बनेगी।
मैं आज के इन कार्यक्रमों के लिए पुरी शहर का चयन करने के लिए नौसेना की सराहना करती हूँ। पुरी का समृद्ध समुद्री इतिहास कलिंग के उस प्राचीन क्षेत्रीय उप-विभाजन से जुड़ा हुआ है, जिसमें आधुनिक ओडिशा का अधिकांश भाग शामिल था। प्राचीन कलिंग के समृद्ध समुद्री संपर्कों और व्यापक पैमाने पर होने वाली जहाज-निर्माण संबंधी गतिविधियों की कलिंग के व्यापारिक समृद्धि में महत्वपूर्ण थी।
उस गौरवशाली अतीत की एक भविष्योंमुखी झलक आज यहाँ ओडिशा में INS चिल्का में दिखाई दे रही है, जहाँ देश भर के युवक और युवतियाँ नौसेना में अग्निवीर बनने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
देवियों और सज्जनों,
विगत वर्षों में, नौसेना ने समुद्री क्षेत्र में होने वाले सभी ऑपरेशनों में अग्रणी भूमिका निभाई है और नाविकों की सुरक्षा तथा समुद्री व्यापार की रक्षा सुनिश्चित करने, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत सेवा प्रदान करने व समुद्र के रास्ते हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली आतंकवादी गतिविधियों की वित्तपोषक अवैध मादक पदार्थों की तस्करी को विफल करने का कार्य किया है। उन्नत प्रौद्योगिकी, सामरिक कौशल और सर्वोच्च साहस का जो अद्भुत संगम आज देखने को मिला है, वह हमारी नौसेना के युद्ध सज्जित, भविष्योंमुख और विश्वसनीय बल के रूप में विकसित होने का सर्वोत्तम प्रमाण है।
भारत देश 63 जलयानों का निर्माण कर रहा है, नौसेना का एकमात्र ध्येय वर्ष 2047 तक आत्मनिर्भर बल बनना है, उसका यह ध्येय हम सभी को नवाचार को 'मिशन मोड' में अपनाने की प्रेरणा देता है। प्रत्येक भारतीय के लिए यह गौरव की बात है कि हम आज दुनिया के उन गिने-चुने छह देशों में शामिल हैं, जिनके पास बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी तथा विमानवाहक पोत, दोनों को डिजाइन करने, उनका निर्माण करने और उन्हें संचालित करने की क्षमता है।
'नारी शक्ति' को प्रगति के समुचित अवसर प्रदान करने के नौसेना के अग्रणी प्रयास विशेष रूप से प्रशंसनीय हैं। नौसेना महिला अग्निवीरों को भर्ती करने वाली पहली सेवा थी और नौसेना द्वारा लगातार यह सुनिश्चित किया जाता है कि कम्बैट फंकशन्स सहित 'सभी रैंक और सभी भूमिकाएं' सभी महिलाओं के लिए उपलब्ध हों। वास्तव में, ‘नाविका सागर परिक्रमा II’ के एक हिस्से के रूप में INSV तारिणी में दुनिया की परिक्रमा के लिए निकलीं भारत की दो महिला नौसेना
अधिकारी, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा नौसेना की इस पहल की सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
मैं भारतीय नौसेना को आज के कार्यक्रम के सफल संचालन और कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा, दृढ़ संकल्प तथा समर्पण के लिए बधाई देती हूँ। मैं भारतीय नौसेना को भविष्य के उनके सभी प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ।
शं नो वरुणः! भगवान वरुण हम सभी पर प्रसन्न हों। ईश्वर भारतीय नौसेना को सदा विजयी बनाए!
जय हिंद!
जय भारत!