भारत की राष्ट्र्पति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का दून विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में संबोधन (HINDI)
देहरादून : 09.12.2022
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भारतीय संस्कृति और सभ्यता की वाहिका और जीवनदायिनी गंगा व यमुना की उद्गम-स्थली देवभूमि उत्तराखंड को मैं सादर नमन करती हूं।
मुझे आज दून विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेकर बहुत खुशी हो रही है। सबसे पहले मैं आज डिग्री और मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। इस दिन की स्मृति आपकी जीवन-यात्रा के सबसे यादगार अनुभवों में से एक रहेगी। आज आपका एक सपना साकार हो रहा है। आपकी शिक्षा में आप सब की सहायता करने वाले आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी मैं बधाई देना चाहूंगी,जो आपकी सफलता में ही अपनी खुशी देखते हैं।
इस समारोह के आयोजन के लिए मैं विश्वविद्यालय प्रशासन और इसमें सक्रिय सहयोग करने वाले सभी लोगों की सराहना करती हूं।
मुझे बताया गया है कि दून विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2005 में हुई। आज आप सबने आठ विभागों में अध्ययन-अध्यापन की परंपरा स्थापित कर ली है। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के विभिन्न मानकों पर एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाएगा।
मेरा मानना है कि किसी भी देश की प्रगति उसके मानव संसाधन की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। मानव संसाधन की गुणवत्ता शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। आज का युवा कल का भविष्य है इस सूत्र-वाक्य को अंगीकार करते हुए दून विश्वविद्यालय को सिर्फ राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापरक मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में कार्यरत रहना है।
मुझे बताया गया है कि दून विश्वविद्यालय 21वीं सदी केचुनौतियों के लिए युवाओं को सक्षम बनाने हेतु और उन्हें कौशल प्रदान करने के लिए कृत-संकल्प है। मुझे यह भी बताया गया है कि यह विश्वविद्यालय राज्य का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां विद्यार्थियों को पर पांच विदेशी भाषाएं – चाइनीज,स्पेनिश, जर्मन, जापानी और फ्रेंच पढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा, विश्वविद्यालय में तीन स्थानीय भाषाओं गढ़वाली,कुमाऊंनी और जौनसारी का भी अध्ययन व अध्यापन किया जाता है। इस विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करना हमारी लोक संस्कृति की संरक्षण का सराहनीय प्रयास है। हमारी लोक भाषाएं हमारी संस्कृति की अमूर्त धरोहर हैं। यह विश्वविद्यालय का अनूठा प्रयास है और इसे आगे बढ़ाना श्रेयस्कर होगा। विश्वविद्यालय ने वर्तमान सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। भारत को Knowledge Superpower बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में यह उपयोगी कदम है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है कि हम अपने देश को अगले 25 वर्षों के अमृत-काल में विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए युवा-शक्ति का सहयोग अधिक महत्वपूर्ण होगा।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि एनटीपीसी के सहयोग से विश्व-विद्यालय में ‘सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर’स्थापित की गई है,जो राज्य के विकास के लिए नीति-निर्माण और क्षमता-विकास के लिए समर्पित है। इसके अलावा यहाँ ‘‘डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र’’ भी स्थापित किया गया है, जिसमें राज्य के भौगोलिक , Ecological ,आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े विभिन्न विषयों में शोध और अध्ययन को प्रोत्साहित किया जाएगा। मैं इन प्रयासों के लिए आपके विश्वविद्यालय को बधाई देती हूं।
उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थान - भारतीय सैन्य अकादमी, भारतीय वन्य जीव संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री अकादमी, वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय पेट्रोलियम अनुसंधान संस्थान तथा गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय - विद्यमान हैं जिनकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान है। मेरा विश्वास है कि दून विश्वविद्यालय भी इन संस्थानों की तरह ख्याति प्राप्त करेगा।
मेरा मानना है कि शिक्षा ही वह माध्यम है जो पूरे राष्ट्र में बदलाव ला सकता है। शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि छात्र तकनीकी कौशल से और अधिक सम्पन्न हों और स्वयं रोजगार की तलाश करने के बजाए दूसरों को रोजगार उपलब्ध करवाएं।
मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय में Demographic Research को बढ़ावा देने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय के सहयोग से एक डाटा सेंटर स्थापित किया गया है। इससे राज्य की demographic information सहज उपलब्ध होगी और Demographic Research को बढ़ावा मिलेगा।
मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारी बेटियां जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर रही हैं। इसका साक्षात उदाहरण यह है कि आज के इस दीक्षांत समारोह में 36 गोल्ड मेडल्स में से 23 मेडल छात्राओं को प्राप्त हुए हैं, जबकि 16 शोधार्थियों में से 8 बेटियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई है। इससे यह सिद्ध होता है कि आपके संस्थान में महिलाओं को शिक्षा के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं और उनको प्रोत्साहित करने के लिए आपका संस्थान प्रतिबद्ध है। मैं आशा करती हूं कि इस प्रतिबद्धता को आप बनाए रखेंगे।
मुझे प्रसन्नता है कि इस विश्वविद्यालय में तकनीकी शिक्षा को विशेष रूप से बढ़ावा देने के लिए तीन तकनीकी स्कूल -स्कूल ऑफ बायोलोजिकल साइंस,स्कूल ऑफ डिजाइन और स्कूल ऑफ एनवायरमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेज - कार्य कर रहे हैं। मेरा मानना है कि जब हमारी बेटियाँ विज्ञान,प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करेंगी तो महिला सशक्तीकरण की प्रक्रिया को और अधिक बल मिलेगा। इसी 29 नवम्बर को National Institute of Technology कुरुक्षेत्र के दीक्षांत समारोह में भाग लेने का मुझे अवसर मिला। उस समारोह में over-all excellence के लिए gold medal बेटियों ने प्राप्त किए। इस तरह की प्रगति से हमारी बेटियों को STEM के क्षेत्र में उत्कृष्टता के आधार पर करियर बनाने के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे।
मेरे प्यारे विद्यार्थियों,
आज उपाधि और पदक प्राप्त करने के बाद आप सब की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। आप जहां भी जिस भी क्षेत्र में जाएं उस कार्य को बहुत निष्ठा से और सर्वोत्तम रूप से करें; तभी आपकी शिक्षा कारगर और सार्थक होगी और आप अपने ज्ञान से समाज और देश को लाभान्वित कर सकेंगे। साथ ही आप सब मानवीय मूल्यों के ध्वजवाहक भी होंगे।
प्यारे विद्यार्थियों,
हम एक विशेष युग में रह रहे हैं,जो निरंतर और तेजी से हो रहे बदलाव का समय है। इस दौर में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे भारत को राष्ट्र-निर्माण के प्रति आपकी प्रतिबद्धता की और आपके समर्पण की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि आप आने वाले समय में इस राष्ट्रीय अपेक्षा को पूरी निष्ठा से पूरा करेंगे।
अंत में, आपके सुखद और उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ मैं आपनी वाणी को विराम देती हूं।
जय हिन्द।