कर्नाटक वाणिज्य और उद्योग चैंबर परिसंघ के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

बेंगलुरु, कर्नाटक : 27.07.2015

डाउनलोड : भाषण कर्नाटक वाणिज्य और उद्योग चैंबर परिसंघ के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 254.27 किलोबाइट)

1. कर्नाटक वाणिज्य और उद्योग चैंबर परिसंघ के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने के लिए इस सायं आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं आप सभी को अब तक की यात्रा तथा इस महत्वपूर्ण पड़ाव तक पहुंचने पर बधाई देता हूं। मैं समझता हूं कि 1916 में सर एम.विश्वेश्वरैया द्वारा इस परिसंघ की स्थापना मैसूर वाणिज्य चैंबर के तौर पर की थी। आज यह कर्नाटक के उद्योग,व्यापार तथा सेवा क्षेत्र का एक प्रमुख संगठन है।

2. भारत रत्न विश्वेश्वरैया एक इंजीनियरी विद्वान,दूरद्रष्टा,राजनेता और विद्वान थे। भारत की स्वतंत्रता से भी पहले उन्होंने‘औद्योगिकीकरण करो या नष्ट हो जाओ’के नारे के साथ औद्योगिकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व किया।

3. इस परिसंघ ने भी विश्ववेश्वरैया की संकल्पना को वास्तविकता में बदलने में योगदान दिया। इसने सरकारी निकायों में कारोबार और उद्योग का प्रतिनिधित्व करते हुए,विचार-विमर्श के लिए व्यवसायियों को एक मंच उपलब्ध करवाते हुए तथा उद्योग के समक्ष समस्याओं के समाधान के लिए सरकार के साथ संवाद और कार्य करते हुए नीति निर्माण में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है। इसने व्यवसाय और अर्थव्यवस्था के बारे में सूचनाओं का प्रसार,सेमिनार,कार्यकलापों तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है तथा अपने कार्यक्षेत्र संबंधी विषयों पर पुस्तकें और पत्र प्रकाशित किए हैं। इसने यात्रा पर आए विदेशी व्यापार शिष्टमंडलों के साथ बैठक करके तथा विदेश में व्यापार मेलों में भारतीय उद्योग शिष्टमंडलों की भागीदारी में सहयोग करके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया है। इस प्रतिष्ठित उद्योग संस्था के सेवा के एक सौवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर कर्नाटक के आर्थिक विकास में इसके योगदान का उल्लेख करते हुए प्रसन्नता होती है।

4. कर्नाटक भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है। भारत के सकल घरेलू उत्पादन में इसका6प्रतिशत,स्थिर पूंजी में7 प्रतिशत तथा निर्यात में13प्रतिशत का योगदान है। यहां,भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड,हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड,भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा बीईएमएल जैसे अनेक सार्वजनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण उद्यमों की स्थापना भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद हो गई थी। कर्नाटक में एक के बाद एक सभी सरकारों ने सक्रिय और कारोबार अनुकूल नीतियां तैयार की हैं।

5. कर्नाटक संसाधन और कौशल उन्नमुखता के प्रभावी मिश्रण तथा उत्पाद और सेवा आधारित प्रौद्योगिकी और ज्ञान के प्रभावी मिश्रण के माध्यम से विकास को तीव्र कर रहा है,रोजगार पैदा कर रहा है तथा धन का सृजन कर रहा है। यह अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के उपयोग की परंपरा वाले भारत के सबसे प्रौद्योगिकी कुशल राज्यों में से है।

6. मुझे बताया गया है कि कर्नाटक मशीनी औजार,इस्पात,सीमेंट,ऑटोमोबाइल तथा एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में1000से ज्यादा वृहद और मध्यम स्तरीय निर्माण उद्योगों का केंद्र है। भारत की तकरीबन60प्रतिशत बायोटेक इकाइयां भी यहां स्थित हैं। यहां सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की लगभग1200कंपनियां हैं। यह सूचना प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी सहायक सेवा क्षेत्र में अग्रणी है जिसका भारत के सॉफ्टवेयर निर्यात में40प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा है। बेंगलुरु को भारत की सिलिकॉन वैली उचित ही कहा जाता है। इन औद्योगिक उद्यमों के अलावा,कर्नाटक की600 वस्त्र निर्माण इकाइयां तथा विशाल कृषि आधारित उद्योग युवाओं के लिए काफी रोजगार अवसर उपलब्ध करवाता है। औद्योगिकीकरण तथा रोजगार सृजन में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र का बढ़ता हुआ महत्व कर्नाटक में स्पष्ट दिखाई देता है।

7. कर्नाटक में मैसूर सहयोगपूर्ण परिवेश ने इसे वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य के एक प्रमुख केन्द्र में बदल दिया है। नवान्वेषण तथा अनुसंधान और विकास के इसके उद्यमशीलता के जज्बे को पूरा विश्व मानता है। इसके समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों, सक्रिय नीतियों,प्रतिभावान कार्यबल तथा सुदृढ़ अर्थव्यवस्था ने राज्य को एयरोस्पेस,ऑटोमोबाइल और ऑटो-संघटक,सूचना प्रौद्योगिकी,जैव प्रौद्योगिकी,खाद्य प्रसंस्करण तथा स्वास्थ्य देखभाल जैसे विविध क्षेत्रों में एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने की ओर अग्रसर कर दिया है। अस्सी से अधिक फॉर्चून500 कंपनियां तथा700बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां पर स्थित हैं।

देवियो और सज्जनो,

8. कर्नाटक की विकास गाथा भारत की विकास गाथा का प्रतिबिंब है। विगत दस वर्षों के दौरान प्रतिवर्ष7.8प्रतिशत की औसत से भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावशाली रही है। इससे अधिक विश्वसनीय यह तथ्य है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने2008के वित्तीय संकट से उत्पन्न वैश्विक आर्थिक मंदी को भली-भांति सहन कर लिया है। हमारे सकल घरेलू उत्पादन में2009-10और 2010-11में क्रमश:8.6 और8.9प्रतिशत वृद्धि हुई है। वित्तीय विस्तार उपायों ने वैश्विक बाजारों से उत्पन्न मंदी की चिंताओं के बीच विकास गति को बनाए रखने में मदद की। विगत कुछ वर्षों के दौरान विकसित अर्थव्यवस्थाओं का अनुभव यह दर्शाता है कि पूर्ण रोजगार के स्तर पर,परंतु सामान्य से अधिक मुद्रास्फीति वाली अर्थव्यवस्था मंदी से ग्रस्त अर्थव्यवस्था के मुकाबले वित्तीय दबाव के झटके को सहन करने की बेहतर स्थिति में हो सकती है। हमारे मामले में हमने यह भी देखा है कि कारोबार माहौल एक बार बिगड़ जाने या प्रभावित होने पर विकास गति को ठीक करना और पुन: सशक्त बनाने में काफी समय लग सकता है।

9. भारत की अर्थव्यवस्था 2008के वैश्विक वित्तीय संकट के प्रति अत्यंत सहनशील रही है। विकास गति पर असर हुआ परंतु इससे उबार विश्व की किसी भी स्थान पर देखी गई प्रवृत्तियों की तुलना में उल्लेखनीय और तीव्र रहा है। मुद्रास्फीति तथा विदेशी सेक्टर संतुलन जैसे व्यापक आर्थिक मापदंडों में गत वर्ष सुधार आया है। चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की तुलनात्मक अवधि के दौरान2.3प्रतिशत से कम होकर अप्रैल-दिसंबर2014में सकल घरेलू उत्पादन का 1.7 प्रतिशत हो गया। 3500बिलियन से ज्यादा अमरीकी डॉलर के साथ,हमारे पास वैश्विक आर्थिक घटनाक्रमों की अगली चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।

10. समष्टिगत आर्थिक संभावनाओं के देखते हुए हमें आर्थिक विकास का8प्रतिशत से अधिक का स्तर शीघ्र ही दोबारा प्राप्त कर लेना चाहिए। हमारे जैसे देश में एक सुदृढ़ और सतत आर्थिक विकास से ज्यादा जरूरी अन्य कुछ नहीं है। उच्च विकास प्राप्त करना गरीबी के अभिशाप से लड़ने का एक प्रबल माध्यम है। भारत में गरीबी रेखा से नीचे रह रही जनसंख्या का अनुपात 2004-05के37.2 प्रतिशत से कम होकर2011-12में21.9प्रतिशत हो गया। 2009-10से2011-12 की तीन वर्ष की अवधि के दौरान लगभग85मिलियन लोग गरीबी से ऊपर उठे।

11. विश्व की विकसित अर्थव्यवस्था में शामिल होने की आकांक्षा रखने वाले राष्ट्र के लिए मात्र निर्धनता उपशमन से ही संतुष्ट होना पर्याप्त नहीं है। हमें निर्धनता समाप्ति के लक्ष्य के प्रति स्वयं को समर्पित करना होगा। निर्धनता और असमानता की समस्या का एक स्थायी समाधान लाभकारी रोजगार अवसर पैदा करना तथा कुशल श्रम बल का निर्माण है। भारत में निर्माण,भारत को कुशल बनाना तथा डिजीटल भारत पर सरकार द्वारा दिया जा रहा बल इस उद्देश्य की प्राप्ति के साधन हैं। मैं उद्योग से इन पहलों को उनकी सार्थक सफलता तक पहुंचाने के लिए मदद देने का आग्रह करता हूं।

मित्रो,

12. व्यवसाय को उत्कृष्ट मॉडल में विकसित करने के लिए प्रबंधन सिद्धांतों के गहन प्रयोग की आवश्यकता है। इसके लिए सामाजिक-आर्थिक सच्चाइयों की बेहतर जानकारी की भी जरूरत है। व्यवसाय केवल अपने हिस्सेदारों के लिए लाभ कमाने के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज के स्तर को सुधारने के लिए भी है। यह अच्छा रहेगा कि उद्योग प्रमुख अपनी कॉरपोरेट कार्य संस्कृति में व्यवसाय करने के इस सिद्धांत को शामिल करें।

13. अंत में मैं एक बार पुन: परिसंघ को बधाई देता हूं। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।


धन्यवाद!

जयहिन्द।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.