भारत की राष्ट्रपति सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2024 में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 08.11.2024
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 8 नवंबर, 2024 को सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2024 में शामिल हुईं।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे समाज में सत्यनिष्ठा और अनुशासन को जीवन का आदर्श माना गया है। लगभग 2300 साल पहले मेगस्थनीज ने भारतीय लोगों के बारे में लिखा है कि वे अनुशासनहीनता को नापसंद करते हैं और कानून का पालन करते हैं। उनके जीवन में सादगी और मितव्ययिता है। इसी तरह के उल्लेख फ़ाहियान ने भी हमारे पूर्वजों के बारे में किए हैं। इस संदर्भ में, इस वर्ष सीवीसी का विषय ‘सत्यनिष्ठा की संस्कृति से राष्ट्र की समृद्धि’ अत्यंत उपयुक्त है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वास सामाजिक जीवन का आधार है। यह एकजुटता का स्रोत है। सरकार के कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं में जन-विश्वास से ही शासन को शक्ति मिलती है। भ्रष्टाचार आर्थिक प्रगति के लिए अवरोध तो है ही, इससे समाज में अविश्वास भी बढ़ता है। इससे लोगों के बीच में बंधुता कम होती है। इसका व्यापक प्रभाव देश की एकता और अखंडता पर भी पड़ता है। प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार पटेल के जन्मदिन पर हम देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेते हैं। यह एक परंपरा मात्र नहीं है। यह गंभीरता से ली जाने वाली प्रतिज्ञा है। इसको निभाने का सामूहिक दायित्व हम सब का है।
राष्ट्रपति ने कहा कि नैतिकता ही भारतीय समाज का आदर्श है। जब कुछ लोग अच्छे जीवन का मानक सिर्फ वस्तुओं, धन या संपत्ति का संग्रह मानने लगते हैं तो वे इस आदर्श से भटक जाते हैं। जिसके लिए वे भ्रष्ट कार्यों का सहारा लेते हैं। लेकिन जीवन का सुख मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करके आत्म सम्मान के साथ जीवन जीने में है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सही भावना और दृढ़ संकल्प के साथ कोई कार्य किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। कुछ लोगों द्वारा अस्वच्छता को हमारे देश की नियति मान लिया गया था। लेकिन सशक्त नेतृत्व, राजनैतिक इच्छा-शक्ति और नागरिकों के योगदान से स्वच्छता के क्षेत्र में सुखद परिणाम आए हैं। ऐसे ही, कुछ लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के उन्मूलन को असाध्य मान लेना एक निराशावादी दृष्टिकोण है जो उचित नहीं है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सरकार की "भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस" की नीति से भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त हो जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्ट व्यक्तियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई से अनैतिक व्यक्तियों का हौसला बढ़ता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि हर कार्य और व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से न देखा जाए। हमें इससे बचना चाहिए। व्यक्ति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए कोई भी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित न हो। किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समता स्थापित करना होना चाहिए।