भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का वर्ष 2023 एवं 2024 के ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार’ वितरण समारोह में संबोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 09.12.2025
(123.36 KB)भारतीय हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा को नई ऊंचाइयां प्रदान करने वाले शिल्पकारों को सम्मानित करने के लिए आयोजित इस समारोह में उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आज ‘शिल्प गुरु पुरस्कार’ और ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार’ प्राप्त करने वाले सभी शिल्पकारों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। पुरस्कार समारोह में आने से पहले मैंने आपके द्वारा निर्मित असाधारण हस्तशिल्पों का अवलोकन किया। उन हस्तशिल्पों में भारत की विविध और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की झलक मिलती है। चाहे लोक चित्रकारी, पट्टचित्र, तंजोर और कालीघाट हो, काष्ठ शिल्प, सादेली और तारकशी हो, धातु शिल्प, बस्तर ढोकरा और मीनाकारी हो, वस्त्र कला, बाटिक, कार्बी और सोजनी शॉल हो, लुप्तप्राय कला, मिरीजिम और शाफी लैन्फी हो, यहाँ प्रदर्शित सभी हस्तशिप अद्भुत हैं। मैं इन हस्तशिल्पों को गढ़ने वाले सभी शिल्पकारों की भूरी-भूरी प्रशंसा करती हूँ।
हस्तशिल्प को प्राय: परंपरा से जोड़ा जाता है। मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है कि आज जहां एक तरफ विलुप्त हो रहे कलाओं के संरक्षण और जनजातीय कला के प्रोत्साहन के लिए तो वहीं दूसरी ओर desinging, innovation और start-up को बढ़ावा देने के लिए भी पुरस्कार दिये गए हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में समावेश को बढ़ाने के लिए दिव्यांगजन और महिलाओं को भी विशेष श्रेणी में पुरस्कृत किया गया है। ऐसी प्रगतिशील सोच के साथ इस पुरस्कार समारोह के आयोजन के लिए मैं गिरिराज सिंह जी और उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।
मुझे बताया गया है कि भारत की जीवंत हस्तशिल्प परंपराओं के प्रदर्शन के लिए 8 से 14 दिसंबर तक ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह’ मनाया जा रहा है। हमारे देशवासियों, विशेषकर युवाओं को, देश की समृद्ध कला-परंपरा से अवगत कराना न केवल शिल्पकारों के प्रोत्साहन के लिए आवश्यक है बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं इस आयोजन की प्रशंसा करती हूँ।
देवियो और सज्जनो,
कला हमारे अतीत की स्मृति, वर्तमान के अनुभव और भविष्य की आकांक्षा को दर्शाती है। मनुष्य अपनी भावनाओं को चित्र या मूर्ति के रूप में प्राचीन काल से ही प्रकट करता रहा है। कला, लोगों को संस्कृति से जोड़ती है। कला, लोगों को आपस में भी जोड़ती है।
अगर सदियों पुरानी हमारी हस्तशिल्प की परंपरा आज भी जीवंत और संरक्षित है, तो इसके पीछे है हमारे शिल्पकारों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही प्रतिबद्धता। हमारे शिल्पकारों ने बदलते हुए समय के साथ अपनी कला-परंपरा को ढाला है लेकिन कला की मूल आत्मा को जीवित रखते हुए। उन्होंने अपनी हर कलात्मक रचना में देश की मिट्टी की खुशबू को बनाए रखा है। इसके लिए मैं भारत के सभी शिल्पकारों और उनको संरक्षण प्रदान करने वाले लोगों की प्रशंसा करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
हस्तशिल्प, हमारी सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ जीविकोपार्जन का महत्वपूर्ण साधन भी है। यह sector देश के 32 लाख से ज़्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि हस्तशिल्प से रोजगार और आय प्राप्त करने वाले अधिकांश लोग ग्रामीण या दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं। यह क्षेत्र, रोजगार और आय का विकेन्द्रीकरण करके समावेशी विकास को बल देता है।
हस्तशिल्प को बढ़ावा देना सामाजिक सशक्तीकरण के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह sector परंपरागत रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों को संबल प्रदान करता रहा है। उनके लिए हस्तशिल्प न केवल अर्थोपार्जन का साधन है बल्कि उनकी कला उनको समाज में पहचान और सम्मान भी दिलाती है। हस्तशिल्प क्षेत्र के workforce में 68 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसलिए इस क्षेत्र के विकास से महिला सशक्तीकरण को भी बल मिलेगा। मुझे खुशी है कि आज के 48 पुरस्कार विजेताओं में 20 विजेता महिलाएं हैं। मैं सभी महिला शिल्पकारों को विशेष बधाई देती हूं। मैं आशा करती हूं कि आप लोगों से प्रेरणा लेकर अन्य महिला शिल्पकार भी और अधिक मेहनत करेंगी और भविष्य पुरस्कार समारोहों में मान्यता प्राप्त करेंगी।
देवियो और सज्जनो,
प्राकृतिक और स्थानीय संसाधनों पर आधारित होना, हस्तशिल्प उद्योग की सबसे बड़ी विशेषता है। यह उद्योग eco-friendly और low-carbon footprint वाला उद्योग है। इस पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत कई शिल्पकारों ने जूट, पुआल और गाय के गोबर का प्रयोग करके उपयोगी उत्पाद बनाने के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। आज विश्व-भर में eco-friendly और sustainable life-style की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है। ऐसे में यह क्षेत्र, sustainability में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
सशक्तीकरण और सतत विकास में हस्तशिल्प क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने पिछले एक दशक में, इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुझे बताया गया डेढ़ लाख से ज्यादा हस्तशिल्प इकाइयों को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) से जोड़ा गया है। यह प्रसन्नता की बात है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, इंडियाहैंडमेड, शिल्पकारों को खरीददारों से सीधे जोड़कर उन्हें अपने उत्पाद बेचने में मदद कर रहा है। इससे शिल्पकारों को वित्तीय आजादी और समाज में पहचान दोनों मिल रहे हैं।
हमारे शिल्पकारों के पीढ़ियों से संचित ज्ञान, उनके लगन तथा मेहनत के बल पर, भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों ने विश्वभर में अपनी पहचान स्थापित की है। इस पहचान को सशक्त बनाने के लिए GI tag एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। मेरा इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से अनुरोध है कि अपने विशिष्ट उत्पादों के लिए GI tag प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ें। इससे आपके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान मिलेगी और आपकी साख बढ़ेगी। One District One Product (ODOP) initiative भी हमारे क्षेत्रीय हस्तशिल्प उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मजबूत बना रहा है।
भारतीय हस्तशिल्प की दुनिया भर में मांग है। इस क्षेत्र में प्रगति की प्रचुर संभावनाएं विद्यमान हैं। हस्तशिल्प का क्षेत्र, युवा उद्यमियों और डिजाइनरों के लिए उद्यम स्थापित करने का अच्छा अवसर प्रदान करता है। शिल्पकारों का skill development करके, नई technology अपना कर, और निवेश बढ़ाकर, युवा उद्यमी हस्तशिल्प के उत्पादन और बिक्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
देवियो और सज्जनो,
कलाकारों की प्रतिभा उन्हें सम्मान दिलाती है। उनकी लगन, मेहनत और कला प्रति समर्पण का उनका भाव, हमारी परंपराओं को जीवंत रखते हैं। मेरा मानना है कि कलाकारों की सृजनात्मक साधना से भारत की सांस्कृतिक पहचान सशक्त होती है। हमने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाज में सृजनात्मकता को प्रोत्साहन देना भी महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि आज का सम्मान न केवल पुरस्कार विजेताओं को और आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा बल्कि युवा शिल्पकारों को भी सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगा। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं!
धन्यवाद,
जय हिंद!
जय भारत!
