भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल के शुभारम्भ के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 02.05.2025

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वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सम्मान के लिए समर्पित इस महत्वपूर्ण अवसर पर उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। वरिष्ठ नागरिक ज्ञान, विवेक और परंपरा के स्रोत हैं। ‘Ageing with Dignity’ की थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में उनके लिए प्रारंभ किए गए सभी प्रयासों के लिए मैं सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की टीम की सराहना करती हूं।

वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल का शुभारम्भ करके मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। मुझे बताया गया है कि यह पोर्टल हमारे वरिष्ठ नागरिकों के लिए One-Stop Digital Platform के रूप में काम करेगा। आज मुझे पांच वरिष्ठ नागरिक गृहों का वर्चुअल उद्घाटन करने का भी अवसर मिला है, जिन्हें न केवल आश्रय बल्कि अच्छी संगति, देखभाल और सम्मान देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मुझे यह भी बताया गया है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिक गृहों के लिए न्यूनतम मानक भी तैयार किए हैं। ये मानक बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी सुविधाओं में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण वातावरण मिले। मैं मंत्रालय की इस सोच और पहल के लिए पूरी टीम की सराहना करती हूं।

देवियो और सज्जनो,

माता-पिता और बड़ों का सम्मान करना हमारी संस्कृति में है। वरिष्ठ नागरिक, परिवार और समाज का आदरणीय अंग हैं। आमतौर पर परिवारों में यह देखा जाता है कि बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ बहुत खुश रहते हैं। बहुत बार परिवार में ऐसा होता है कि जो बात बच्चे माता-पिता के कहने से नहीं मानते, वही बात जब घर के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं तो वे सहजता से मान लेते हैं। बजुर्ग जब अपने परिवार को फलता-फूलता देखते हैं तो उनका शरीर और मन स्वस्थ रहता है। वे परिवार के लिए एक भावनात्मक स्तंभ के रूप में कार्य करते हैं।

देवियो और सज्जनो,

बुजुर्गों को आज कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण के समय में युवाओं को रोजगार के लिए घर से दूर जाना पड़ता है। बुजुर्ग यदि उनके साथ नहीं जा पाते तो वे उस सम्मान, प्यार और देखभाल से वंचित हो जाते हैं जिनकी उन्हें बहुत ज़रूरत होती है। कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि जो माता-पिता बच्चों के साथ रहते हैं, उन्हें भी उनका प्यार और समय नहीं मिल पाता। अत्यंत दुःख की बात यह है कि कई लोग बुजुर्गों को बोझ मानते हैं और उनसे अशिष्ट व्यवहार भी करते हैं। यहाँ तक कि कई बार तो उच्चतम न्यायालय को माता-पिता को उनका उचित सम्मान दिलाने के लिए उनके बच्चों को आदेश देना पड़ा है।

आज के प्रतिस्पर्धा वाले और quick-paced life में हमारी युवा पीढ़ी के लिए वरिष्ठ नागरिकों का साथ, प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके पास अनुभवों और ज्ञान का भंडार है, जो युवा पीढ़ी को जटिल चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है।

वृद्धावस्था आध्यात्मिक रूप से खुद को सशक्त बनाने, अपने जीवन और कार्यों का विश्लेषण करने, और सारपूर्ण जीवन जीने का चरण भी है। आध्यात्मिक रूप से सशक्त हमारे वरिष्ठ नागरिक देश और समाज को अधिक समृद्धि और प्रगति की ओर ले जा सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

यह प्रसन्नता की बात है कि भारत सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए अनेक कदम उठाए हैं। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को 5 लाख रुपए प्रति परिवार तक का स्वास्थ्य कवरेज दिया जा रहा है। वृद्ध लोगों का अच्छा स्वास्थ्य परिवार और समाज के उचित मार्गदर्शन के लिए आवश्यक है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही अटल वयो अभ्युदय योजना, अव्यय भी वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से की गयी एक व्यापक पहल है। इस योजना के माध्यम से सरकार समाज में बुजुर्गों के अमूल्य योगदान को मान्यता देती है। सरकार का उद्देश्य उन्हें सशक्त बनाना और उनका उत्थान करना है, ताकि जीवन के सभी पहलुओं में उनकी सक्रिय भागीदारी और समावेश सुनिश्चित हो सके।

अव्यय योजना के अंतर्गत चलायी जा रही राष्ट्रीय वयोश्री योजना के माध्यम से आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क सहायता और सहायक उपकरण प्रदान किए जाते हैं। इन सहायता और सहायक उपकरणों से उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है और कहीं आने जाने की आज़ादी भी मिलती है। मुझे बताया गया है कि अब तक पूरे देश में 5 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिक इस योजना से लाभान्वित हुए हैं।

देवियो और सज्जनो,

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का ब्रह्माकुमारी जैसी आध्यात्मिक संस्था के साथ सहयोग, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आध्यात्मिक संस्थानों की पहुंच और प्रभाव का लाभ उठाकर, उनकी साझेदारी से बुजुर्गों को भावनात्मक समर्थन, सामुदायिक देखभाल और आध्यात्मिक संबल प्रदान किया जा सकता है। आध्यात्मिकता को व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनाने के लिए मैं ब्रह्माकुमारी संस्था की सराहना करती हूं।

वरिष्ठ नागरिक अतीत से जुड़ने की कड़ी हैं और भविष्य के मार्गदर्शक भी हैं। हमारे वरिष्ठ नागरिक, वृद्धावस्था का समय सम्मान और सक्रियता के साथ बिताएं, एक राष्ट्र के रूप में, यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

मैं सभी नागरिकों से बुजुर्गों की ख़ुशी और उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होने, उनके मार्गदर्शन को महत्व देने और उनकी बहुमूल्य संगति का आनंद लेने का आह्वान करती हूं।

हमारी परंपरा में यजुर्वेद की यह प्राचीन प्रार्थना बहुत लोकप्रिय है:
पश्येम शरदः शतं
जीवेम शरदः शतं
श्रुणुयाम शरदः शतं
प्रब्रवाम शरदः शतं
अदीनाः स्याम शरदः शतं
भूयश्च शरदः शतात्॥
इसका अर्थ है:
हम सौ वर्षों तक देखें अर्थात हमारी देखने की क्षमता बनी रहे, हम सौ वर्षों की आयु प्राप्त करें। सौ वर्षों तक हमारी सुनने की क्षमता बनी रहे। हम सौ वर्षों तक बोलने में समर्थ रहें। हम सौ वर्षों तक आत्मनिर्भर रहें अर्थात हमें दूसरों पर निर्भर न होना पड़े, और यह सब सौ वर्षों के बाद भी चलता रहे अर्थात हम सौ वर्ष ही नहीं बल्कि उसके आगे भी, नीरोग रहते हुए जीवनयापन कर सकें।

इसी प्रार्थना के साथ में सभी वरिष्ठ नागरिकों की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और सक्रियता की मंगलकामना करती हूं।

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!

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