भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का विविधता का अमृत महोत्सव के दूसरे संस्करण के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

राष्ट्रपति भवन : 05.03.2025
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आज भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता के इस महोत्सव के दूसरे संस्करण के शुभारंभ के अवसर पर मैं आप सब को बधाई देती हूँ। यह हम सब के लिए प्रसन्नता का विषय है कि राष्ट्रपति भवन में देश के दक्षिणी राज्यों की समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक विरासत की झलक सब लोग देख पाएंगे। साथ ही उनके हस्त-शिल्प, हस्त-करघा, लोक-नृत्य, लोक-गीत, खान- पान तथा वहाँ के प्रतिभाशाली कलाकारों और कारीगरों को भी करीब से जानने का अवसर हम सभी को मिलेगा। मैं केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी और उनकी पूरी टीम की इस प्रयास में भागीदारी के लिए सराहना करती हूँ।

देश के अलग-अलग क्षेत्रों की अनूठी परंपराओं को इस उत्सव में प्रदर्शित किया जाता है। पिछले साल आयोजित, पहला संस्करण, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर केंद्रित था। उसे बहुत पसंद किया गया और सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों के कारीगरों और कलाकारों को प्रोत्साहित किया गया। पहले संस्करण में सवा लाख से अधिक आगंतुकों ने भागीदारी की थी।

मुझे खुशी है कि ऐसे आयोजनों के द्वारा यहाँ पर देश के कुशल और निपुण दस्तकारों, शिल्पकारों, गायकों, कलाकारों आदि को अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि इस उत्सव के माध्यम से देश के दक्षिणी राज्यों की कला-संस्कृति का अधिक प्रचार-प्रसार होगा और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की सोच को आगे बढ़ाने का भी हमें अवसर मिलगा।

इस संस्करण में दक्षिण भारत के पांच राज्यों - कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ लक्षद्वीप और पुडुचेरी की जीवंत सांस्कृतिक विरासत की विशेष जानकारी लोगों को मिलेगी। विविधता का अमृत महोत्सव के इस दक्षिण भारतीय संस्करण में लगभग 500 कारीगर और बुनकर शामिल हो रहे हैं। वे काँजीवरम और पोचमपल्ली इकत से लेकर एटीकोपक्का toys का प्रदर्शन करेंगे। अनेक कलाकार पारंपरिक लोक-नृत्य तथा गीतों की प्रस्तुति द्वारा दक्षिण भारत की अनुपम झलक भी दिखाएंगे। मैं लोगों से आग्रह करती हूँ कि इस उत्सव में भागीदारी करें और दक्षिण भारत की कला-संस्कृति को जानें और उसका प्रसार भी करें। साथ ही, सभी कारीगरों और कलाकारों का मनोबल भी बढ़ाएं।

पिछले वर्ष राष्ट्रपति निलयम, सिकंदराबाद में भी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर उत्सव का आयोजन किया गया था जिसमें अनेक आगंतुक आए और सबकी भागीदारी से उस आयोजन में भी कारीगरों और कलाकारों को खूब प्रोत्साहन मिला। सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ inclusivity यानि समावेशिता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी सोच के साथ राष्ट्रपति भवन में दिव्यांगजन को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए purple fest का आयोजन और मिट्टी कैफे खोलने जैसे महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं। जनजातीय समाज के भाई-बहनों, self-help groups की महिलाओं को भी अनेक अवसरों पर यहाँ आमंत्रित किया जाता है। मुझे विश्वास है कि ऐसे सभी प्रयासों के माध्यम से देशवासियों को देश की समृद्ध विरासत से जुड़ने का अच्छा अवसर मिलेगा और वे देश के समावेशी और स्थाई विकास में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित भी होंगे।

मैं आप सब के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करती हूँ और इस आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं देती हूँ।

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!
 

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