भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का विजयवाड़ा में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में सम्बोधन (HINDI)

विजयवाड़ा : 04.12.2022
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का विजयवाड़ा में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में सम्बोधन

राष्ट्रपति के रूप में आंध्र प्रदेश की अपनी पहली यात्रा के दौरान आपके आमंत्रण और स्नेहपूर्ण अतिथि-सत्कार के लिए आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री बिस्वभूषण हरिचंदन जी, मुख्यमंत्री श्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी जी और आंध्र प्रदेश के लगभग पांच करोड़ निवासियों को मैं धन्यवाद देती हूं।

तिरुमला-तिरुपति से सभी देशवासियों को आशीर्वाद देने वाले भगवान श्री वेंकटेश्वर बालाजी की पवित्र धरती पर आने को मैं अपना परम सौभाग्य मानती हूं। कल मैं तिरुपति मंदिर में श्री बालाजी से सभी देशवासियों के कल्याण हेतु प्रार्थना करूंगी और मुझे विश्वास है कि भगवान मेरी प्रार्थना अवश्य स्वीकार करेंगे। विजयवाड़ा के इस क्षेत्र को देवी कनक-दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है।

गोदावरी, कृष्णा, पेन्नार, वंशधारा और नागावली जैसी नदियों ने आंध्र की धरती को सिंचित किया है और यहां की समृद्ध परंपराओं को प्राण-शक्ति प्रदान की है। हम सभी देशवासियों को, अपनी नदी-माताओं की स्वच्छता और संरक्षण के लिए सदैव तत्पर रहना है।

महान बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन के नाम पर ‘नागार्जुन सागर परियोजना’ का विकास, प्रगति को विरासत से जोड़े रखने का बहुत अच्छा उदाहरण है। नागार्जुन-कोंडा और अमरावती में भारत की आध्यात्मिक विविधता का परिचय तो मिलता ही है, साथ ही, हमारे देश की श्रेष्ठ कला-परंपरा का दर्शन भी होता है। विजयवाड़ा के निकट ही स्थित कुचिपुड़ी गांव से भारत की एक महान नृत्यकला विकसित हुई और उस गांव का नाम हमारी सांस्कृतिक परंपरा में सदा के लिए अंकित हो गया है।

तेलुगु भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा से सभी देशवासी परिचित हैं।‘देस-भाषा-लन्दु तेलुगु लेस्सा’ अर्थात देश की सभी भाषाओं में तेलुगु श्रेष्ठ है, इस अभिव्यक्ति में भारतीय भाषाओं के प्रति गर्व की भावना निहित है। कवि-त्रयम, यानि नन्नय्या-तिक्कना-येर्रन्ना ने भारतीय भाषाओं की अद्भुत अभिव्यक्ति-क्षमता का उदाहरण सदियों पहले प्रस्तुत किया। भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठता को फिर से स्थापित करने की यही भावना ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी परिलक्षित होती है।

देवियो और सज्जनो,

आंध्र प्रदेश की इस धरती की महान सुपुत्री और पूरे भारत का गौरव बढ़ाने वाली कवयित्री मोल्ला का मैं विशेष उल्लेख करना चाहती हूं। आज से लगभग550 वर्ष पहले के रूढ़िवादी समाज में पैदा हुई मोल्ला ने एक अद्भुत महाकाव्य रचा जिसे मोल्ला-रामायण के नाम से भारतीय साहित्य में उच्च स्थान प्राप्त है। महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की दृष्टि से आन्ध्र प्रदेश अनुकरणीय राज्यों में से एक है। प्रसिद्ध नाटककार और समाज सुधारक, गुरजाडा अप्पा राव द्वारा लगभग 130 वर्ष पहले लिखा गया ‘कन्या सुल्कम’ नाटक आज भी लोकप्रिय है।

आंध्र प्रदेश में जन्म लेने वाली दुर्गाबाई देशमुख ने आज से लगभग 100 वर्ष पहले महिलाओं की उन्नति तथा स्वाधीनता संग्राम में उनकी भागीदारी के लिए अनेक प्रयास किए। उन्होंने ‘आंध्र महिला सभा’ की स्थापना की तथा समाज-कल्याण के बहुत से कार्य किये। दुर्गाबाई देशमुख से भी पहले आंध्र की बहू सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी के ‘नमक सत्याग्रह’ में अग्रणी भूमिका निभाई जिसके कारण उन्हें कारावास का दंड दिया गया। स्वाधीन भारत में किसी भी राज्य की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश में कार्यभार संभालाथा। जब मुझे झारखंड के राज्यपाल-पद की जिम्मेदारी सौंपी गई तो मैं पूरी विनम्रता से यह बात हमेशा याद रखती थी कि सरोजिनी नायडू जैसी महान महिलाओं ने जो आदर्श प्रस्तुत किये हैं, उनके अनुसार साहसपूर्वक कार्य करना तथा जन-सेवा में लगे रहना ही देश की सेवा करने का सही रास्ता है।

महिला सशक्तीकरण तथा राष्ट्र-निर्माण के संदर्भ में अपनी पैतृक भूमि आंध्र के निवासियों के प्रगतिशील और उदार दृष्टिकोण को व्यक्त करते हुए भारत के दूसरे राष्ट्रपति,भारत-रत्न से सम्मानित डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन् की कुछ पंक्तियों को मैं आप सबके सामने प्रस्तुत करना चाहूंगी। Dr. Radhakrishnan had said, and I quote, "We, the Andhras, are fortunately situated in some respects. …… The hold of conservatism is not strong. Our generosity of spirit and open-ness of mind are well known… Our women are relatively more free.” Unquote. डॉक्टर राधाकृष्णन के अलावा आंध्र प्रदेश से जुड़े भारत-रत्न से सम्मानित, पूर्व राष्ट्रपति श्री वी. वी. गिरि तथा पूर्व राष्ट्रपति श्री नीलम संजीव रेड्डी को याद करके मैं विनम्रता से भर जाती हूं। ऐसी विभूतियों का स्मरण करना कर्तव्य-पालन में सहायक होता है।

देवियो और सज्जनो,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के इस ऐतिहासिक दौर में सभी देशवासी यह याद करते हैं किहमारे देश के स्वाधीनता संग्राम में आंध्र के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इस वर्ष, ‘मण्यम वीरुडु’अल्लुरि सीताराम राजू गारू की 125वीं जयंती भी मनाई जा रही है। केवल27 वर्ष की अल्पायु में भारत-माता के लिए प्राणों का उत्सर्ग करने वाले अल्लुरि सीताराम राजू गारू और25 वर्ष की अल्पायु में वीरगति को प्राप्त होने वाले भगवान बिरसा मुंडा जैसी विभूतियों ने, भारत के स्वाधीनता संग्राम को जो योगदान दिया उसके विषय में हमारी युवा पीढ़ी को भली-भांति परिचित होना चाहिए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि ‘अल्लुरि सीताराम राजू मेमोरियल जन-जातीय स्वतन्त्रता सेनानी संग्रहालय’ का निर्माण किया जा रहा है। प्रति वर्ष, 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ मनाने तथा देश भर में जनजातीय महानायकों की स्मृति मेंMuseumsऔरMemorialsका निर्माण करने के ऐतिहासिक निर्णयों के लिए सभी देशवासियों की ओर से मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देती हूं।‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाते हुए आंध्र प्रदेश के निवासियों को विशेष गर्व का अनुभव होता होगा कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज‘तिरंगा झण्डा’ को आंध्र के ही पिंगली वेंकैय्या जी ने इतना सुंदर स्वरूप प्रदान किया।

देवियो और सज्जनो,

अमृत-काल में आधुनिक प्रगति की यात्रा में आगे बढ़ते हुए सभी देशवासी यह याद रखते हैं कि भारत मेंmodern science and technology के विकास में आन्ध्र-प्रदेश की अग्रणी भूमिका रही है। देश की युवा पीढ़ी को आज से ठीक100 वर्ष पहले,सन् 1922 में, Harvard Medical Schoolजा कर अध्ययन करने तथा pharmacy और bio-chemistryके क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान देने वाले डॉक्टर येल्लाप्रगडा सुब्बाराव के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। डॉक्टर सुब्बाराव के अनुसन्धानों से मानवता के हित में अनेक दवाओं का बनाया जाना संभव हुआ। यह उल्लेखनीय है कि आयुर्वेद में भी उनकी गहरी रुचि थी। मैं एक बार फिर‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उल्लेख करना चाहूंगी। इस नीति के अनुसार, हमारे विद्यार्थियों को अपनी परंपरा के गौरव को बनाए रखते हुए आधुनिक विश्व में अपना प्रमुख स्थान बनाना है। यही कार्य डॉक्टर सुब्बाराव ने एक शताब्दी पहले किया था।

आधुनिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आंध्र प्रदेश में स्थित ISRO के श्रीहरिकोटा रेंज से अंतरिक्ष-विज्ञान के नए प्रतिमान निरंतर स्थापित किए जा रहे हैं। विज्ञान और तकनीकी, विशेषकरinformation technology के क्षेत्र में आंध्र प्रदेश के लोगों ने पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। आंध्र प्रदेश केTelugu diaspora का पूरे विश्व में प्रभावशाली स्थान है। उनमें बड़ी संख्याtechnology professionalsकी है।

देवियो और सज्जनो,

राज्यपाल श्री हरिचंदन जी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री जगन मोहन रेड्डी जी के ऊर्जावान नेतृत्व में तथा आंध्र प्रदेश के प्रतिभाशाली और निष्ठावान लोगों के सहयोग से इस राज्य की विकास-यात्रा आगे बढ़ रही है। इसके लिए मैं राज्य सरकार की पूरी टीम की सराहना करती हूं। आंध्र प्रदेश के निवासी भारत के विकास में अपना असाधारण योगदान देते रहेंगे यह मेरा दृढ़ विश्वास है। मैं आंध्र प्रदेश के सभी भाई-बहनों और बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की शुभकामना व्यक्त करते हुए अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद,  
जय हिन्द!  
जय भारत!  
जय आंध्र प्रदेश!

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