भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोलकाता में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में सम्बोधन (HINDI)

कोलकाता : 27.03.2023
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोलकाता में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में सम्बोधन

बांगलार भाई-बोनेदेर के जानाइ आमार शुभेच्छा!

मातृ-शक्ति की ऊर्जा से भरी बंगाल की पावन माटी को मैं सादर प्रणाम करती हूँ। अपनी अद्भुत कला से, माटी की बनी देवी की प्रतिमाओं में, दिव्यता का संचार करने वाले बंगाल के मूर्तिकार भाई-बहनों को भी मैं नमन करती हूँ।

कल मुझे श्री रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित बेलूर-मठ में प्रवाहित दिव्य-चेतना की धारा में अवगाहन करने का अवसर मिलेगा। माँ गंगा के एक तट पर दक्षिणेश्वर और दूसरे तट पर बेलूर-मठ, दो आध्यात्मिक दीप-स्तंभों की तरह मानवता को प्रकाशित कर रहे हैं, और करते रहेंगे।

नवद्वीप से नीलाचल की ऐतिहासिक यात्रा करने वाले श्री चैतन्य महाप्रभु ने ईश्वर भक्ति और मानव-प्रेम की जो शिक्षाएं दी हैं, वे सदैव हमारा पथ- प्रदर्शन करती रहेंगी। गौड़ीय मठ और Shrimad A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada ने पूरे विश्व में कृष्ण-भावना के अमृत-संदेश का प्रसार किया है।

आज सभी देशवासी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। भारत-माता के गौरव-गान तथा स्वाधीनता-संग्राम के मंत्र के रूप में, हमारा राष्ट्र-गीत ‘वंदे मातरम्’ बंगाल की धरती से निकला और बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय हमारी आज़ादी की लड़ाई के आदिकवि बन गए। आधुनिक युग में एक नई मानव- चेतना जागृत करने वाले इसी बंग-भूमि के सपूत, कवि-गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने देशवासियों को ‘जन-गण-मन’ के राष्ट्र-गान का उपहार दिया है। बंगाल की यही धरती ‘जय हिन्द’ का राष्ट्रीय जन-घोष करने वाले उत्कल-बंग के संगम-स्वरूप, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रमुख कर्म-स्थली भी रही है।

आज मुझे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जन्म-स्थली और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की कर्म-स्थली में जाकर, उन दोनों महान विभूतियों को सादर पुष्पांजलि अर्पित करने का अवसर मिला। इसे मैं अपना परम सौभाग्य मानती हूं। इस stadium का नाम नेताजी के नाम पर रखे जाने से यह stadium उनके महान आदर्शों का एक जीवंत प्रतीक बन गया है।

देवियो और सज्जनो,

आत्म-सम्मान तथा राष्ट्र-गौरव के लिए मर-मिटने की भावना, बंगाल की पहचान रही है। केवल 18 वर्ष की अल्पायु में, भारत माता के लिए फांसी चढ़ जाने वाले, खुदीराम बोस से जुड़ा यह गीत बंगाल का बच्चा-बच्चा आज भी गाता है:

ऐक बार बिदाई दे माँ, घूरे आशी,   
हांशी-हांशी पोरबो फांशी, देखबे भारोतबाशी।

खुदीराम बोस सहित, बिनय-बादल-दिनेश, राश-बिहारी बोस और श्री औरोबिंदो, जैसे अनेक शूरवीरों तथा मातंगिनी हाज़रा एवं कल्पना दत्ता जैसी अनेक वीरांगनाओं की जन्म-दात्री बंग-भूमि को मैं सादर नमन करती हूं। महान कवि-नाट्यकार श्री द्विजेंद्र लाल राय के गीत ‘धन-धान्य पुष्प भरा, आमादेर एइ बोशुंधरा’ की एक पंक्ति सभी भारतवासियों के राष्ट्र-गौरव को व्यक्त करती है:

एमोन देश् टी कोथाओ खूजे, पाबो नाको तूमी   
शोकोल देशेर रानी शेइ जे, आमार जोन्मो-भूमी

बांग्‍ला भाषा मुझे बहुत ही मीठी लगती है। इसकी मिठास जब मेरे कान में पड़ती है तो मुझे लगता है कि मैं अपने गाँव-जिले के आस-पास ही हूँ।

देवियो और सज्जनो,

आधुनिक इतिहास में भारतीय नव-जागरण की ज्योति प्रकाशित करने वाले राजा राममोहन राय और ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का हमारा देश सदैव ऋणी रहेगा।

त्याग और बलिदान, संस्कृति और शिक्षा इस बंग-भूमि के जीवन आदर्श रहे हैं। यहां के लोग सुसंस्कृत और प्रबुद्ध होते हैं। बंगाल की धरती ने एक तरफ अमर क्रांतिकारियों को, तो दूसरी तरफ विश्व-स्तर के वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। राजनीति से न्याय व्यवस्था तक, विज्ञान से दर्शन तक, अध्यात्म से खेलकूद तक, संस्कृति से व्यापार तक, पत्रकारिता से साहित्य, सिनेमा, संगीत, नाटक, चित्रकला तथा अन्य कला विधाओं तक, अनेक क्षेत्रों में नए मार्गों का संधान करने वाली बंगाल की विलक्षण प्रतिभाओं की सूची इतनी लंबी है, कि उन सबका एक साथ उल्लेख करना संभव ही नहीं है। फिर भी, देश की राजनीति को मार्गदर्शन देने वाले देशबन्धु चितरंजन दास और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे बंगाल के सपूतों के नाम का स्वतः स्मरण हो जाता है।

विश्व-सिनेमा में सर्वोच्च स्तर पर सम्मान प्राप्त करने वाले, भारत-रत्न से सम्मानित श्री सत्यजीत राय तथा महानायक श्री उत्तम कुमार को भला कौन भूल सकता है? केवल बंगाल ही नहीं, अपितु पूरे देश के खेल-प्रेमियों के हृदय में बसने वाले श्री सौरभ गांगुली ने क्रिकेट जगत में अपना अनुपम स्थान बनाया है।

हमारे देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति, भारत-रत्न से सम्मानित, श्री प्रणब मुखर्जी जी ने आधुनिक भारतीय राजनीति को अप्रतिम योगदान दिया है। बीरभूम स्थित अपने गांव मिराटी से उन्होंने लगातार संपर्क बनाए रखा। सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचने के बाद भी, बंगाल के लोग, अपनी माटी से जुड़ाव बनाए रखते हैं तथा भारत-माता के गौरव को बढ़ाते रहते हैं। इस विशेषता के लिए मैं बंगाल के लोगों की भावना और संस्कृति की सराहना करती हूं।

बंगाल के लोगों ने सामाजिक न्याय, समानता तथा आत्म-सम्मान के आदर्शों को सदैव प्राथमिकता दी है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस stadium से थोड़ी ही दूरी पर स्थित भूतपूर्व East Esplanade के एक मार्ग को ‘सिदो-कान्हू-डहर’ का नाम दिया गया है। किसी भी नए नाम के लोगों की जबान पर चढ़ने में थोड़ा समय लगता है। मुझे विश्वास है कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने की बंगाल की विरासत के अनुरूप, इस राज्य के, विशेषकर कोलकाता के संवेदनशील और प्रबुद्ध नागरिक, ‘सिदो-कान्हू-डहर’ के नाम का और अधिक उपयोग करेंगे। इससे हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों को, विशेषकर हमारे आदिवासी भाई-बहनों के आत्म-विश्वास और आत्म-गौरव को शक्ति मिलेगी।

देवियो और सज्जनो,

राज्य सरकार द्वारा आयोजित इस अत्यंत प्रभावशाली नागरिक अभिनंदन के लिए राज्यपाल, डॉक्टर सी. वी. आनंद बोस जी, मुख्यमंत्री, सुश्री ममता बनर्जी जी तथा सभी प्रिय बोन्गो बाशी बहनो और भाइयो को मैं हार्दिक धन्यवाद देती हूं।

आज के समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सफल पहचान बनाने वाले बंगाल के प्रतिभाशाली लोगों से सम्मान प्राप्त करके मैं अभिभूत हूं। आप सभी महानुभावों को मैं विशेष धन्यवाद देती हूं।

मेरे प्रति स्नेह, उत्साह और आदर का जो अनुभव मैंने यहां किया है उसके लिए धन्यवाद देने हेतु मेरे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं। इस समारोह की मधुर स्मृतियां मेरे मानस-पटल पर सदैव अंकित रहेंगी। इसी भावना के साथ, मैं बंगाल के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगल-कामना करती हूं और अपनी वाणी को विराम देती हूं।

जय हिन्द!   
जय भारत!   
जॉय बांग्ला!

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