भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर संबोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 26.12.2025
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आप सभी बच्चों को मैं हृदय से ढेर सारा आशीर्वाद देती हूं!
आज राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मैं सभी बच्चों को बहुत- बहुत बधाई देती हूं। सभी बच्चों ने अपने परिवार, समाज और पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। इसलिए, मैं बच्चों के परिवारों के सदस्यों को भी बधाई देती हूं।
इतने अच्छे और होनहार बच्चों के लिए पुरस्कार समारोह का आयोजन करने के लिए मैं महिला एवं बाल विकास मंत्री, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी जी और उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।
प्यारे बच्चो,
वर्ष 2022 से, आज के दिन, हम सभी देशवासी, ‘वीर बाल दिवस’ मनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आज हम वीर बाल दिवस क्यों मनाते हैं? इसके पीछे हमारे इतिहास का एक बहुत ही प्रेरक अध्याय है।
लगभग 320 वर्ष पूर्व, सिख पंथ के दसवें गुरु और सभी भारतवासियों के लिए पूजनीय, गुरु गोबिन्द सिंह जी और उनके चारों बेटों ने सत्य और न्याय के पक्ष में युद्ध और संघर्ष करते हुए बलिदान दिया था।
आज के दिन हम उनके दो सबसे छोटे साहिबज़ादों का स्मरण करते हैं जिनकी वीरता का सम्मान देश-विदेश में किया जाता है। उनका नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है। केवल नौ साल के बाबा जोरावर सिंह जी और उनसे भी छोटे, सात साल के बाबा फतेह सिंह जी ने निडरता और साहस का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया था। जीते-जी उनके सभी ओर दीवारें बना दी गईं और वे हवा और प्रकाश के अभाव में वीर-गति को प्राप्त हुए। सच्चाई और न्याय के लिए गौरव के साथ मर-मिटने वाले उन महान वीर बालकों को हम सादर प्रणाम करते हैं। उन दोनों साहिबज़ादों के सम्मान में हर वर्ष, इस सप्ताह के दौरान, पंजाब में स्थित गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में, श्रद्धालु-जन एकत्र होते हैं। वीर बाल दिवस पर उनका स्मरण-उत्सव, देश-प्रेम और राष्ट्रीय एकता का उत्सव भी है।
जिस देश के बच्चे देशप्रेम की भावना और ऊंचे आदर्शों से भरे होते हैं उस देश की महानता सुनिश्चित रहती है।
देवियो और सज्जनो,
आज शहीद उधम सिंह जी की जयंती का पावन दिवस है। सभी देशवासियों की ओर से उनकी स्मृति को मैं सादर नमन करती हूँ।
प्यारे बच्चो,
आज के दिन प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान करके आपको प्रोत्साहित किया गया है। इन पुरस्कारों से देश के सभी बच्चों को प्रेरणा मिलेगी। मैं चाहूंगी कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा अधिक से अधिक देशवासियों को आपके असाधारण योगदान से परिचित कराया जाए।
मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि सभी पुरस्कार विजेता बच्चों ने अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिये हैं। वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, innovation, science & technology, समाज-सेवा और खेल-कूद जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आपकी असाधारण बाल-प्रतिभा का परिचय प्राप्त हुआ है।
प्यारे बच्चो,
आप सब ने एक से बढ़कर एक काम किया है। मैं सबके बारे में बात करना चाहती हूं। समय के अभाव के कारण मैं कुछ बच्चों का ही उल्लेख कर पाउंगी। लेकिन मैं यह कहना चाहती हूं कि आप सभी बच्चों का काम और नाम मेरे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है।
आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों में सबसे कम आयु की बेटी वाका लक्ष्मी प्राज्ञिका केवल सात वर्ष की हैं। ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों के बल पर भारत को विश्व-पटल पर chess powerhouse माना जा रहा है।
अपनी वीरता और बुद्धिमानी से दूसरे के जीवन की रक्षा करने वाले अजय राज और मोहम्मद सिदान पी की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है। अपनी वीरता से दूसरों की प्राण-रक्षा करते हुए हमारी नौ वर्ष की बेटी व्योमा प्रिया और ग्यारह वर्ष के बहादुर बेटे कमलेश कुमार ने अपने प्राण गंवाए। हमारा समाज उन बच्चों को कृतज्ञता के साथ सदैव याद करता रहेगा।
प्यारे बच्चो,
दस वर्ष के शवण सिंह, Operation Sindoor के दौरान, युद्ध से जुड़े जोखिम के बीच, अपने घर के पास सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों के लिए रोज पानी, दूध और लस्सी जैसी चीज़ें पहुंचाते रहे।
हमारी दिव्यांग बेटी शिवानी होसुरु उप्पारा ने आर्थिक और शारीरिक सीमाओं को पार करते हुए खेल जगत में असाधारण उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
वैभव सूर्यवंशी ने कड़ी प्रतिस्पर्धा और अनेक प्रतिभाओं से युक्त क्रिकेट जगत में अपनी अलग पहचान बना ली है और अनेक records अपने नाम कर लिए हैं।
मुझे विश्वास है कि आप जैसे वीर और प्रतिभाशाली बच्चे निरंतर अच्छा काम करते रहेंगे और भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाएंगे। आप सभी बच्चों को एक बार फिर मैं बधाई और आशीर्वाद देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!
