भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का महात्मा गांधी की 12-फुट ऊंची ध्यान मुद्रा में बैठी प्रतिमा के अनावरण और गांधी वाटिका के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

गांधी दर्शन, नई दिल्ली : 04.09.2023
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का महात्मा गांधी की 12-फुट ऊंची ध्यान मुद्रा में बैठी प्रतिमा के अनावरण और गांधी वाटिका के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ध्यान मुद्रा में बैठी प्रतिमा के अनावरण और अलग-अलग मुद्राओं में उनकी मूर्तियों से युक्त गांधी वाटिका के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस अवसर पर मैं, शांतिदूत और पूरी मानवता के हित में आजीवन समर्पित रहने वाले, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सादर नमन करती हूँ। गांधी जी के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को मूर्त रूप देने के इस प्रयास के लिए, मैं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष, श्री विजय गोयल जी व उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।

यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि यह समिति, बापू के विचारों को सामान्य जन तक पहुँचाने के लिए अनेक कदम उठा रही है। महात्मा गांधी की प्रतिमा और गांधी वाटिका की स्थापना इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। मुझे विश्वास है कि इस वाटिका में गांधीजी की विभिन्न मुद्राओं में स्थापित प्रतिमाएं और अंकित कथन, यहाँ आने वाले पर्यटकों को, विशेषकर बच्चों और युवाओं को प्रेरित करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

महात्मा गांधी पूरे विश्व समुदाय के लिए एक अमूल्य देन हैं। उनके आदर्शों और मूल्यों ने सम्पूर्ण विश्व को एक नयी दिशा दी है। अहिंसा का मार्ग उन्होंने उस समय दिखाया जब विश्व कई तरह के द्वेष और कलह से ग्रस्त था। वह कालखंड था विश्व-युद्धों का। गांधी जी के सत्य और अहिंसा के प्रयोग ने, उन्हें महामानव का दर्जा दिया। यही वजह है कि उनकी प्रतिमाएं विश्व के अनेक देशों में स्थापित हैं। उनको जानने और मानने वाले लोग दुनिया भर में फैले हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला से लेकर नागरिक अधिकारों के पैरोकार, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति, बराक ओबामा तक ने गांधी जी द्वारा दिखाये गए सत्य और अहिंसा के मार्ग को विश्व-कल्याण का मार्ग माना। बापू के आदर्श और मूल्य शाश्वत हैं। उनके दिखाए रास्ते पर चल कर, आज भी विश्व शांति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

सत्य और अहिंसा के साथ-साथ गांधी जी ने स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता, स्वच्छता, ग्राम-स्वराज और सर्वोदय जैसे अनेक विषयों पर अपने अमूल्य विचार दिए हैं। उनका सपना एक ऐसे भारत के निर्माण का था जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर तो हो ही, साथ ही नैतिक रूप से सबल भी हो।

देवियो और सज्जनो,

यह खुशी की बात है कि गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के अध्यक्ष और भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी गांधी जी के आदर्शों को आत्मसात करते हुए भारत को विकास के पथ पर आगे बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2014 में, गांधी जयंती के दिन ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरूआत की गई थी। यह बापू के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम था। गांधी जी के आत्मनिर्भरता के विचार से प्रेरणा लेकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं।

गांधी जी, सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन में भी शुचिता पर बहुत बल देते थे। उनका मानना था कि नैतिकता के बल पर ही हिंसा का सामना अहिंसा द्वारा किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति में आत्म-बल की कमी होगी तो वह विपरीत परिस्थितियों में संयमित आचरण नहीं कर पाएगा। आज की तेजी से बदलती हुई और प्रतिस्पर्धा से भरी दुनिया में आत्म-बल और संयम की बहुत आवश्यकता है।

देवियो और सज्जनो,

गांधी जी के लिए पूरा विश्व एक परिवार था। आज भारत G20 का नेतृत्व करते हुए विश्व-बंधुत्व, विश्व-सहयोग और विश्व-शांति को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। मुझे विश्वास है कि G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए लोग, ‘गांधी दर्शन’ आएंगे और गांधी जी के बारे में जानेंगे।

गांधी जी के आदर्श और मूल्य हमारे देश और समाज के लिए आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक, खासकर युवा और बच्चे, गांधी जी के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ें, जानें और उनके विचारों को आत्मसात करें। इस प्रयास में, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति और ऐसे अन्य संस्थानों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। मेरी आप लोगों से अपील है कि आप पुस्तकों, फिल्मों, गोष्ठियों, cartoons जैसे माध्यमों द्वारा गांधी जी के जीवन और विचारों से युवाओं और बच्चों को अधिक से अधिक अवगत कराएं। आपका यह प्रयास गांधी के सपनों के भारत के निर्माण में अहम होगा।

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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