भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का जनजातीय गौरव दिवस पर सम्बोधन(HINDI)

अम्बिकापुर : 20.11.2025

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 धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती से जुड़े, इस ऐतिहासिक समारोह में, आप सबके साथ शामिल होकर, मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आज से बीस दिन पहले, देशवासियों ने छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के पचीस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में रजत जयंती का उत्सव मनाया। छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की विकास-यात्रा के लिए मैं राज्य के सभी निवासियों को हार्दिक बधाई देती हूं। छत्तीसगढ़ में लगभग एक तिहाई जनसंख्या जनजातीय समुदाय की है। राज्य एवं देश का विकास और जनजातीय समाज का विकास एक दूसरे के पूरक हैं।

आज से पांच दिन पहले, 15 नवंबर को, देशवासियों ने पांचवां जनजातीय गौरव दिवस मनाया। उस पावन अवसर पर, पूर्ववर्ती संसद भवन, यानी ‘संविधान भवन’ के परिसर में स्थित धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने का परम सौभाग्य मुझे मिला।

झारखंड में स्थित, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के जन्म-स्थान और गांव, उलिहातू में जाकर 15 नवंबर 2022 को उनकी प्रतिमा पर सादर माल्यार्पण करने का सौभाग्य मुझे मिला था। वह अनुभव मेरे जीवन की अमूल्य स्मृतियों में सदा के लिए अंकित है।

देवियो और सज्जनो,

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस वर्ष, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा एक नवंबर से पंद्रह नवंबर तक जनजातीय गौरव पखवाड़ा, व्यापक स्तर पर मनाया गया। इसके लिए मैं राज्य सरकार की सराहना करती हूं।

इसी एक नवंबर को, राज्य-स्थापना की रजत जयंती के दिन, नवा रायपुर में, आदिवासी जननायक, शहीद वीर नारायण सिंह के स्मारक तथा जनजातीय स्वतन्त्रता सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण, माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया। वह संग्रहालय जनजातीय समुदाय के लोगों सहित, सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

जनजातीय समुदाय का योगदान भारत के इतिहास का गौरवशाली अध्याय है। भारत लोकतन्त्र की जननी है। इसके उदाहरण, प्राचीन गणराज्यों के साथ-साथ बस्तर की ‘मुरिया दरबार’ नामक आदिम जन-संसद जैसी अनेक जनजातीय परम्पराओं में देखे जा सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

छत्तीसगढ़ में आकर मुझे अपनापन महसूस हो रहा है। यहां से ओड़िशा और झारखंड लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित हैं। मेरा अधिकांश जीवन ओड़िशा में बीता है। झारखंड में, राज्यपाल के पद पर सेवा करने का मुझे अवसर प्राप्त हुआ था। छत्तीसगढ़, ओड़िशा और झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जनजातीय विरासत की जड़ें बहुत गहरी हैं। इस जन-समूह में, मुझे समृद्ध जनजातीय विरासत और आधुनिक विकास का समन्वय दिखाई दे रहा है।

जनजातीय समुदायों से मेरा विशेष लगाव होना स्वाभाविक है, क्योंकि मैं इसी समाज की बेटी हूं। महिला होने और आदिवासी समाज में जन्म लेने पर मुझे गर्व है। इस समुदाय के जीवन को मैं गहराई से महसूस करती हूं। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरे कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन में ‘जनजातीय दर्पण’ नामक संग्रहालय विकसित किया गया है। जनजातीय समुदाय के योगदान, विकास तथा संस्कृति से जुड़े अनेक कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए गए हैं। राष्ट्रपति भवन में, विभिन्न स्थानों पर, जनजातीय भाई-बहनों की कलाकृतियों को प्रमुख स्थान दिया गया है। छत्तीसगढ़ में आज के इस आयोजन की तरह, विभिन्न राज्यों तथा संघ राज्य-क्षेत्रों की अपनी यात्राओं के दौरान, मैं वहां के जनजातीय समुदायों पर केन्द्रित कार्यक्रमों में शामिल होती हूं। मैं उन समुदायों से बातचीत करती हूं। जनजातीय बहनों से भेंट करने को मैं विशेष महत्व देती हूं।

देवियो और सज्जनो,

जनजातीय समुदाय के विकास को नई ऊर्जा प्रदान करने के लिए भगवान बिरसा मुंडा के 150वें जयंती वर्ष के दौरान, भारत सरकार द्वारा, ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ चलाया गया। इस अभियान के तहत, जमीनी स्तर पर आदिवासी नेतृत्व को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से आयोजित कार्यक्रमों में आदि-कर्मयोगियों के साथ मैंने विचार-विमर्श किया। यह खुशी की बात है कि इस अभियान के माध्यम से देश में लगभग 20 लाख volunteers का समूह तैयार किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि ये सभी volunteers जनजातीय समुदाय के विकास को स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित करेंगे।

इसी वर्ष, अक्तूबर के महीने में, दिल्ली में आयोजित ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के National Conclave में मुझे छत्तीसगढ़ के Tribal Development Department को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित करने का अवसर मिला था। राज्य में जनजातीय समुदाय के कल्याण और विकास पर आधारित ऐसी उपलब्धियों के लिए मैं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी तथा उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा ‘अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना’ के तहत बजट-राशि के आबंटन और उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं।

मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता होती है कि पिछले दशक में जनजातीय समुदाय के विकास और कल्याण हेतु राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं विकसित की गई हैं और उन्हें कार्यरूप दिया गया है। पिछले वर्ष, गांधी जयंती के दिन, भगवान बिरसा मुंडा की धरती झारखंड से, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ का शुभारंभ किया। उस अभियान का लाभ देश के 5 करोड़ से अधिक जनजातीय भाई-बहनों तक पहुंचेगा। वर्ष 2023 में “जनजातीय गौरव दिवस” के दिन 75 PVTG समुदायों के सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा-अभियान यानी PM-JANMAN अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के तहत अनेक प्रभावी कदम उठाए गए हैं। ऐसे सभी कार्य, सरकार द्वारा आदिवासी समाज को दी जा रही प्राथमिकता के प्रमाण हैं। जनजातीय विकास के कार्यों को निरंतर दिशा और गति प्रदान करने के लिए मैं केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, श्री जुएल ओराम जी और उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।

देवियो और सज्जनो,

इस वर्ष सात नवंबर से हमारे राष्ट्र-गीत ‘वन्दे मातरम्’ की रचना के एक 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में देशव्यापी स्मरणोत्सव मनाए जा रहे हैं। ‘वन्दे मातरम्’ भारत-माता की वन्दना का गीत है। छत्तीसगढ़ महतारी भी इस राज्य के मातृ-स्वरूप की वन्दना है। छत्तीसगढ़ महतारी, भारत-माता के परिवार में समाहित हैं तथा भारत का ही साक्षात प्रतीक हैं। मुझे उनकी यह वन्दना बहुत प्रिय लगती है:

जय-जय छत्तीसगढ़ महतारी
भारत के सच्छात चिन्हारी।

मातृ-शक्ति या महिला-शक्ति के स्मरण से मुझे विश्व विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की याद आई। उन सभी बेटियों से मैं हाल ही में राष्ट्रपति भवन में मिली थी। जनजातीय समाज की बेटी क्रांति गौड़ ने उस टीम में अपना विशेष स्थान बनाया है। मुझे जानकारी मिली कि भारत की टीम तक पहुंचने की यात्रा में उस बेटी को बहुत ही विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। मैं कहना चाहूंगी कि क्रांति गौड़ ने सारे देश की बेटियों, विशेषकर जनजातीय समाज की बेटियों के लिए धीरज, हिम्मत और परिश्रम का क्रांतिकारी उदाहरण प्रस्तुत किया है।

देवियो और सज्जनो,

छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में Left Wing Extremism का रास्ता छोड़कर लोग विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के सुविचारित और सुसंगठित प्रयासों से निकट भविष्य में ही Left Wing Extremism का उन्मूलन संभव हो जाएगा। यह एक बहुत ही संतोषजनक बदलाव है। एक लाख पैंसठ हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हाल ही में आयोजित ‘बस्तर ओलम्पिक’ में हिस्सा लिया। यह बहुत खुशी की बात है। मुझे विश्वास है जनजातीय महानायकों के आदर्शों पर चलते हुए, छत्तीसगढ़ के निवासी सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे। इस दृढ़-विश्वास के साथ मैं एक बार फिर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति को नमन करती हूं।

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!

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