भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2024 वितरण समारोह में संबोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 18.11.2025
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नमस्कार!
आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थानों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं।
जल के महत्व को समझाने के लिए, हजारों वर्ष पहले, हमारे पूर्वजों ने ऋग्वेद में कहा था:
अप्सु अन्तः अमृतम्
अर्थात जल में अमृत विद्यमान है। अमृत के समान अमूल्य, जल-संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन में योगदान देने के लिए इन पुरस्कार विजेताओं की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। उनके उत्कृष्ट प्रयासों को पुरस्कृत करने के लिए मैं जल शक्ति मंत्री, श्री सी.आर. पाटील जी तथा उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
मानव-सभ्यता की कहानी नदियों की घाटियों, समुद्र-तटों तथा विभिन्न जलस्रोतों के आस-पास बसे समूहों की कहानी है। हमारी परंपरा में, नदियों, सरोवरों तथा अन्य जलस्रोतों को पूजनीय माना जाता है।
सात नवम्बर से, पूरे देश में हमारे राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150 वर्ष सम्पन्न होने के उपलक्ष में स्मरणोत्सव मनाया जा रहा है। हमारे राष्ट्रगीत में भारत-माता की वंदना करते हुए बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने जो पहला शब्द लिखा, वह है: सुजलाम्। इसका अर्थ है – अच्छे जल-संसाधन से परिपूर्ण। यह तथ्य हमारे देश के लिए जल की प्राथमिकता को दर्शाता है। धरती पर उपलब्ध कुल जलराशि में fresh-water यानी मीठा पानी केवल ढाई प्रतिशत ही है। केवल एक प्रतिशत मीठा पानी ही मानव समुदाय को उपलब्ध हो पाता है। जल का सक्षम उपयोग, एक वैश्विक अनिवार्यता है। हमारे देश के लिए जल का सक्षम उपयोग और भी अधिक आवश्यक है क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या की दृष्टि से हमारे जल-संसाधन बहुत सीमित हैं। प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन से water cycle प्रभावित हो रहा है। ऐसी स्थितियों में सरकार और जनता को मिलकर water availability और water security के लिए निरंतर प्रयासरत रहना होगा।
भू-जल के स्तर को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि पिछले वर्ष शुरू किए गए ‘जल-संचय, जन-भागीदारी’ कार्यक्रम के तहत 35 लाख से अधिक ground water recharge structures का निर्माण किया जा चुका है।
Circular water economy की प्रणालियों को अपनाकर, सभी Industries तथा अन्य Stakeholders जल-संसाधन का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं। Water treatment तथा Re-circulation के साथ-साथ कई Industrial units ने zero fluid discharge का लक्ष्य हासिल किया है। ऐसे प्रयास जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए उपयोगी हैं।
हमारे देश में जल का 80% उपयोग कृषि क्षेत्र में होता है। इसलिए कृषि-क्षेत्र में जल के सक्षम उपयोग पर सबसे अधिक ज़ोर देने की आवश्यकता है, निरंतर innovations करते रहने की आवश्यकता है।
देवियो और सज्जनो,
लगभग 2300 वर्ष पहले कौटिल्य ने ‘अर्थ-शास्त्र’ नामक अपने ग्रंथ में लिखा है कि दस परिवारों के सामूहिक उपयोग के लिए एक कुआं उपलब्ध होना चाहिए। लोगों को जल उपलब्ध कराना प्राचीन काल से ही हमारी प्राथमिकता रही है। नागरिकों को जल उपलब्ध कराने के लिए, पहले जो महत्व कुएं का होता था, अब tap-water का वही महत्व है।
वर्ष 2019 तक, नल से जल की सुविधा से युक्त ग्रामीण घरों की संख्या 17% से भी कुछ कम थी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि पिछले छह वर्षों के दौरान नल से जल की सुविधा वाले ग्रामीण घरों की संख्या 81% तक पहुंच गई है। यह बदलाव ‘जल-जीवन मिशन’ के तहत चलाए जा रहे ‘हर-घर-जल’ अभियान से संभव हो सका है। विश्व के सबसे बड़े, इस पेयजल अभियान का, सबसे अधिक लाभ, ग्रामीण बहन-बेटियों को मिला है। देश में अनेक ग्रामीण महिलाओं को बाहर से घर तक पानी लाने की रोज की समस्या से मुक्ति मिल गई है। हमारी ग्रामीण बहन-बेटियां, उस समय और ऊर्जा को अब खेती या अन्य उपयोगी कार्यों में लगा सकती हैं।
जल का संचय करने और उसका उपयोग करने के विषय में एक उदाहरण मुझे अच्छा लगता है। वह उदाहरण मैं आप सबके साथ साझा करना चाहूंगी। बैंक से पैसा निकाल कर उसका उपयोग करने से पहले यह जरूरी होता है कि बैंक में पैसा जमा किया जाए। ठीक उसी तरह, जो समुदाय पहले जल का संचय करता है, वही समुदाय बाद में जल का उपयोग कर पाता है। सीमित आय का, समझदारी से संचय और उपयोग करने वाले परिवार, आर्थिक-संकट से बचे रहते हैं। वैसे ही, जल-संसाधनों का समुचित संचय करने वाले समुदाय जल-संकट से बचे रहते हैं।
देवियो और सज्जनो,
केंद्र और राज्य सरकार, जिला प्रशासन, ग्राम-पंचायत तथा नगर-निकाय के स्तर पर, जल-संरक्षण एवं प्रबंधन को निरंतर प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। अनेक शिक्षण-संस्थान, नागरिकों के समूह तथा गैर-सरकारी संस्थाएं भी इस दिशा में योगदान दे रही हैं। किसानों और उद्यमियों को, कम से कम पानी का उपयोग करके, अधिक से अधिक उत्पादन के नए-नए तरीके अपनाने चाहिए। उत्साह के साथ व्यक्तिगत योगदान देने वाले प्रबुद्ध नागरिक भी water-prosperity-value-chain के महत्वपूर्ण stakeholders हैं। व्यक्ति, परिवार, समाज तथा सरकार इन सबकी भागीदारी से ही सक्षम जल प्रबंधन संभव है।
जल का उपयोग करते समय, सबको यह ध्यान रखना है कि हम अत्यंत मूल्यवान संपत्ति का उपयोग कर रहे हैं। जन-जातीय समुदाय के लोग जल सहित, प्रकृति के सभी संसाधनों का बहुत सम्मान के साथ उपयोग करते हैं। जल संसाधनों का सर्वाधिक सक्षम तरीके से उपयोग करना हमारे सभी देशवासियों की जीवन-शैली का अभिन्न अंग होना चाहिए। व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सभी को जल संरक्षण के प्रति निरंतर सचेत रहना है। हमारी देश की जन-चेतना में, जल-चेतना का संचार बहुत जरूरी है। मैं कहा करती हूं कि जन-शक्ति के बल पर ही जल-शक्ति का संचयन और संरक्षण किया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि जन-शक्ति की प्रबल भागीदारी से हम सब ‘जल-समृद्ध-भारत’ का लक्ष्य अवश्य प्राप्त करेंगे।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!
