भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का छत्तीसगढ़ विधान सभा के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष में आयोजित समारोह में सम्बोधन (HINDI)

रायपुर : 24.03.2025
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नमस्कार!  
जय जोहार!

छत्तीसगढ़ विधान सभा के पचीसवां वर्ष के उत्सव के गाड़ा-गाड़ा बधाई! छत्तीसगढ़ राज्य में लोकतन्त्र के इस उत्सव में आप सबके साथ शामिल होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री, श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के असाधारण मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई थी। इस अवसर पर हम सब उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उनके सम्मान में सादर नमन करते हैं। आप सबके बीच आकर मुझे ओडिशा विधान सभा में विधायक के रूप में अपने समय की यादें ताजा हो गई हैं। मैं अपने अनुभव से यह कह सकती हूं कि विधायक की ज़िम्मेदारी निभाना, जन-सेवा की भावना से प्रेरित व्यक्ति के लिए बड़े सौभाग्य की बात होती है। विधान सभा, राज्य के निवासियों की आकांक्षाओं को व्यक्त करती है और उन्हें कार्यरूप देती है। विधान सभा राज्य की संस्कृति से प्रभावित भी होती है और उसे दिशा भी प्रदान करती है।

इस विधान सभा के इतिहास के बारे में जानकर यह मान्यता और भी मजबूत हो जाती है कि ‘छत्तीसगढ़िया सब ले बढ़िया’। इस विधान सभा ने लोकतान्त्रिक परम्पराओं के उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। छत्तीसगढ़ विधान सभा ने सदन की कार्रवाई के दौरान well में आ जाने वाले सदस्यों के स्वयमेव निलंबन का असाधारण नियम बनाया है तथा उसका पालन किया है। मुझे यह जानकर भी बहुत प्रसन्नता हुई है कि पचीस वर्षों के दौरान कभी भी मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा। छत्तीसगढ़ विधान सभा ने केवल शेष भारत ही नहीं बल्कि विश्व की सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों के सामने श्रेष्ठ संसदीय आचरण का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ विधान सभा के पूर्व तथा वर्तमान विधायकों की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।

माननीय सदस्य-गण,

छत्तीसगढ़ राज्य को मातृ-शक्ति का रूप कहा जा सकता है। जैसे भारत-माता को नमन करते हुए हम सभी भारतवासी ‘वंदे मातरम्’ का गायन करते हैं, वैसे ही इस सुंदर राज्य के सम्मान में गाया जाता है:

जय-जय छत्तीसगढ़ महतारी  
भारत के सच्छात चिन्हारी। 

यह राज्य सही अर्थों में भारत-माता का साक्षात प्रतीक है।

नारी-शक्ति के संदर्भ में छत्तीसगढ़ की महिला विभूति मिनी-माता का पुण्य स्मरण सहज ही होता है। भारत की संसदीय परंपरा में उनका बहुत ही सम्मानित स्थान है। वे पहली लोक सभा के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ के अंचल से संसद में जाने वाली पहली महिला जन-सेवक थीं और लगातार पांच बार लोक सभा सांसद रही थीं। स्वयं वंचित वर्ग से आने वाली मिनी- माता ने लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए निरंतर कार्य किया था। मुझे बताया गया है कि इस सदन में 19 महिला विधायक हैं। वर्ष 2023 के विधान सभा चुनाव में महिला मतदाताओं की कुल संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक थी। इस प्रकार, इस सदन को छत्तीसगढ़ की माताओं, बहनों और बेटियों का विशेष समर्थन प्राप्त हुआ है। मैं विधायक बहनों से अनुरोध करती हूं कि आप सब जीवन के हर क्षेत्र में कार्यरत अन्य सभी बहनों को आगे बढ़ाने में सदैव तत्पर रहें। जब आप सभी बहनें, राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को आगे बढ़ाएंगी तो उन महिलाओं पर सबका ध्यान जाएगा और उनके विकास के मार्ग प्रशस्त होंगे। चाहे वे शिक्षक हों या अधिकारी, समाज-सेविका हों या उद्यमी, वैज्ञानिक हों या कलाकार, मजदूर हों या किसान, प्रायः हमारी बहनें दिन-प्रतिदिन की घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हुए, तथा कठिन संघर्ष करते हुए बाहर की दुनिया में अपना स्थान बनाती हैं। जब सभी बहनें एक-दूसरे को सशक्त बनाएंगी तब हमारा समाज और भी अधिक मजबूत और संवेदनशील बनेगा।

इस सदन के सभी विधायकों को, विशेषकर महिला विधायकों को, यह प्रयास करना चाहिए कि अगली विधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी हो। महिला विधायकों की संख्या में वृद्धि, ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की भावना के अनुरूप होगी। प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी Women Led Development यानी ‘महिलाओं के नेतृत्व द्वारा विकास’ की हमारी राष्ट्रीय सोच को भी कार्यरूप देगी।

छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और उनका जीवन मुख्यतः कृषि पर आधारित है। लगभग 32 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है। राज्य की ढाई करोड़ से अधिक की आबादी में महिलाओं और पुरुषों की संख्या लगभग बराबर है। राज्य के कुछ अंचलों और समुदायों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। 991 के स्वस्थ sex-ratio के साथ, छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में है जिन पर हम गर्व कर सकते हैं।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि छत्तीसगढ़ विधान सभा ने समावेशी कल्याण एवं विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं। रूढ़ियों पर आधारित प्रताड़ना से समाज को, विशेषकर महिलाओं को, मुक्त करने का अधिनियम समाज को छत्तीसगढ़ विधान सभा का एक ऐतिहासिक योगदान है। उस अधिनियम को स्वरूप देते समय, वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह जी मुख्यमंत्री थे तथा विधान सभा को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे। मुझे बताया गया है कि अब तक छत्तीसगढ़ विधान सभा ने 565 विधेयक पारित किए हैं जिनमें अनेक विधेयक अंत्योदय तथा समावेशी विकास के लक्ष्यों से प्रेरित हैं। इस उपलब्धि के लिए मैं सभी पूर्व एवं वर्तमान विधान सभा सदस्यों की सराहना करती हूं।

माननीय सदस्य-गण,

छत्तीसगढ़ में विकास की असीम संभावनाएं विद्यमान हैं। सीमेंट, खनिज उद्योग, स्टील, एल्यूमिनियम तथा विद्युत उत्पादन जैसे क्षेत्रों में विकास के प्रचुर अवसर हैं। यहां के पारंपरिक लोक शिल्प की देश-विदेश में सराहना होती है। आपका यह सुंदर राज्य हरे-भरे जंगलों, झरनों तथा अन्य प्राकृतिक वरदानों से समृद्ध है। आपके राज्य को महानदी, हसदेव, इंद्रावती और शिवनाथ जैसी नदियों का आशीर्वाद प्राप्त है। आपके राज्य को आधुनिक विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित करना है। राज्य के आप सब नीति-निर्माताओं पर विकास और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने की ज़िम्मेदारी है। इसके साथ ही समाज के सभी वर्गों को आधुनिक विकास-यात्रा से जोड़ना भी आपका उत्तरदायित्व है।

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य अंतिम और निर्णायक दौर में पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ को उग्रवाद से पूर्णतया मुक्त करने के प्रयास में आप सब शीघ्र ही सफलता प्राप्त करेंगे और राज्य के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ेंगे।

आप सभी विधायकों के दिशा निर्देश के लिए गुरु घासीदास जी का ‘मनखे- मनखे एक समान’ अर्थात ‘सभी मनुष्य एक समान हैं’ का आदर्श विद्यमान है। आज से लगभग 250 वर्ष पहले उन्होंने वंचितों, पिछड़ों और महिलाओं की समानता के लिए समाज सुधार का जो संकल्प लिया था उसे आप सबको सिद्ध करना है तथा समानता और सामाजिक समरसता पर आधारित श्रेष्ठ छत्तीसगढ़ का निर्माण करना है।

मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ की विधान सभा राज्य की समग्र उन्नति को समुचित दिशा प्रदान करती रहेगी। जिस तरह आप सबने आदर्श विधान सभा का उदाहरण प्रस्तुत किया है उसी तरह आप सब आदर्श राज्य के रूप में विकसित छत्तीसगढ़ का आदर्श भी प्रस्तुत करेंगे। इसी विश्वास के साथ मैं छत्तीसगढ़ के सभी निवासियों तथा जन-प्रतिनिधियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगल-कामना करती हूं।

धन्यवाद!
जय हिन्द! 
जय भारत!

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