भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)

बरेली : 30.06.2025

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का  भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह में  सम्बोधन (HINDI)

पशु स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े इस ऐतिहासिक संस्थान में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मैं इस संस्थान से जुड़े सभी पूर्व और वर्तमान शिक्षकों और शोधकर्ताओं की पशु चिकित्सा अनुसंधान में योगदान देने के लिए सराहना करती हूं।

पशुओं के प्लेग के नाम से जानी जाने वाली रिंडरपेस्ट महामारी की रोकथाम के लिए वर्ष 1889 में स्थापित इस संस्थान ने 135 वर्ष की अपनी यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इस संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों का प्रमाण इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक patents, designs और copyrights में है।

Prevention is better than cure की कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों की रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। यह इस संस्थान के लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए हैं।

देवियो और सज्जनो,

‘ईशावास्यम् इदम् सर्वम्’ के जीवन मूल्य पर आधारित हमारी संस्कृति, सभी जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है। पशुओं से हमारे देवताओं और ऋषि-मुनियों का संवाद होता था, यह मान्यता भी उसी सोच पर आधारित है। भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में थे। ऐसे प्रसंगों का उल्लेख मैं यहां इसलिए कर रही हूं कि जब आप एक चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तब बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना आपके मन में हो।

मैं जिस परिवेश से आती हूं, वह सहज रूप से प्रकृति के निकट है। मानव का वनों, और वन्य जीव-जंतुओं के साथ सह-अस्तित्व का रिश्ता है। सच कहें तो पशु और मानव का एक परिवार का रिश्ता है। जब विभिन्न प्राणियों का संवर्धन होगा, तब जैव-विविधता बढ़ेगी और यह धरती तथा मानव जाति खुशहाल होगी। जैव-विविधता के क्षरण का एक उदाहरण है गिद्धों की संख्या का घटना। गिद्धों के विलुप्तप्राय होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली रासायनिक दवाओं की भी भूमिका मानी जाती है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। और भी कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गयी हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत ही आवश्यक है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसी संस्थाओं से मेरी अपील है कि वे जैव-विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें।

मैं आज उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ। इस सफलता में योगदान देने वाले आपके शिक्षकों, परिवारजनों और अभिभावकों को भी शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं। आज पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देख कर मुझे गर्व हो रहा है कि बेटियाँ अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं। यह बहुत ही शुभ संकेत है।

प्यारे विद्यार्थियो,

आप सब ने निरीह और बेजुबान पशुओं की चिकित्सा और कल्याण के क्षेत्र को अपने career के रूप में चुना है। मैं सोचती हूं कि आपके इस चुनाव के पीछे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:’ की भारतीय सोच का भी योगदान रहा होगा। आपके संस्थान का ध्येय वाक्य है ‘सत्वात् संजायते ज्ञानम्’, जिसका भावार्थ है - सत्वगुण से ज्ञान की प्राप्ति होती है। मुझे विश्वास है कि इसी भावना के साथ आपने यहाँ पर शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भाव के साथ कार्य करते रहेंगे। मेरी सलाह है कि जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो, आप उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचें जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है। आपको सही मार्ग दिखाई देगा।

मुझे बताया गया है कि पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में ‘पशु विज्ञान Incubator’ कार्यरत है। आपको इस सुविधा का लाभ लेते हुए अपने उद्यम स्थापित करने चाहिए। इससे आप न केवल जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर पाएंगे। विश्व-भर के प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्यमों में सेवारत यहां के पूर्व विद्यार्थी भी इस कार्य में आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

आज दुनियाभर में 'one health' की अवधारणा महत्व प्राप्त कर रही है। इस अवधारणा के अंतर्गत यह माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर, वनस्पति और व्यापक पर्यावरण सभी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परंपरा और इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु-कल्याण के लिए प्रयास करना चाहिए। एक प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूप में, Indian Veterinary Research Institute (IVRI) इस क्षेत्र में, विशेष रूप से Zoonotic बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में, महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है उसका उपयोग सभी जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। हाल की कोरोना महामारी ने मानव-जाति को आगाह किया है कि उपभोग पर आधारित संस्कृति न केवल मानव-जाति बल्कि अन्य जीव-जंतुओं और पर्यावरण को अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है। पशु-कल्याण के लिए नियमित रूप से पशु आरोग्य मेलों का आयोजन होना चाहिए। इन मेलों के तहत गाँव-गाँव में camp लगाकर पशुओं की चिकित्सा होने से पशुओं के साथ-साथ समाज भी स्वस्थ रहेगा।

Technology, अन्य क्षेत्रों की तरह पशु-चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। Technology के प्रयोग से देशभर के पशु-चिकित्सालयों को सशक्त बनाया जा सकता है। Genome editing, embryo transfer technologies, artificial intelligence, big data analytics जैसी तकनीकों के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग करके IVRI जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान और उनको पोषण उपलब्ध कराने के स्वदेशी और सस्ते उपाय ढूँढने चाहिए। साथ ही उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए जिनके side effects न केवल पशुओं बल्कि मनुष्य और पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं।

अंत में एक बार फिर, उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूँ। मेरा आशीर्वाद आपके साथ है।

धन्यवाद,
जय हिंद!
जय भारत!

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