भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के विशेष सत्र में अभिभाषण(HINDI)

ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश : 21.02.2023
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के विशेष सत्र में अभिभाषण

नमस्कार!

खूबसूरत राज्य अरुणाचल प्रदेश के इस लोकतंत्र के मंदिर में आज आप सब को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए, मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी और सभी माननीय सदस्यों को धन्यवाद देती हूं।   
यह देखकर मुझे प्रसन्नता होती है कि विकास का सूर्य अरुणाचल प्रदेश को प्रकाशित कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश, आज भारत की प्रगति की धारा का महत्वपूर्ण स्रोत है। यह राज्य और यहां के सरल तथा निष्ठावान निवासी देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश के विकास को देखकर पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकास गाथा को नई ऊर्जा देने वाले भारत-रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का सहज ही स्मरण होता है। जब अटल जी प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास हेतु ‘उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय’ का गठन किया था। उसके बाद, अरुणाचल प्रदेश सहित, समस्त पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को शक्ति मिली। अरुणाचल प्रदेश में स्थापित लोकतन्त्र के इस मंदिर में, इस राज्य की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने वाले अटल जी की स्मृति को मैं सादर नमन करती हूं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास हेतु अटल जी के सपनों को वर्तमान केंद्र सरकार ने और अधिक व्यापक और प्रभावी स्वरूप प्रदान किया। इसके लिए मैं केंद्र सरकार की सराहना करती हूं।   
मुझे यह जानकर बहुत खुशी होती है कि अरुणाचल प्रदेश की विधान सभा ने इस प्रदेश की प्रगति को स्वरूप प्रदान करने वाले सर्वोच्च मंच के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके लिए मैं इस सदन के वर्तमान और पूर्व सदस्यों की सराहना करती हूं।

माननीय सदस्यगण,

अरुणाचल प्रदेश में आधुनिक लोकतंत्र की नींव 1967 में, NEFA Panchayat Raj Regulation के साथ, ग्रामीण स्तर पर शुरू हुई। उसके बाद के विकास-क्रम में, 15 अगस्त 1975 को, प्रदेश Council को केंद्र शासित प्रदेश की विधान सभा में परिवर्तित कर दिया गया। यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि उस पहली विधान सभा में सिबो काई जी को इस सदन की पहली महिला सदस्य के रूप नामांकित किया गया था। प्रारंभ में इस विधान सभा में 33 सदस्य थे जिनकी संख्या 20 फरवरी 1987 को अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने पर बढ़कर 60 हो गई। एक छोटी सी शुरुआत से वर्तमान तक इस विधान सभा ने एक लंबा सफर तय किया है। इसके लिए भी मैं सभी पूर्व और वर्तमान सदस्यों को बधाई देती हूँ। आज मैं विशेषकर पी.के. थुंगन जी, तदार तांग जी, तोमो रीबा जी, सोबेंग तायेंग जी और वांगफा लोवांग जी को नमन करना चाहूंगी जिन्होंने प्रथम विधान सभा और कालांतर की विधान सभाओं के गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

माननीय सदस्यगण,

अनुशासन और मर्यादा संसदीय प्रणाली की पहचान है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वाद-विवाद की सामग्री और गुणवत्ता उच्चतम स्तर की हो। साथ ही हमें विकास और जन-कल्याण के मुद्दों पर आम सहमति बनाने की जरूरत है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस विधानसभा ने संसदीय लोकतंत्र के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। स्वस्थ लोकतंत्र के प्रति सर्वोच्च सम्मान बनाए रखने के लिए, मैं सभी सदस्यों को बधाई देती हूं।   
अरुणाचल प्रदेश विधान सभा ने ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम के तहत ‘ई- विधान’ के कार्यान्वयन के साथ जो paperless digital यात्रा शुरू की है वह अनुकरणीय है। यह प्रसन्नता की बात है कि कई राज्यों ने इस paperless model का अध्ययन करने और इसे अपनाने के प्रयास किए हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2022 को ‘Year of E-Governance’ घोषित किया और कई E-Governance परियोजनाएं शुरू की जो न केवल प्रशासनिक सुधारों की दिशा में मदद करेंगी बल्कि आम लोगों के जीवन   
को आसान बनाने में भी योगदान देंगी।   
यह कथन सर्वथा सत्य है कि ज्ञान बांटने से ही बढ़ता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विधान सभा के पुस्तकालय के उपयोग की सुविधा विधायकों और अधिकारियों के साथ-साथ स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए निःशुल्क उपलब्ध है। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि इस विधान सभा में ‘Know Your Assembly” पहल के तहत समय-समय पर स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को विधायी कार्यवाही से अवगत कराने के लिए बुलाया जाता है। मुझे विश्वास है कि आज की युवा पीढ़ी इन सुविधाओं का लाभ उठाकर देश और प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान देगी।

माननीय सदस्यगण,

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन एक विकट समस्या है जिनका समाधान हमें शीघ्रता से खोजना है। अरुणाचल प्रदेश जैसे भौगोलिक रूप से संवेदनशील राज्यों के लिए ये मुद्दे और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि इस राज्यके नीति-निर्माताओं ने इस विषय पर ध्यान रखा है। अरुणाचल प्रदेश ने Pakke Declaration के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता दिखाने का संकल्प लिया है। मुझे आशा है कि अन्य राज्य भी इससे प्रेरणा लेते हुए इस model को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।   
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विधानसभा ने विगत वर्षों में कई महत्वपूर्ण विधेयक पास किए हैं जिनमें प्रमुख हैं - अरुणाचल प्रदेश पंचायत राज विधेयक, राज्य महिला आयोग विधेयक, प्रदेश लोक सेवा अधिकार विधेयक, कर्मचारी चयन बोर्ड विधेयक, लोकायुक्त विधेयक और Ease of Doing Business Bill.

माननीय सदस्यगण,

आप सब जानते हैं कि अरुणाचल की इस धरती पर सदियों से स्व-शासन और grassroots democracy की एक जीवंत प्रणाली विद्यमान है। बुलियांग, केबांग, मौचुक जैसी लोकतांत्रिक संस्थाएं लोगों की इच्छा और जन-शक्ति की अभिव्यक्ति से अपना अधिकार प्राप्त करती थीं। आदिवासी संस्कृति अपने समूह की आकांक्षाओं को पूरा करने में निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह बनकर सच्चे लोकतंत्र और सुशासन के मूल सिद्धांतों को आत्मसात करती है।    
आधुनिक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में भी अरुणाचल प्रदेश की जनता ने बढ़- चढ़ कर भाग लिया है जो उनकी राजनीतिक चेतना और लोकतन्त्र में आस्था को उजागर करता है। जनता को अपने प्रतिनिधियों से अपेक्षा होती है कि वे राज्य के विकास और उनके कल्याण के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे। आप सब माननीय सदस्य, राज्य के सर्वोच्च नीति निर्माता हैं और राज्य के विकास में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है। अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं   
तथा जन-प्रतिनिधित्व की अन्य संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए। मेरा मानना है कि हमारे देश के समग्र और समावेशी विकास के लिए, हर कार्य क्षेत्र में, महिलाओं की भागीदारी और अधिक होनी चाहिए।   
भारत ने आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करके अमृतकाल में प्रवेश लिया है। अमृतकाल का यह 25 वर्ष का कालखंड, विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है। इस कालखंड में आपके निरंतर प्रयास अरुणाचल प्रदेश को, देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक बना सकते हैं और भारत को भी विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में स्थान दिला सकते हैं।

माननीय सदस्यगण,

अरुणाचल प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारत की एक्ट- ईस्ट पॉलिसी में एक प्रमुख हितधारक भी है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र लंबे समय से सड़क, रेल और हवाई संपर्क की सुविधाओं के अभाव कारण आर्थिक विकास के लाभों से वंचित रहा था। लेकिन केंद्र की वर्तमान सरकार ने उत्तर-पूर्व में connectivity और development को केंद्र में रखा है। आज यह देखकर खुशी होती है कि अरुणाचल प्रदेश में विकास को गति देने केलिए केंद्र सरकार की ओर से दिए जा रहे समर्थन में स्पष्ट बदलाव आया है।   
भरपूर प्राकृतिक संसाधनों और गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन के बल पर, अरुणाचल प्रदेश में एक attractive investment destination तथा व्यापार और व्यवसाय का केंद्र बनने की पूरी क्षमता है।   
मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि राज्य के कृषि और संबद्ध क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है जो हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय औसत सेकही अधिक है। अरुणाचल प्रदेश में देश के ‘Natural Fruit Bowl’ के रूप में उभरने की क्षमता है। यह राज्य ‘खासी मंदारिन’ संतरे और कीवीउत्पादन में पहले स्थान पर है जबकि बड़ी इलायची के उत्पादन में इसका देश में दूसरा स्थान है।   
यह संतोष की बात है कि अनेक infrastructure projects जो पूरे हो चुके हैं या निर्माणाधीन हैं, राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं। मुझे बताया गया है कि राज्य सरकार विगत तीन वर्षों से अपने बजट का करीब 30 प्रतिशत भाग assets building में खर्च कर रही है जो देश में सर्वाधिक है। यह बहुत खुशी की बात है कि कामेंग जल विद्युत परियोजना के चालू होने से अरुणाचल प्रदेश एक power surplus राज्य बन गया है।

माननीय सदस्यगण,

अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति, विविधता और प्राकृतिक सुंदरता, इस राज्य को भारत में एक विशेष स्थान प्रदान करती है। आज पूरा देश अरुणाचल प्रदेश की ओर यहां की क्षमता तथा यहां के लोगों की उपलब्धियों के कारण नई दृष्टि से देख रहा है।    
यह सुनिश्चित करने के लिए कि यहां के निवासी अपनी जड़ों से कटे बिना विकास के पथ पर आगे बढ़ते रहें, हमें इस प्रदेश की अद्भुत परंपरागत संस्कृति और जीवन-मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन पर बल देने की आवश्यकता है। अरुणाचल-वासियों के प्रतिनिधि के रूप में आपको राज्य की संस्कृति और मूल्यों की समृद्धि सुनिश्चित करते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।   
अंत में, मैं सभी अरुणाचलवासियों को उनके स्वर्णिम भविष्य कीशुभकामनाएं देती हूं।

धन्यवाद,   
जय हिन्द!   
जय भारत!

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