भारत की राष्‍ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अंतर-राज्यीय जन सांस्कृतिक समागम समारोह - कार्तिक जतरा कार्यक्रम में सम्बोधन (HINDI)

गुमला, झारखंड : 30.12.2025

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भारत की राष्‍ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  का  अंतर-राज्यीय जन सांस्कृतिक समागम समारोह - कार्तिक जतरा  कार्यक्रम में सम्बोधन (HINDI)

जोहार!

इस जनजातीय सांस्कृतिक समागम तथा जतरा का आयोजन करने में योगदान देने वाले सभी लोगों की मैं हृदय से सराहना करती हूं। झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा को जोड़ने वाले इस क्षेत्र की नदियां, पहाड़, पठार और जंगल देश की प्राचीनतम परम्पराओं के पोषक और साक्षी रहे हैं।

यहां उपस्थित आप सभी लोगों के उत्साह में हमारे समाज और देश की ऊर्जा का जीवंत चित्र दिखाई दे रहा है। इस आयोजन में विभिन्न जनजातीय समुदायों एवं सदान समुदाय का संगम हो रहा है। सामूहिक उत्सव के इस अवसर पर आप सबको बहुत- बहुत बधाई और शुभकामनाएं!

एक सौ चालीस करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है। मैं इस विशाल परिवार के जनजातीय समुदाय की बेटी हूं। इसलिए आज के इस आयोजन में आकर मुझे विशेष अपनापन महसूस हो रहा है। झारखंड की राज्यपाल के अपने कार्यकाल के दौरान मुझे यहां के जनजीवन को बहुत निकटता से देखने, समझने तथा सेवा करने का सुअवसर मिला था।

देवियो और सज्जनो,

भगवान बिरसा मुंडा के जन्म और कार्य क्षेत्र झारखंड में आकर मुझे तीर्थ यात्रा करने का अनुभव होता है। वे सभी देशवासियों द्वारा सामाजिक न्याय तथा जनजातीय गौरव के महान प्रतीक के रूप में सम्मानित हैं। मैं भगवान बिरसा मुंडा की पावन स्मृति को शत-शत नमन करती हूं।

पंखराज साहेब कार्तिक उरांव जी ने भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों के अनुरूप जनजातीय चेतना और पहचान को मजबूत बनाया। उनकी जन्मस्थली और कर्मस्थली गुमला में आप सबके साथ मैं उनकी पावन स्मृति को सादर प्रणाम करती हूं।

उन्होंने जनजातीय समाज सहित देश के उत्थान, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक एकता के लिए आजीवन योगदान दिया। हमें उनके आदर्शों पर चलकर समाज और देश के समग्र विकास के लिए कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए।

दिसंबर के महीने में ही 44 वर्ष पहले बाबा कार्तिक उरांव जी का शरीरान्त हुआ था। लेकिन, अपने अद्भुत व्यक्तित्व और कार्यों के आधार पर वे सदा अमर रहेंगे।

बाबा कार्तिक उरांव जी केवल उरांव समुदाय ही नहीं बल्कि समस्त जनजातीय समुदायों और सभी देशवासियों के लिए प्रेरक विरासत छोड़ गए हैं।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी पंखराज साहेब कार्तिक उरांव जी जनजातीय समाज के गौरव हैं, भारत के गौरव हैं। उन्होंने विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी तथा अनेक महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया था। लेकिन वे अपनी माटी से तथा अपने लोगों के साथ, हमेशा गहराई से जुड़े रहे।

बाबा कार्तिक उरांव जी ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार को बहुत महत्व दिया। शिक्षा व्यक्ति, परिवार और समाज के निर्माण का मूलमंत्र है। शिक्षा व्यक्तित्व को निखारती है, विकास के अवसर उत्पन्न करती है, समावेशी विकास एवं सामाजिक न्याय का माध्यम बनती है। शिक्षा के प्रसार का प्रत्येक प्रयास, बाबा कार्तिक उरांव जी के प्रति सच्ची श्रद्धा व्यक्त करता है।

देश में अनेक एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूलों की स्थापना की गई है तथा जनजातीय समुदायों के बच्चे उनमें शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वे सभी विद्यार्थी अपने परिवार, जनजातीय समुदाय और देश के निर्माण में अपना योगदान देंगे।

देवियो और सज्जनो,

महान समाज सुधारक और स्वाधीनता सेनानी जतरा टाना भगत का जन्म भी गुमला में ही हुआ था। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुरूप ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अहिंसापूर्ण आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस क्षेत्र की ऐसी विरासतों और मूल्यों पर सभी देशवासियों को गर्व का अनुभव होता है।

भारत माता के वीर सपूत एल्बर्ट एक्का की जन्मस्थली गुमला जिले में ही है। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने वीरता और दृढ़ संकल्प का अद्भुत प्रदर्शन किया था। वे देश के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हें मरणोपरांत, देश के सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता सम्मान, ‘परम वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2000 में देश के 50वें गणतन्त्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने उनकी याद में एक डाक टिकट जारी किया था। साथ ही, गुमला में एक ब्लॉक का नाम उनके नाम पर ‘एल्बर्ट एक्का ब्लॉक’ रखा गया।

मुझे इस बात पर गर्व है कि हाल ही में, ‘परम वीर चक्र’ से सम्मानित भारत माता के सपूतों के प्रति आदर व्यक्त करने का एक विशेष अवसर मुझे प्राप्त हुआ। 1971 के युद्ध में भारत के निर्णायक और ऐतिहासिक विजय का स्मरण करने के लिए प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को पूरे देश में ‘विजय दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष, ‘विजय दिवस’ के दिन मैंने राष्ट्रपति भवन में, ‘परम वीर चक्र’ से सम्मानित भारत माता के 21 वीर सपूतों के चित्रों और वीरगाथाओं से युक्त ‘परम वीर दीर्घा’ का उद्घाटन किया। उस दीर्घा में अमर बलिदानी, गुमला की धरती पर जन्मे, परम वीर एल्बर्ट एक्का का चित्र और जीवन परिचय सदा के लिए विद्यमान रहेगा।

हम सब संघर्ष और बलिदान की भूमि गुमला के महान सपूतों बख्तर साय एवं मुंडल सिंह की वीर गाथा से अवगत हैं। इस क्षेत्र के महान जनजातीय वीरों की एक लंबी सूची है। उनकी शौर्य गाथाओं से देशवासियों को परिचित कराने का प्रयास सरकार द्वारा जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना के माध्यम से किया जा रहा है। लेकिन यह जनजातीय समुदाय के गौरव से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति और संस्थाओं की ज़िम्मेदारी है कि इस क्षेत्र के तथा सभी क्षेत्रों के जनजातीय वीरों के योगदान से देश की युवा पीढ़ी को तथा भावी पीढ़ियों को अवगत कराया जाए।

वीर बलिदानियों का यह क्षेत्र समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं तथा खेल-कूद में विशेष पहचान बनाने वाली प्रतिभाओं के लिए भी जाना जाता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि यहां की पारंपरिक पड़िया बुनाई शैली के परिधान लोकप्रिय हो रहे हैं। यह जनजातीय सांस्कृतिक पहचान के लोकप्रिय होने का केवल एक उदाहरण है। जनजातीय हस्तशिल्पों की पूरे विश्व में प्रतिष्ठा भी है और मांग भी। इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करना सरकार के साथ- साथ समाज की भी ज़िम्मेदारी है।

देवियो और सज्जनो,

युवा पीढ़ी और भावी पीढ़ियों को जनजातीय समुदायों की परम्पराओं से जोड़कर रखना बहुत आवश्यक है। जनजातीय विरासत और पहचान को सुरक्षित रखते हुए हमारे युवाओं को आधुनिक विकास की यात्रा में तेजी से आगे बढ़ना है।

यह जनजातीय समुदाय के लिए गौरव की बात है कि पिछले 11 वर्षों के दौरान, इस समुदाय के सौ से अधिक प्रतिभाशाली लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। मुझे भी अनेक जनजातीय भाई-बहनों को इन पुरस्कारों से सम्मानित करने का सुखद अवसर प्राप्त हुआ है।

मैं राष्ट्रपति भवन में जनजातीय समुदाय के लोगों से मिलती रहती हूं। राष्ट्रपति के रूप में अपनी यात्राओं के दौरान मैं जनजातीय समुदायों के लोगों से, विशेषकर बहनों से अवश्य मिलती हूं। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के वर्ष पर्यन्त चले आदि कर्मयोगी अभियान के दौरान मुझे अनेक अवसरों पर पूरे देश के जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलने का और विचार-विमर्श करने का अवसर मिला। इस समारोह जैसे जनजाति केन्द्रित अनेक आयोजनों में मैंने भाग लिया है। मेरे ये सभी प्रयास जनजातीय समुदाय सहित देश के समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के लक्ष्यों से प्रेरित होते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय के विकास और कल्याण के लिए ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और ‘पीएम-जनमन योजना’ को क्रियान्वित किया गया है। प्रतिवर्ष 15 नवंबर यानी धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती के दिन ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने की परंपरा शुरू की गई है। Tribal sub-plan के तहत 41 मंत्रालयों और विभागों द्वारा जनजातीय समुदाय के कल्याण और विकास हेतु कार्य किए जाते हैं।

मुझे विश्वास है कि जनजातीय समुदायों के सभी लोग विरासत और विकास का समन्वय करते हुए आधुनिक प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे। इसी विश्वास के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

जोहार!

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!

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