भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का All India Institute of Speech and Hearing के हीरक जयंती समारोह में सम्बोधन (HINDI)

मैसूर : 01.09.2025

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का  All India Institute of Speech and Hearing के हीरक जयंती समारोह  में सम्बोधन (HINDI)

Speech and Hearing के क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा और अनुसंधान के लिए कार्यरत इस संस्थान के हीरक जयंती समारोह में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आज के ऐतिहासिक अवसर पर, मैं All India Institute of Speech and Hearing - AIISH से जुड़े सभी पूर्व और वर्तमान निदेशकों, संकाय सदस्यों, प्रशासकों एवं विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। मुझे यह बताया गया है कि करीब दो दशकों से इस संस्थान का नेतृत्व महिलाएं ही कर रही हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि वर्तमान निदेशक, डॉक्टर एम. पुष्पावती जी उस परंपरा को मजबूत कर रही हैं। यह संस्थान ‘women led development’ का एक अच्छा उदाहरण है।

वर्ष 1965 में शुरू हुआ यह संस्थान communication disorders के समाधान के लिए expert manpower की सहायता से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि यहां पर Speech and Hearing संबंधी दिव्यांगताओं से पीड़ित सभी आयु-वर्ग के लोगों को multi- disciplinary approach द्वारा चिकित्सा प्रदान की जा रही है। इस संस्थान के outreach centres तथा tele-assessment और tele-rehabilitation सेवाएं भी देशभर में जरूरतमंदों की सहायता कर रहे हैं।

मुझे बताया गया है कि AIISH का यह परिसर मैसूर के महाराजा, श्री जय चामाराजेंद्र वडियर द्वारा दान की गई भूमि पर बना हुआ है। आज यहां पर श्री यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वडियर जी उपस्थित हैं। मैं उनके पूर्वजों द्वारा किए गए समाज-कल्याण के कार्यों की सराहना करती हूं। देवियो और सज्जनो,

एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 में भारत में छह करोड़ से अधिक लोग hearing की समस्या से पीड़ित थे। इस संदर्भ में, National Programme for the Prevention and Control of Deafness के नोडल केंद्र के रूप में AIISH की ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी है।

अन्य समस्याओं की तरह Speech and Hearing संबंधी समस्या में भी प्रारम्भिक अवस्था में लक्षणों की पहचान और उनके निदान के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। साथ ही समाज, पीड़ितों के साथ सहयोग और सहानुभूति का नजरिया रखे इसके लिए जागरूकता भी आवश्यक है। मुझे खुशी है कि AIISH इन सभी क्षेत्रों में अहम भूमिका निभा रहा है। पिछले वर्ष, दिव्यांग-जन सशक्तीकरण के क्षेत्र में 2024 के राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में, AIISH को ‘पुनर्वास पेशेवरों के विकास में संलग्न सर्वश्रेष्ठ संगठन’ का पुरस्कार देने का अवसर मुझे मिला था। यह सम्मान इस संस्थान द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों का प्रमाण है।

एक अखिल भारतीय संस्थान के रूप में AIISH को निरंतर ऐसे प्रयास करने चाहिए जिससे वह देश-विदेश के संस्थानों के लिए role-model बने। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान द्वारा स्थापित Inclusive Therapy Park देश-विदेश में एक मॉडल के रूप में कार्य कर रहा है। इसे उन बच्चों के लिए design किया गया है जो communication disorders से प्रभावित हैं। ‘AIISH आरोग्य वाणी’ भी एक अनूठी पहल है जिसे communication disorders और उनकी शीघ्र पहचान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। देश का अग्रणी संस्थान होने के नाते AIISH, communication disorder से जुड़े राष्ट्रीय नीति- निर्माण में भी सलाह दे सकता है।

आज technology, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। Speech and Hearing से जुड़ी दिव्यांगताओं को दूर करने में भी latest technologies का प्रयोग अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। लेकिन latest technologies और devices, आम लोगों तक पहुंचें, इसके लिए देश में उनका विकास और निर्माण जरूरी है। उदाहरण के लिए Cochlear Implants जैसे उपकरण कम खर्च पर उपलब्ध हों, इसके लिए आवश्यक है कि इनके निर्माण में हम आत्मनिर्भर बनें। AIISH जैसे संस्थानों को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इस क्षेत्र में research और innovation को बढ़ावा देकर आप राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान और मजबूत कर सकते हैं। इसके लिए आप देश के जाने-माने शोध संस्थानों के साथ सहयोग कर सकते हैं।

AIISH देश के दिव्यांग मानव संसाधन को सशक्त बनाने में और अधिक योगदान दे सके, इसके लिए यहां पर Centre of Excellence की स्थापना की गई है। मुझे विश्वास है कि यह Centre शिक्षाविदों, चिकित्सकों, तकनीकी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाकर दिव्यांग मानव संसाधन के सशक्तीकरण की दिशा में कार्य कर रहा होगा। मेरा मानना है कि इस कार्य में अपने संस्थान के भूतपूर्व विद्यार्थियों, जो देश-विदेश में अपनी सेवाएँ दे रहें हैं, को जोड़ना भी सकारात्मक कदम होगा। इस Centre को उन start-ups का भी सहयोग करना चाहिए जो दिव्‍यांगजन के जीवन को सुगम बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

देवियो और सज्जनो,

सरकार, विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से, दिव्यांगजनों के लिए बाधामुक्त वातावरण तैयार कर रही है जिससे वे बिना किसी कठिनाई के अपने जीवन में आगे बढ़ सकें। ‘सुगम्य भारत अभियान’ के अंतर्गत दिव्यांगजनों को उन्नति तथा विकास के समान अवसर प्रदान करने के प्रयास हो रहे हैं। मेरा मानना है कि सभी सार्वजनिक स्थान, सुविधाएं और सूचना के स्रोत दिव्यांग-अनुकूल होने चाहिए। ऐसा होने से न केवल दिव्यांगजनों को सुविधा होगी बल्कि उन्हें यह एहसास भी होगा कि समाज उनकी चिंता करता है।

विश्व सांकेतिक भाषा दिवस 23 सितम्बर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है, सांकेतिक भाषा के बारे में जागरूकता फैलाना। इस दिवस का उपयोग हमें सांकेतिक भाषा को और अधिक समृद्ध बनाने के लिए संकल्प दिवस के रूप में करना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

AIISH जैसे संस्थानों से यह अपेक्षा है कि वे innovation with compassion की भावना से काम करते हुए ऐसी technologies विकसित करेंगे जिससे speech and hearing से पीड़ित लोग न केवल सामान्य जीवन जी सकें बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकें। हीरक जयंती के अवसर पर AIISH से जुड़े सभी लोग संकल्प लें कि इस मानस-गंगोत्री से सेवाभाव और संवेदनशील समाज के निर्माण की धारा निरंतर प्रवाहित होती रहेगी। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

धन्यवाद,
जय हिंद!
जय भारत!

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