भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का AIIMS देवघर के प्रथम दीक्षांत समारोह में संबोधन (HINDI)

देवघर : 31.07.2025

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का  AIIMS देवघर के प्रथम दीक्षांत समारोह में संबोधन (HINDI)

यह मेरा परम सौभाग्य है कि भगवान शंकर की असीम अनुकंपा से, श्रावण- मास में, बाबा नगरी-बैद्यनाथ धाम, देवघर में आने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ है। इस परम-पावन धरती पर ज्योतिर्लिंग भी है और शक्तिपीठ भी है। शिव और शक्ति दोनों के आशीर्वाद से सिंचित इस पवित्र धरती को मैं सादर नमन करती हूं।

आज का यह दीक्षांत समारोह परंपरागत श्रावणी मेला के दौरान आयोजित हुआ है। यह कहा जा सकता है कि हम सभी की ओर, विशेषकर AIIMS देवघर की पूरी टीम की ओर, बाबा बैद्यनाथ धाम, बाबा बासुकीनाथ धाम और हृदयपीठ से कृपा की धारा बह रही है।

AIIMS देवघर के साथ मेरी विशेष स्मृति जुड़ी हुई है। 25 मई 2018 के दिन, माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा सिंदरी से इस institute का शिलान्यास किया गया था। उस शुभ अवसर पर, झारखंड की राज्यपाल के रूप में, वहां मैं उपस्थित थी। इस संस्थान के शिलान्यास का वह दिन ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है। आज इस संस्थान के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लेने का अवसर भी मुझे मिला है। इस प्रकार, AIIMS देवघर की विकास यात्रा से मेरा विशेष संबंध बन गया है।

झारखंड में AIIMS देवघर जैसे उत्कृष्ट संस्थान की प्रगति को देखकर मुझे विशेष प्रसन्नता का अनुभव होता है। इसके लिए मैं AIIMS देवघर से जुड़े वर्तमान और पूर्ववर्ती सभी लोगों की प्रशंसा करती हूं। मैं आशा करती हूं कि आज के इस प्रथम दीक्षांत समारोह के साथ AIIMS देवघर में Culture of Excellence का शुभारंभ हो रहा है। यह प्रथम दीक्षांत समारोह इस संस्थान के स्वर्णिम भविष्य का पहला सोपान सिद्ध होगा, इस विश्वास के साथ मैं यहां की पूरी टीम को ढेरों शुभकामनाएं देती हूं।

इस दीक्षांत समारोह में उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। जिन विद्यार्थियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के परिणामस्वरूप पदक प्राप्त किए हैं उनकी मैं विशेष सराहना करती हूं। सभी प्राध्यापकों और अभिभावकों को भी मैं बधाई देती हूं। मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि आज पदक प्राप्त करने वाले चार विद्यार्थियों में, दो बेटियां हैं। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि AIIMS देवघर में छात्राओं की संख्या बढ़ रही है तथा छात्रों की संख्या के लगभग बराबर हो गई है। ऐसी होनहार बेटियों की, उनके माता-पिता, अध्यापकों और शुभचिंतकों की मैं विशेष सराहना करती हूं।

प्रिय विद्यार्थियो,

AIIMS में प्रवेश पाना और यहां शिक्षा प्राप्त करना इस बात की गारंटी माना जाता है कि आप एक कुशल डॉक्टर बन गए हैं। आपको एक सक्षम तथा कुशल डॉक्टर के साथ-साथ एक अच्छा डॉक्टर भी बनना है। एक अच्छे डॉक्टर को sharp clinical sense के साथ-साथ sensitive communication की क्षमता भी विकसित करनी चाहिए। हम सबने देखा है कि कुछ ऐसे डॉक्टर होते हैं जिनसे परामर्श करने के बाद patient और उनके परिवारजन बेहतर महसूस करते हैं। आप अपनी diagnosis या surgery में पूरी तरह clinical रहिए लेकिन अपने व्यवहार में clinical मत रहिए। अपने व्यवहार में आप sympathetic रहिए। सहानुभूति के साथ अपनी सलाह दीजिए।

प्रिय विद्यार्थियो,

एक अच्छा डॉक्टर होना बहुत बड़ी बात है। एक अच्छा इंसान होना उससे भी बड़ी बात है। नैतिकता, करुणा और परोपकार की भावना के साथ आप सभी प्रतिभाशाली युवा डॉक्टर अनगिनत लोगों के जीवन में उजाला कर सकते हैं। बहुत से मरीज और उनके शुभचिंतक डॉक्टरों को देवदूत ही नहीं, साक्षात भगवान ही समझते हैं। प्रकृति और परिस्थितियों ने, तथा आपकी कुशलता और परिश्रम ने आपको समाज में जो स्थान दिया है उसका सदुपयोग करके आप समाज निर्माण में भी अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

यद्यपि आपके इस संस्थान की भूमिका tertiary healthcare के क्षेत्र में है लेकिन मैं चाहूंगी कि primary healthcare के क्षेत्र में भी आप बहुत सक्रियता के साथ guidance दें, hand-holding करें। Primary care ही universal health coverage का आधार है। Urban Primary Health- Centres तथा Rural Community Health-Centres में जाकर AIIMS देवघर की डॉक्टरों और विद्यार्थियों की टीम द्वारा सहायता की जानी चाहिए। भविष्य के आप सभी specialist doctors से मैं अनुरोध करती हूं कि आप सब inclusive healthcare को व्यक्तिगत स्तर पर भी अपना सिद्धान्त बनाएं।

आप सबकी उच्च शिक्षा में समाज और देश का बहुत योगदान रहा है। आप सबको चाहिए कि आप भी समाज के लिए कुछ करें। प्रचुर जनजातीय आबादी वाले झारखंड राज्य में आप सबके सामने सेवा प्रदान करने के बहुत से अवसर हैं। Neo-Natal Mortality Rate, पांच वर्ष से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने, sickle-cell anaemia तथा thalassemia के निदान जैसे कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर आपके संस्थान को विशेष योगदान देना है।

मुझे बताया गया है कि AIIMS देवघर को Centre of Competence for Tribal Health के रूप में मान्यता दी गई है। मुझे यह भी बताया गया है कि AIIMS देवघर के faculty members जनजातीय समुदायों से जुड़े अनेक स्वास्थ्य संबंधी शोध कार्यों में सक्रिय हैं। दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों में AIIMS देवघर द्वारा सांप के जहर की दवा, vaccines, blood और blood products तथा emergency medicines, drone के माध्यम से पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। ऐसे अनेक प्रयासों के लिए मैं आप सबकी सराहना करती हूं। आप सब जनजातीय समूहों, सुदूर क्षेत्रों तथा वंचित वर्गों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के ऐसे model विकसित कर सकते हैं जिनका अन्य राज्यों तथा क्षेत्रों में उपयोग किया जा सके।

राष्ट्रीय स्तर पर सरकार का यह प्रयास है कि स्वास्थ्य से जुड़े ‘Out-of- Pocket Expenditure’ का दबाव लोगों पर कम से कम हो। इस राष्ट्रीय प्रयास में AIIMS देवघर जैसे संस्थानों और आप जैसे डॉक्टरों का institutional role भी है और individual भी।

देवियो और सज्जनो,

मैं AIIMS देवघर के प्रशासकों, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों की पूरी टीम को एक informal target देती हूं। यह target भले ही informal है लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप सब मिलकर स्वास्थ्य तथा चिकित्सा से जुड़े Sustainable Development Goals की सूची बनाएं। आप देखें कि उन goals को प्राप्त करने में भारत की क्या स्थिति है, झारखंड की क्या स्थिति है। राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर कुछ लक्ष्य प्राप्त कर लिए गए हैं। आपका यह संस्थान बाकी लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर किस प्रकार योगदान दे सकता है।

केंद्र और राज्य सरकारों, हितधारकों, healthcare professionals और institutions के संयुक्त प्रयासों से, हाल के वर्षों में, अनेक उपलब्धियां हासिल की गई हैं। वर्ष 2024 में काला-अजार बीमारी का उन्मूलन कर दिया गया। अब यह हमारे देश में public health problem नहीं रह गई है। Sustainable Development Goals के तहत भारत को यह लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्राप्त करना था। इस लक्ष्य को निर्धारित समय से कई वर्ष पहले हासिल कर लेने के लिए मैं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आप जैसे सभी संस्थानों और व्यक्तियों की सराहना करती हूं।

इसी प्रकार मलेरिया पर नियंत्रण पाने में हमारे देश ने सराहनीय प्रगति की है और पिछले वर्ष के दौरान भारत को High Burden to High Impact group से बाहर निकलने में सफलता प्राप्त हुई है।

प्रिय विद्यार्थियो,

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारे देश को अनेक महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने हैं। इन राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में AIIMS institutions की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता को दूर करने के लिए AIIMS देवघर जैसे जिन आयुर्विज्ञान संस्थानों की स्थापना की गई है वे अंधकार में प्रकाश फैलाने वाले दीप-स्तम्भ की तरह हैं।

AIIMS देवघर जैसे संस्थानों को कम खर्च पर विश्व-स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा तो प्रदान करनी ही है, आप सबको अपने-अपने states और regions में change-agents of healthcare ecosystem की भूमिका भी निभानी है। मुझे विश्वास है कि AIIMS देवघर एक role model institute के रूप में अपनी पहचान बनाएगा। मैं आशा करती हूं कि AIIMS देवघर के प्रथम दीक्षांत समारोह में उपाधियां और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी एक महान medical tradition के अग्रिम ध्वज-वाहक बनेंगे। आप सबके स्वर्णिम भविष्य के प्रति पूरी आस्था के साथ मैं सभी विद्यार्थियों को हृदय से आशीर्वाद देती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द!
जय भारत!

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