भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का आदि कर्मयोगी अभियान पर National Conclave में संबोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 17.10.2025

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का  आदि कर्मयोगी अभियान पर National Conclave में संबोधन (HINDI)

आज आदि कर्मयोगी अभियान के तहत आयोजित इस National Conclave में भाग लेकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। यह कार्यक्रम प्रशासन को सही अर्थों में सहभागी, समावेशी और लोगों की भागीदारी पर आधारित बनाने के हमारे राष्ट्रीय संकल्प को दर्शाता है। मैं आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी राज्यों, जिलों, master trainers, आदि सहयोगियों और आदि साथियों को हार्दिक बधाई देती हूँ। आप सबने जनजातीय भाई- बहनों की सक्रिय भागीदारी के साथ, उनके विकास के लिए जो प्रयास किए हैं, वे सराहनीय हैं। इस अवसर पर मैं केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, उनकी पूरी टीम और अन्य ministries की भी सराहना करती हूँ कि उन्होंने आदि कर्मयोगी अभियान को देश के विभिन्न हिस्सों में जनजातीय समुदायों तक पहुंचाया है और इसे सफल बनाने के लिए वे निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

आदि कर्मयोगी अभियान इस परिवर्तनकारी सोच के साथ शुरू किया गया है कि प्रत्येक आदिवासी गाँव आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बने। इस अभियान के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्र के विकास की यात्रा में आदिवासी समुदायों की भी भागीदारी हो और विकास का लाभ भी सभी आदिवासी क्षेत्रों और लोगों तक पहुंचे। इसके साथ ही आदि सेवा पर्व का भी शुभारंभ किया गया था। आदि सेवा पर्व में Tribal Village Vision 2030 documents भी तैयार किए गए। ये documents जनजातीय समाज के लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं पर आधारित हैं। मुझे विश्वास है कि आज जो Tribal Action Framework बनाया गया है, वह हमारे जनजातीय भाई बहनों के विकास और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस अभियान के अंतर्गत मुझे भी देश के विभिन्न राज्यों के जनजातीय समुदाय के भाई बहनों से अनेक अवसरों पर संवाद करने का अवसर मिला है। आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधि जो अलग-अलग कार्य क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं, वे राष्ट्रपति भवन में आए और उन्होंने अपने विचार साझा किए। जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं को लागू करने में क्या चुनौतियाँ हैं, उनके बारे में भी उन्होंने बताया। मैंने उन प्रतिनिधियों से जो कहा वह मैं आज आपसे भी कहना चाहती हूँ। आज यहाँ देशभर से अधिकारी आए हुए हैं जो अभियानों को और योजनाओं को लागू करेंगे और आदिवासी समाज की भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। आप सब संकल्प लें कि आदि कर्मयोगी अभियान का उद्देश्य पूरा करना है और सभी जनजातीय भाई बहनों को साथ लेकर उनके विकास के लिए अथक परिश्रम करना है।

आज आप सबने इस National Conclave में भाग लिया है। मुझे विश्वास है कि आज के इस conclave में आपको दूसरे राज्यों से और अधिकारियों से कुछ सीखने को मिला होगा। आपको अपनी चुनौतियों का सामना करने अथवा अपनी समस्याओं का समाधान करने के तरीके समझ में आए होंगे। आप सबने अपनी best practices भी साझा की होंगी। मैं आशा करती हूँ कि आप सब अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर नई ऊर्जा और नवीन सोच के साथ कार्य करेंगे तथा एक दूसरे से संपर्क भी बनाए रखेंगे।

देवियो और सज्जनो,

भारत के जनजातीय समुदाय, देश की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जनजातीय परंपराएँ हमें याद दिलाती हैं कि विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य में ही होना चाहिए। इन समुदायों के समग्र विकास के लिए हाल के वर्षों में सरकार ने अनेक ठोस कदम उठाए हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि जनजातीय समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, तकनीकी कौशल और शासन व्यवस्था में समान भागीदारी के अवसर प्रदान करना है।

सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया है — सड़क, बिजली, स्वच्छ जल, स्वास्थ्य केंद्र और विद्यालयों की पहुँच बढ़ाई गई है। शिक्षा के माध्यम से जनजातीय युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आवासीय विद्यालयों और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है। कौशल विकास और स्वरोजगार योजनाओं से पारंपरिक कारीगरी, हस्तशिल्प और उद्यमिता को नई दिशा मिली है। इन प्रयासों से न केवल आजीविका के साधन बढ़े हैं बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना भी मजबूत हुई है।

देवियो और सज्जनो,

आदि कर्मयोगी अभियान के द्वारा ग्राम सभाओं और समुदायों के नेतृत्व वाली संस्थाओं को सशक्त बनाने से, जन भागीदारी की भावना को मजबूती मिली है। इस अभियान में हमारे आदिवासी समुदायों के ज्ञान और प्रकृति के प्रति प्रेम का सम्मान भी निहित है। देश भर में आदि सेवा केंद्रों की स्थापना, स्थानीय शासन को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये केंद्र single window facility centres के रूप में कार्य करते हैं।

देवियो और सज्जनो,

मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि प्रगति के साथ-साथ जनजातीय समाज की संस्कृति, परम्पराओं और ज्ञान के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। ‘आदि संस्कृति’ जैसी पहल यह दिखाती है कि सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक प्रगति, दोनों ही विकास के पूरक स्तंभ हैं। जनजातीय विरासत को डिजिटल तकनीक से जोड़कर पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित भी रखा जा सकता है और इसका प्रचार-प्रसार भी किया जा सकता है।

देवियो और सज्जनो,

आज का Conclave यह दर्शाता है कि जनजातीय समाज की सार्थक भागीदारी से राष्ट्रीय नीति को प्रभावित किया जा सकता है तथा योजनाओं को और बेहतर बनाया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि आदि कर्मयोगी अभियान एवं PM-JANMAN, धरती आबा जन भागीदारी अभियान, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, जैसे सभी अभियानों के माध्यम से जनजातीय समाज का कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है। हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। इस यात्रा के दौरान हमें यह याद रखना है कि देश और समाज की वास्तविक प्रगति समाज के सभी वर्गों के विकास में निहित हैI एक ऐसे समावेशी समाज और देश का निर्माण हमें करना है जहाँ प्रत्येक नागरिक की सार्थक भागीदारी भी हो और वह अपनी नियति स्वयं निर्धारित करने के लिए सशक्त भी हो।

अंत में, आदि कर्मयोगी अभियान और इस conclave के आयोजन से जुड़े सभी लोगों की मैं सराहना करती हूँ और उन्हें बधाई देती हूँ। आप सबके उज्ज्वल भविष्य की मैं मंगलकामना करती हूँ।

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!
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