भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पटना मेडिकल कॉलेज के शताब्दी समारोह में संबोधन (HINDI)
पटना : 25.02.2025


बिहार की इस पुण्यभूमि को मैं सादर नमन करती हूं। भारतीय अध्यात्म का केंद्र रही यह भूमि, माता सीता, भगवान महावीर और भगवान बुद्ध की पावन स्थली है। महात्मा गांधी ने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की प्रेरणा भी यहीं से ली। यही भूमि देश के प्रथम राष्ट्रपति आदरणीय डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्म-भूमि है।
बिहार की अमूल्य धरोहर में पटना का मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भी है। सौ वर्ष पुराने इस अस्पताल में आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। पुरातनता को संजोये और आधुनिकता की ओर निरंतर बढ़ते हुए इस अस्पताल का गौरवमय इतिहास रहा है। सौ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में मैं इस संस्थान से जुड़े सभी पूर्व और वर्तमान चिकित्सकों, अधिकारियों और विद्यार्थियों को बधाई देती हूं।
इस संस्थान का, गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा और शिक्षा प्रदान करने का समृद्ध इतिहास रहा है। इसकी गिनती एशिया के सबसे अच्छे अस्पतालों में होती थी। इस संस्थान के पूर्व विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा, सेवा और समर्पण के बल पर देश-विदेश में अपना और PMCH का नाम रोशन किया है। इसका प्रमाण इस संस्थान से शिक्षित विद्यार्थियों को मिले सम्मान में मिलता है। अनेक पूर्व विद्यार्थी न केवल पद्म पुरस्कारों बल्कि डॉक्टर बी. सी. रॉय पुरस्कार और अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित हुए हैं। इनमें से आंखों के डॉक्टर, दुखन राम जी की ख्याति पूरे भारत में थी। मुझे बताया गया है प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अपनी आंख के इलाज के लिए प्राय: पटना ही आते थे। अपने बचपन में कालाजार से लगातार जूझते हुए, डॉक्टर सी. पी. ठाकुर इसी संस्थान से निकले। उन्होंने कालाजार को खत्म करने का संकल्प उठाया। पिछले साल उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने का अवसर मुझे मिला।
देवियो और सज्जनो,
एक समय था जब बिहार के चिकित्सकों का देश-विदेश में नाम था। लोग दूर- दूर से इलाज के लिए यहां आते थे। बीच के कुछ कालखंड में यहां से अच्छे चिकित्सकों का पलायन हुआ। इस कारण लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा के लिए राज्य से बाहर जाने को मजबूर होना पड़ता है। चिकित्सा के लिए दूसरे शहर या राज्य में जाने से कई समस्याएं पैदा होती हैं। जहां इलाज मिलने में देरी होती है वहीं परदेस में रहने और खाने की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है। रोगियों के परिजनों के रोजगार पर भी असर पड़ता है। बड़े शहरों के चिकित्सा संस्थानों पर भी दबाव बढ़ता है। अच्छे चिकित्सा संस्थानों का देश भर में विकेन्द्रीकरण इन सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक सिद्ध होगा। चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और इंदौर जैसे शहर speciality treatment के केंद्र के रूप में विकसित भी हुए हैं। बिहार में भी ऐसे अनेक केंद्र विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इससे न केवल लोगों को यहीं पर अच्छी चिकित्सा मिलेगी बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। इस कार्य में PMCH और इसके पूर्व विद्यार्थी अपने अनुभव से बड़ा योगदान दे सकते हैं और बिहार के गौरवशाली अतीत को वापस ला सकते हैं।
मुझे खुशी है कि बिहार सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए अनेक उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। PMCH के पुनर्विकास की योजना भी इनमें से एक कदम है। मुझे बताया गया है कि पुनर्विकसित PMCH आधुनिक सुविधाओं और तकनीकी से युक्त होगा और पूरी तरह तैयार होने पर beds की संख्या की दृष्टि से विश्व के विशालतम अस्पतालों में से एक होगा।
देवियो और सज्जनो,
आज का युग technology का युग है। Medical के क्षेत्र में भी technology अहम भूमिका निभा रहा है। Artificial Intelligence और Robotics जैसी तकनीकें चिकित्सा प्रक्रिया को अधिक सरल और सटीक बना रहे हैं। मेरी इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों से अपील है कि आप आधुनिकतम तकनीकों को अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहें। इससे न केवल रोगियों का इलाज़ सुगम होगा बल्कि आपके ज्ञान और कार्यक्षमता में भी वृद्धि होगी।
किसी भी संस्थान के निरंतर विकास में उस संस्थान के शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा किए जा रहे शोध महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि PMCH में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जाता है। कालाजार और Bone TB पर यहां किए गए शोध को दुनिया भर में मान्यता मिली है। Technology के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने से education, research और treatment में उस क्षेत्र के विशेषज्ञ से सहायता ली जा सकती है। PMCH के alumni एक ऐसा network बना सकते हैं जिसमें वे अपने research और problem discuss कर सकें। इससे न केवल चिकित्सकों को बल्कि रोगियों को भी लाभ होगा।
देवियो और सज्जनो,
आप सब जानते हैं कि कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। मेरा मानना है कि इस बीमारी से लड़ने में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, इसके उपचार की सुविधाओं का विकेन्द्रीकरण करना और शोध को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले वर्ष अप्रैल में, भारत की पहली स्वदेश में विकसित CAR-T सेल थेरेपी का शुभारंभ करने का सौभाग्य मुझे मिला था। यह थेरेपी IIT Bombay, Tata Memorial Hospital और ImmunoACT के बीच सहयोग से विकसित की गयी है। PMCH जैसे बड़े संस्थानों से मेरा आग्रह है कि आप अन्य संस्थानों के सहयोग से न केवल कैंसर बल्कि अन्य रोगों के इलाज के लिए नए-नए रिसर्च करें।
देवियो और सज्जनो,
हमारे डॉक्टर, शोधकर्ता, चिकित्सक और शिक्षक होने के साथ-साथ एक परामर्शदाता भी होते हैं। इन सभी भूमिकाओं में वे लोगों और समाज की सेवा करते हुए राष्ट्र-निर्माण में भी अपना योगदान देते हैं।
आप सब जानते हैं कि दुर्घटना की स्थिति में कई बार मरीज के परिजन तुरंत आवश्यकता-अनुसार रक्त-दान करने की स्थिति में नहीं होते हैं। Blood donor नहीं मिलने के कारण वे अधिक तनाव में आ जाते हैं। ऐसी समस्याओं के समाधान में नियमित रूप से स्वैच्छिक रक्तदान महत्वपूर्ण है। मुझे बताया गया है कि PMCH के शिक्षक और विद्यार्थी नियमित रूप से Blood donation camps का आयोजन करते हैं।
रक्त दान के साथ साथ अंगदान भी महत्वपूर्ण हैं। यह प्रसन्नता का विषय है कि PMCH गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर इस दिशा में कार्य कर रहा है। अंगदान के बारे में जागरूकता फैलाने की और भी अधिक आवश्यकता है जिसमें चिकित्सक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
देवियो और सज्जनो,
बिहार की यह धरती माता सीता की धरती है, बुद्ध की धरती है। यहां की मिट्टी में त्याग और करुणा है। इस करुणा की भावना से लोगों की सेवा करना ही सच्चा धर्म है। PMCH का आदर्श वाक्य है 'सर्वे सन्तु निरामया' और कॉलेज गान है ‘सेवा धर्म हमारा’ जो आप लोगों को मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देता है। मुझे विश्वास है कि इस संस्थान से जुड़े लोग निस्वार्थ भाव, दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ सेवा धर्म का पालन करते रहेंगे और इस संस्थान की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
धन्यवाद,
जय हिन्द,
जय भारत!