भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में संबोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 03.12.2025
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मैं आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी दिव्यांगजन तथा संस्थानों को हार्दिक बधाई देती हूं। आज पुरस्कार प्राप्त करने वाली बेटियों की मैं विशेष सराहना करती हूं क्योंकि उन्होंने gender और दिव्यांगता की चुनौतियों को पार किया है तथा असाधारण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। श्रेष्ठ दिव्यांग बालक, मास्टर मुहम्मद याज़ीन और श्रेष्ठ दिव्यांग बालिका, कुमारी धृति रांका को मैं विशेष बधाई देती हूं। पुरस्कार योजना में बच्चों को शामिल करने के लिए ‘दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग’ की मैं सराहना करती हूं।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करके मुझे विशेष संतोष का अनुभव होता है। मैं इस विचार को प्रायः व्यक्त करती हूं कि दिव्यांगजन की अद्भुत उपलब्धियों को देखकर मुझे प्रेरणा मिलती है। इस प्रेरक अनुभव का अवसर प्रदान करने के लिए मैं सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, डॉक्टर वीरेन्द्र कुमार जी को धन्यवाद देती हूं।
देवियो और सज्जनो,
उनतीस नवंबर को मैं Blind Women’s T20 World Cup की विजेता बेटियों से मिली। उन बेटियों ने विभिन्न बाधाओं को पार करके अपनी विश्व-स्तरीय पहचान बनाई है। उन सभी बेटियों पर हमारे देशवासियों को गर्व है। उनसे मिलने के बाद के अपने अनुभव को मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती। उन बेटियों ने सभी देशवासियों के लिए अत्यंत प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
पिछले दशक के दौरान, खेल-कूद के क्षेत्र में हमारे दिव्यांग बेटे-बेटियों ने बहुत तेजी से प्रगति के प्रतिमान स्थापित किए हैं। वर्ष 2012 के Paralympics में भारत को एक पदक प्राप्त हुआ था। समाज और सरकार की सजगता और सक्रियता के परिणाम-स्वरूप वर्ष 2024 के Paralympics हमारे खिलाड़ियों ने 29 पदक प्राप्त किए। दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए विश्व-स्तरीय सुविधाओं और प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन करके, सरकार द्वारा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए मैं सरकार की सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
मुझे आप सबके साथ यह तथ्य साझा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि राष्ट्रपति भवन में दिव्यांगजन से जुड़े प्रयास किए गए हैं। वर्ष 2024 और 2025 में दिव्यांगजनों की प्रतिभा और उपलब्धियों का उत्सव मनाने के लिए राष्ट्रपति भवन में Purple Fest का आयोजन किया गया। इन आयोजनों में बड़ी संख्या में लोगों ने उत्साह के साथ भागीदारी की। वर्ष 2024 में राष्ट्रपति भवन में एक cafeteria की शुरुआत की गई। वह cafeteria दिव्यांगजन चलाते हैं। वहां जाने वाले लोगों को दिव्यांग लोगों की कार्य- कुशलता और अतिथि-सत्कार का बहुत अच्छा अनुभव होता है। वहां काम करने वाले युवा दिव्यांगजन भी उत्साहित रहते हैं। ऐसे अनेक छोटे-छोटे प्रयासों से दिव्यांगजन के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
देवियो और सज्जनो,
उसी समाज को सही अर्थों में विकसित माना जा सकता है जिसमें दिव्यांगजन की बराबर की भागीदारी हो। दिव्यांगजन संवेदनशीलता और करुणा के पात्र नहीं हैं, वे बराबरी के हकदार हैं। वे समाज और देश की विकास यात्रा में समान रूप से भागीदारी कर सकें, यह सुनिश्चित करना सभी हितधारकों का कर्तव्य है, उदारता नहीं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तय किया गया, वर्ष 2025 के ‘अंतर-राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’ का मूल विषय – ‘Fostering disability-inclusive societies for advancing social progress’ - इसी प्रगतिशील विचार को व्यक्त करता है।
दिव्यांगजन के संदर्भ में, हमारा देश welfare mindset से आगे बढ़ते हुए ‘rights-based, dignity-focused’ प्रणाली को अपना रहा है। दिव्यांगजन का समावेश हमारी राष्ट्रीय विकास-यात्रा का अभिन्न अंग है। वर्ष 2015 से ‘दिव्यांगजन’ - इस शब्द का प्रयोग करने के निर्णय के पीछे समानता से भी आगे बढ़कर दिव्यांगता से प्रभावित लोगों को विशेष सम्मान देने का भाव- बोध है। ऐसी प्रगतिशील चेतना के आरंभ और प्रसार के लिए भारत सरकार की मैं विशेष सराहना करती हूं।
वर्ष 2015 में ही ‘सुगम्य भारत अभियान’ का शुभारंभ किया गया। इस अभियान के तहत public buildings, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, bus terminals को दिव्यांगजन के लिए accessible बनाया जा रहा है। इसके साथ-साथ, websites तथा अन्य digital सुविधाओं को भी सुगम्य बनाया गया है। मुझे इस बात की विशेष प्रसन्नता है कि राष्ट्रपति भवन को भी दिव्यांगजन के लिए physically और digitally सुगम्य बनाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।
वर्ष 2016 में लागू किया गया Rights of Persons with Disabilities Act इसी प्रगतिशील सोच को एक अधिनियम का ठोस आधार प्रदान करता है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत दिव्यांगताओं की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार एवं उच्च शिक्षा में आरक्षण के प्रावधानों से दिव्यांगजन के सशक्तिकरण को नई गति और दिशा प्राप्त हुई है।
सरकार द्वारा दिव्यांगजन के समावेश और सशक्तिकरण की दिशा में eco- system मजबूत बनाया जा रहा है। Sign-language से जुड़े शोध और प्रशिक्षण, mental-health rehabilitation तथा sports training जैसे विविध क्षेत्रों में दिव्यांगजन के हित में राष्ट्रीय स्तर पर अनेक संस्थानों की स्थापना की गई है। लाखों दिव्यांगजन को Unique Disability ID cards दिए गए हैं। इससे वे दिव्यांगजन विशेष सुविधाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। शिक्षा, सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दिव्यांग बच्चों को अन्य बच्चों के समान अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
सरकार के साथ-साथ समाज को भी दिव्यांगजन के हित में जागरूक और सक्रिय रहना चाहिए। इससे सरकार के प्रगतिशील प्रयासों को बल मिलेगा। समाज द्वारा, दिव्यांगता से प्रभावित लोगों की गरिमा और समानता पर ध्यान देने से, दिव्यांगजन अपने जीवन में अधिक प्रसन्नता और कार्य-क्षेत्रों में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
दिव्यांगजन की गरिमा, आत्मनिर्भरता और आत्म-गौरव को सुनिश्चित करना हम सभी देशवासियों की जिम्मेदारी है। सभी देशवासियों को यह संकल्प लेना चाहिए कि हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय प्रगति के प्रयासों में दिव्यांगजन को भागीदार बनाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी दिव्यांगजन पीछे न छूटे।
मैं यह विश्वास व्यक्त करती हूं कि वर्ष 2047 तक हमारे देशवासी विकसित और समावेशी भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। उस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारे दिव्यांगजन का अमूल्य योगदान रहेगा। मैं दिव्यांगजन सहित सभी देशवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना करती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!
