भारत की राष्‍ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में संबोधन

नागपुर : 02.12.2023

डाउनलोड : भाषण भारत की राष्‍ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में संबोधन(हिन्दी, 154.8 किलोबाइट)

भारत की राष्‍ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में संबोधन

आज आप सब को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस विश्वविद्यालय के पूर्व दीक्षांत समारोहों की गरिमा बढ़ाने वाले व्यक्तित्व में डॉक्टर एस. राधाकृष्णन, डॉक्टर सी. वी. रमन, श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी, श्री सच्चिदानंद सिन्हा, श्री सी. राजगोपालाचारी, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, श्री जवाहर लाल नेहरू, और डॉक्टर एम. एस. स्वामीनाथन जैसे मूर्धन्य लोगों के नाम हैं।

इस दीक्षांत समारोह के दौरान graduation और post-graduation की डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देती हूँ। मुझे बताया गया है कि डिग्री प्राप्त करने वाले करीब 80 हजार विद्यार्थियों में आधी से ज्यादा बेटियाँ हैं। मैं उन 129 विद्यार्थियों को भी विशेष बधाई देती हूं जिन्होंने आज Ph.D. की उपाधि प्राप्त की है। यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि इन 129 Ph.D. प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 57 बेटियाँ हैं। मैं इस अवसर पर विद्यार्थियों के माता-पिता और अभिभावकों तथा विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्यों को भी बधाई देती हूं।

मुझे बताया गया है कि वर्तमान में इस विश्वविद्यालय और इसके 500 से अधिक संबद्ध कॉलेजों में लगभग 4 लाख विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह बड़े ही संतोष का विषय है कि कुल विद्यार्थियों में लगभग 40 प्रतिशत बेटियाँ हैं। मेरा मानना है कि लड़कियों की शिक्षा में निवेश करना, देश की प्रगति में अमूल्य निवेश है।

देवियो और सज्जनो,

एक शताब्दी से विदर्भ क्षेत्र में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से जुड़े सभी पूर्व और वर्तमान शिक्षकों और कर्मचारियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूँ। मुझे खुशी है कि अपनी 100 वर्षों की यात्रा के दौरान, इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा के उच्च मानकों की स्थापना की है।

इस विश्वविद्यालय की अपनी एक समृद्धशाली विरासत है। यहाँ के पूर्व विद्यार्थियों ने राजनीति, न्यायपालिका, विज्ञान और समाज-सेवा जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री, श्री पी.वी. नरसिम्हा राव, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एम. हिदायतुल्ला और जस्टिस शरद अरविंद बोबडे जैसे प्रख्यात लोग इस विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। आज हमारे बीच आपके विश्वविद्यालय के दो पूर्व छात्र इस मंच पर उपस्थित हैं – नितिन गडकरी जी और देवेन्द्र फडनवीस जी। आप दोनों पर न केवल इस विश्वविद्यालय को बल्कि महाराष्ट्र और पूरे भारत को गर्व है।

किसी भी संस्थान के alumni उस संस्थान से भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं। उनके दिलों में अपने alma mater को आगे बढ़ते देखने की इच्छा होती है। मेरा मानना है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को अपनी बेहतरी के लिए उनका सहयोग लेना चाहिए। नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र भी इस संस्थान को एक global centre of excellence के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

प्यारे विद्यार्थियों,

औपचारिक डिग्री प्राप्त कर लेना शिक्षा का अंत नहीं है। हमें जीवन भर जिज्ञासु बने रहना चाहिए और सीखते रहना चाहिए। आज जब technology के क्षेत्र में तेज गति से परिवर्तन हो रहा है तब निरंतर सीखते रहना और भी आवश्यक हो जाता है।

आप सब युवा हैं। आप सब technology का प्रयोग करना जानते हैं और करते भी हैं। किसी भी साधन का सदुपयोग भी किया जा सकता है और दुरुपयोग भी। यही तथ्य technology के साथ भी लागू होता है। अगर हम इसका सदुपयोग करेंगे तो देश और समाज का भला होगा और अगर दुरुपयोग करेंगे तो मानवता का नुकसान होगा। आज artificial intelligence का उपयोग हमारे जीवन को सुगम बना रहा है। लेकिन Deepfake के लिए इसका उपयोग समाज के लिए खतरा है। इस संदर्भ में नैतिकता से युक्त शिक्षा हमें राह दिखा सकती है।

देवियो और सज्जनो,

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भारतीय मूल्यों से युक्त एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जो सभी को उच्चतर गुणवत्ता-युक्त शिक्षा उपलब्ध कराके भारत को एक global knowledge-power के रूप में स्थापित करे। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय ने अपने सभी Under-graduate और Post-graduate programs में National Education Policy को लागू कर दिया है। इसके लिए मैं विश्वविद्यालय के सभी stakeholders को साधुवाद देती हूँ।

किसी भी देश के विकास में research और innovation का महत्वपूर्ण योगदान होता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि यह विश्वविद्यालय research, innovation और technology development को प्रोत्साहित कर रहा है। यहाँ के faculty-members के नाम से Indian Patent Office में 60 से अधिक patents पंजीकृत हैं। विद्यार्थियों में start-ups culture को प्रोत्साहित करने के लिए Incubation Centre भी स्थापित किया गया है। आपसे यह अपेक्षा है कि आप स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए research और innovation करें और उन innovations को implement भी करें।

आज पूरी दुनिया एक global village है। कोई भी संस्थान दुनिया से कट कर नहीं रह सकता है। आपको inter-disciplinary studies और international collaboration को बढ़ावा देना चाहिए। Research और innovation को एक-दूसरे से साझा करके ही देश और दुनिया के सामने आ रही चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

देवियो और सज्जनो,

शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों की समाज के प्रति भी ज़िम्मेदारी होती है। आपके विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध संस्थानों में विद्यार्थियों की बहुत बड़ी संख्या है। स्वाभाविक है इनमें आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी भी होंगे। उनकी सहायता करना आपका व्यक्तिगत और सामूहिक कर्तव्य है। मुझे खुशी है कि यह विश्वविद्यालय earn and learn, internship और skill development जैसी पहल द्वारा उनकी मदद कर रहा है। मैं चाहूंगी कि आप सभी अध्यापक और विद्यार्थीगण व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर शिक्षा और विकास-यात्रा में पिछड़ गए लोगों को साथ लाने का प्रयास करेंगे। आपका यह प्रयास अमृत काल में विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होगा। राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, जिनके नाम पर यह विश्वविद्यालय है, उन्होने ग्राम-गीता में लिखा है:

व्हावें मोठे बाबूसाहेब। काम जुजबी पैसा खूब। 
मोठी पदवी दिखाऊ ढब। ही उच्चता म्हणोंचि नये॥

इसका भावार्थ है – ऊंची डिग्री, अच्छी नौकरी, बड़ा पद, कम मेहनत और ज्यादा वेतन तथा दिखावटी आन-बान मनुष्य की श्रेष्ठता के लक्षण नहीं होते हैं।

देवियो और सज्जनो,

इस विश्वविद्यालय ने ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कहा जाता है कि ज्ञान बांटने से बढ़ता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यह विश्वविद्यालय, इस क्षेत्र में, अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में मार्गदर्शन कर रहा है।

प्रिय विद्यार्थियो,

आज का दिन आपके जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन की बहुत सी बातें आपको सदैव याद रहेंगी। मैं आज आपसे कहना चाहूंगी कि आपके जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आ सकती हैं लेकिन आप उससे घबराएँ नहीं। उस परिस्थिति का अपने ज्ञान और आत्मबल से मुक़ाबला करें, अपने चाहने वालों से जुड़े रहें और अपनी योग्यता पर भरोसा रखें। विपत्ति के बादल छंट जाएंगे और आपके सामने आपका उज्ज्वल भविष्य होगा। आप राष्ट्र और समाज की संपत्ति हैं। आपके कंधों पर ही हमारे देश का भविष्य टिका है। मुझे विश्वास है कि आप अपने और भारत के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे। मेरा आशीर्वाद आपके साथ है।

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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