भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का IIT Kharagpur के 69वें दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

खड़गपुर : 18.12.2023

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का IIT Kharagpur के 69वें दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

तकनीकी शिक्षा के अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान और IIT प्रणाली की जननी - IIT Kharagpur में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस हरे-भरे वातावरण के बीच आना मेरे लिए सुखद अनुभव है। IIT Kharagpur भारत का सबसे बड़ा ‘Greenfield’ campus है। State-of-the-art modern infrastructure और गुरुकुल आधारित बुनियाद का विवेकशील मिश्रण अपने आप में सम्मोहित करने वाला है।

मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी 3205 विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभाशीष देती हूँ। मैं कामना करती हूँ कि आपका जीवन सार्थकतापूर्ण हो और आप उपलब्धियों के उच्चतम शिखर को छूएँ। मैंने पाया है कि आज उपाधि प्राप्त करने वालों में करीब 21 प्रतिशत बेटियाँ हैं। मैं उनको विशेष बधाई देती हूँ। मेरा मानना है कि science और technology के क्षेत्र में भी महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी एक स्वस्थ और सशक्त समाज के लिए आवश्यक है।

आज Lifetime Achievement Award और Life Fellow Award से सम्मानित सभी विभूतियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूँ। यह सम्मान science, education और research के प्रति आपके समर्पण का प्रतीक है। मेरी कामना है कि आप आने वाले समय में भी विज्ञान की ऐसी ही सेवा करते हुए समाज की प्रगति में अपना योगदान देते रहें।

देवियो और सज्जनो,

हमारे IIT system की पूरी दुनिया में एक साख है। IITs को प्रतिभा और प्रौद्योगिकी का incubation centre माना जाता है। IIT Kharagpur ने अपने लगभग 73 वर्षों के सफर में अनेकों अद्वितीय प्रतिभाओं को तराशा है। आपके संस्थान को देश का पहला IIT होने का गौरव भी प्राप्त है। देश के विकास में आपका योगदान अप्रतिम है। मैं आपकी योग्यता, दक्षता और योगदान की सराहना करने के साथ-साथ आपसे यह अपेक्षा करती हूँ कि देशभर के नए संस्थानों का आप मार्गदर्शन करें।

विश्व की प्राचीनतम ज्ञान परंपरा वाले इतने विशाल देश का एक भी शिक्षण संस्थान विश्व के 50 शीर्ष शिक्षण संस्थानों में नहीं है, यह मंथन करने का विषय है। Ranking की दौड़ अच्छी शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन अच्छी Ranking न केवल दुनिया भर के विद्यार्थियों और अच्छे Faculty को आकर्षित करती है बल्कि देश के सम्मान में भी वृद्धि करती है। इसलिए मैं चाहूंगी कि देश का सबसे पुराना IIT होने के नाते IIT Kharagpur इस दिशा में प्रयास करे।

मुझे बताया गया है कि भारत सरकार की IIT के अंतर-राष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण करने की नीति के अनुरूप कार्य करते हुए, IIT Kharagpur अन्य Global संस्थानों के साथ गठबंधन और सहयोग पर कार्य कर रहा है। यह कदम न केवल IIT Kharagpur को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में मदद करेगा बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।

प्यारे विद्यार्थियों,

आपके संस्थान का ध्येय वाक्य है “योगः कर्मसु कौशलम्”। इसका मतलब है कर्म की कुशलता ही योग है। भगवद गीता का यह उपदेश आपको प्रेरित करता है कि आप जो भी कार्य करें पूरी दक्षता और निष्ठा से करें। आपकी महत्वकांक्षाएं राष्ट्र की अपेक्षाओं के अनुरूप हों। आपका कर्मयोगी भाव समाज व राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करे। मुझे खुशी है कि जीवन का यह गूढ़ मंत्र आपकी प्रेरणा का स्रोत है।

मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब निसंदेह ही अपने profession में उच्चतम श्रेणी का कार्य करेंगे। आप जहां भी होंगे अपने संस्थान के द्वारा प्रदत्त ज्ञान और शिक्षा का प्रयोग कर नवाचार करेंगे। आपको याद रखना है कि समाज और देश को आपसे बहुत अपेक्षा है। आप अपने professional जीवन में तो excellence हासिल करें ही, साथ ही अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन भी करें। आप सदैव याद रखें कि आपका हर विचार, हर स्वप्न और हर कदम, मानवता की बेहतरी के लिए समर्पित हो।

देवियो और सज्जनो,

मैंने पहले भी कहा है कि technology पर सब का अधिकार होना चाहिए। इसका उपयोग सामाजिक न्याय और समता को बढ़ावा देने के उदेश्य से होना चाहिए न कि समाज में खाई को बढ़ाने के लिए। Digital payment system technology का आम लोगों के जीवन को सरल बनाने का सबसे उत्तम उदाहरण है। आज छोटे-से-छोटा दुकानदार बहुत छोटी रकम के लिए भी digital payment का उपयोग कर रहा है। पिछले हफ्ते ही ISRO के Chairman एस. सोमनाथ जी मुझसे मिले और राष्ट्रपति भवन में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के समक्ष एक व्याख्यान भी दिया। उन्होंने बताया कि कैसे space technologies और science हमारे जीवन को सुगम बना रही है और अक्सर हम इस बात से अनभिज्ञ भी रहते हैं।

आप सब जानते हैं कि हमने वर्ष 2047 तक, जब हमारा देश स्वतन्त्रता के 100 साल मना रहा होगा, भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत सरकार इसी विज़न को ध्यान में रखते हुए समावेशी विकास के विचार के साथ आगे बढ़ रही है। आप लोगों को innovation और technology के माध्यम से 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में अहम भूमिका निभानी होगी। आपको technology के विकास और उसे धरातल पर उतारने के क्रांतिकारी प्रयास करने होंगे। मुझे बताया गया है कि IIT Kharagpur की शुरुआत पुराने Hijali Detention Camp में हुई थी, जिसे शहीद भवन के नाम से भी जाना जाता है। वहाँ से कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए संघर्ष किया। ऐसे क्रांतिकारी स्थल से शुरू हुए इस संस्थान से innovation और technology के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की अपेक्षा तो की ही जा सकती है।

देवियो और सज्जनो,

आज भारत नयी ऊंचाइयों को छू रहा है, नए मानक स्थापित कर रहा है और एक प्रमुख विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है। हम वसुधैव कुटुम्बकम्की  भावना से विश्व के सामने आ रही चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए तत्पर हैं। भारत के इस अमृत काल में technology के जरिये मंथन से ही स्वर्णिम युग आएगा। बदलाव की बयार कल्पना से तेज है।

Computerization, solar energy, genomics और large language models कुछ ऐसे प्रयोग हैं जो सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखते हैं। 150 साल पहले तक जो बीमारियाँ असाध्य लगती थीं, आज उनका उपचार लगभग नि:शुल्क उपलब्ध है। लोगों का जीवन-स्तर अच्छा हो रहा है। इस दुनिया को और बेहतर और समावेशी बनाने में technology की भूमिका अहम है। मैं चाहूंगी कि आप सब लोग positive approach के साथ एक ऐसा mindset develop करें जो growth oriented, futuristic और curious हो। इसके साथ-साथ आपके इस अद्भुत वर्तमान के लिए आपके अंदर राष्ट्र और समाज के प्रति gratitude की भावना हो। मुझे विश्वास है कि आप देश और विश्व को और बेहतर तथा सुरक्षित भविष्य दे पाएंगे।

हम सब का प्रयास होना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी एक ऐसे संसार की उत्तराधिकारी हो जहां न्याय, समानता और सौहार्द केवल आदर्श न होकर जीवन की आम बात हो, जहां ऊँच-नीच का भेद न हो और जहां प्रत्येक व्यक्ति निर्भय होकर जीवन-यापन कर सके। आपको जब भी इस बात में संदेह हो कि आप एक ऐसे संसार के निर्माण में योगदान दे रहे हैं या नहीं तब आप गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की ये पंक्तियाँ याद करें:

Where the mind is without fear       
and the head is held high       
Where knowledge is free       
Where the world has not       
been broken up into fragments       
By narrow domestic walls

इस विश्वास और आशीष के साथ कि जग में आपकी प्रशस्ति हो, आपकी कर्मठता अनुकरणीय हो, आपका सुयश बढ़े और आपका आचरण विनयपूर्ण रहे, मैं सभी डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को एक बार फिर से बधाई और शुभकामनाएं देती हूँ।

धन्यवाद,       
जय हिन्द!       
जय भारत!

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