भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हुबली-धारवाड़ में आयोजित ‘पौर सम्मान’ समारोह के अवसर पर संबोधन

हुबली-धारवाड़ : 26.09.2022

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हुबली-धारवाड़ में आयोजित ‘पौर सम्मान’ समारोह के अवसर पर संबोधन

आज, हुबली-धारवाड़ twin citiesमेंआप सबके बीचआकरमुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

ये दोनों शहर,कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे भारत के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा हैं और भारत के सांस्कृतिक मानचित्र पर इनकी उपस्थिति उल्लेखनीय रही है। ऐसे महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक नगर का निवासी होने के लिए मैं आप सबको बधाई देती हूं।

उत्तरी कर्नाटक का यह संपूर्ण क्षेत्र,और विशेष रूप से ये दोनों शहर,अपनी सांस्कृतिक विरासत,आध्यात्मिक ऊर्जा तथा आधुनिक सोच के लिए जाने जाते हैं। कन्नड़ा,मराठी और हिंदी भाषाओं का अद्भुत संगम,यहां के लोगों के बीच परस्पर सामंजस्य का उत्तम उदाहरण है।

इन twin citiesके लोग,प्राचीनता और आधुनिकता को एक साथ जी रहे हैं। आप लोग, हमारी प्राचीन विरासत के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मैं अनुमान कर सकती हूं कि प्राचीन भारतीय दर्शन के प्रतिष्ठित विद्वान और भारत के दूसरे राष्ट्रपति,डॉक्टर एस. राधाकृष्णन ने,इस नगर में पधारकर, इस विशेषता को प्रत्यक्ष देखा होगा। और,आधुनिक भारत के महान वैज्ञानिक तथा मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति,डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भी यहां की आधुनिकता को सराहा होगा। उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए,प्राचीनता और आधुनिकता के इस संगम में,आपके बीच आकर, मुझे गौरव का अनुभव होता है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे नीतिग्रंथों में कहा गया हैकि‘विद्या धनम् सर्वधन-प्रधानम्’अर्थात विद्या-धन सभी प्रकार के धन से श्रेष्ठ है’। इसका प्रमाण,भारत में तक्षशिला,पुष्पगिरी,नालंदा,विक्रमशिला,वलभी,काशी और मनिखेत जैसे प्रमुख शिक्षा केन्द्रों की स्थापना से मिलता है। उत्तरी कर्नाटक के इस हिस्से में,इस समय भी,Medical college, IIT, IIIT, Law, Science, ArtsऔरTechnologyके अनेक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र संचालित हैं। संभवत:इसी कारण,इस क्षेत्र को‘विद्या-काशी’कहा जाता है। विद्या की इस नगरी ने,दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे और विनायक कृष्ण गोकाक जैसेप्रतिष्ठित साहित्यकारदेश को दिए हैं।

विद्या और ज्ञान के पुण्य कार्य को आगे बढ़ाने में ही समाज और देश का कल्याण है। कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत,अनेक राज्य विश्वविद्यालयों के चांसलर हैं। मुझे विश्वास है कि उनके मार्गदर्शन में शिक्षा और लोक-कल्याण का कार्य प्रदेश में आगे बढ़ता रहेगा।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राज्य के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई और केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी भी आपके बीच पले-बढ़े हैं। मैं आप सभी को बधाई देती हूं कि आपने ऐसे ऊर्जावान प्रतिनिधियों को चुना है जो प्रदेश और देश के विकास की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

देवियो और सज्जनो,

हम सभी भारतवासी,उन महान विभूतियों के ऋणी हैं जिन्होंने देश को अध्यात्म,संगीत और ललित-कलाओं के क्षेत्र में समृद्ध किया। पूरा देश कर्नाटक के संत बसवेश्वर जी की महान शिक्षाओं से और श्री सिद्धारूढ़ महाराज जी की आध्यात्मिक देन से धन्य हो गया है।

यह गर्व का विषय है कि इस मिट्टी में पले-बढ़े अनेक कला-मर्मज्ञों ने संगीत के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त की है। भारत रत्न से सम्मानित प्रख्यात संगीतज्ञ,पंडित भीमसेन जोशीऔर विदुषी गंगूबाई हंगल के साथ-साथ पंडित बसवराज राजगुरु ने हिंदुस्तानी संगीत को नए आयाम दिए।

देवियो और सज्जनो,

पूरा देश इस समय ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’मना रहा है। यह महोत्सव,हमारे स्वाधीनता सेनानियों के स्मरण और सम्मान के बिना पूरा नहीं हो सकता। चाहे कित्तूरु की रानी चेन्नम्मा हों या नरगुंड बाबा साहब हों,या फिर असंख्य अनाम स्वाधीनता सेनानी हों। वे सब,अपनी धरती के सम्मान के लिए लड़ने वाले अमर सेनानी थे। मैं,उनके त्याग और वीरता को सादर नमन करती हूं।

आज़ादी का अमृत महोत्सव,एक‘आत्म-निर्भर भारत’के लिए हमारे संकल्प का समय है। हमारा यह संकल्प होना चाहिए कि वर्ष 2047 में, जब यह देश अपनी आज़ादी की शताब्दी मना रहा होगा,तब हमारा भारत एक ‘विकसित भारत’होगा,एक आत्म-निर्भर भारत होगा।

देवियो और सज्जनो,

आज, इस समारोह में उपस्थित, आप सभी लोगों के प्रेम और स्नेह को देखकर मैं अति प्रसन्न हूं। हुबली-धारवाड़ महानगरपालिका के माध्यम से,ओडिशा के एक साधारण परिवार की बेटी का अभिनंदन करके,आप सबने भारत की राष्ट्रपति का ही नहीं,अपितु,भारत की सभी बेटियों का अभिनंदन किया है।

इस सम्मान के लिए मैं सभी नगर-निवासियों का आभार व्यक्त करती हूं और आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद!   
जय हिन्द! 

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