भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय लागत लेखाकार संस्थान के राष्ट्रीय छात्र दीक्षांत समारोह में संबोधन
नई दिल्ली : 23.06.2025
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आज भारतीय लागत लेखाकार संस्थान के राष्ट्रीय छात्र दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मैं सबसे पहले सभी उत्तीर्ण प्रोफेशनल्स को बधाई देती हूँ, तथा उनके भविष्य की सफलता के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ।
देवियो और सज्जनो,
भारत में लेखांकन की प्रथा का एक लंबा इतिहास रहा है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में न केवल राजकोष का बल्कि इसकी विनिर्माण इकाइयों के लिए भी लेखा-जोखा रखने के बारे में विस्तृत मार्गदर्शन किया गया है। इसमें लागत पहलू के बारे में भी बताया गया है, तथा इसकी शिक्षाओं को आज सरकारों और निजी निगमों पर आसानी से लागू किया जा सकता है। हमारे इतिहास को देखें तो लेखाकारों को हमारे समाज में सदा उच्च सम्मान दिया गया है। मेरा मानना है कि इसका कारण यह है कि लेखांकन और जवाबदेही का आपस में गहरा संबंध होता है। हम जवाबदेही को महत्व देते हैं, इसलिए हम लेखांकन को विशेष महत्व देते हैं।
आधुनिक समय में, हमारी इस समृद्ध विरासत को अन्य संस्थाओं के अलावा भारतीय लागत लेखाकार संस्थान द्वारा आगे ले जाया जा रहा है। आईसीएमएआई की स्थापना देश में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के पेशे के विनियमन और विकास के लिए वर्ष 1944 में की गई थी। इसलिए यह संस्थान स्वतंत्रता के बाद भारत के आर्थिक परिवर्तन की गाथा का साक्षी है। बल्कि साक्षी ही नहीं, वास्तव में इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को आज विश्व की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में एक बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है। इसने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभाई है तथा आर्थिक और कॉर्पोरेट इतिहास के विशेषज्ञ हमारे औद्योगिक विकास में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के इनपुट के महत्व की सराहना करते रहे हैं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि यह संस्थान दुनिया का सबसे बड़ा लागत और प्रबंधन लेखांकन संस्थान है, जिसके लगभग 1,00,000 उपाधिप्राप्त सीएमए और 5,00,000 के लगभग विद्यार्थी सीएमए पाठ्यक्रम कर रहे हैं। इस संस्थान में प्रतिभाओं का पोषण और लागत लेखांकन पेशेवरों को तैयार किया जाता है जो व्यवसायों के लिए स्पर्धात्मक लागत हासिल करने में मदद करते हैं। इनके इनपुट्स से हमारे कॉर्पोरेट क्षेत्र ने अपनी क्षमता, दक्षता, उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार किया है।
आईसीएमएआई देश की प्रगति में साझेदार रहा है क्योंकि यह नीति निर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों को लागत-कुशल कार्यनीतियां, प्रणालियां और मैनुअल विकसित करने में अति मूल्यवान सहायता प्रदान करता है। सीएमए के कार्यों का विस्तार कारखानों में लागत लेखांकन से लेकर बोर्डरूम में प्रबंधन लेखांकन तक हुआ है। सीएमए अब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कराधान, कॉर्पोरेट लॉ, मध्यस्थता, दिवालियापन, मूल्यांकन, सामाजिक लेखा परीक्षा, स्वतंत्र निदेशक, बैंकिंग और बीमा जैसे क्षेत्रों में कार्य करते हैं।
सीएमए पाठ्यक्रम 2022 को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लेखा निकायों के पाठ्यक्रम के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार बनाया गया है। ऐसे पाठ्यक्रम से भविष्य के अग्रणी व्यापार से जुड़े लोग तैयार होंगे।
आज के अवसर पर, मैं पूरे सीएमए समूह को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए बधाई देती हूँ जिसने न केवल हमारी अर्थव्यवस्था बल्कि हमारे समाज में भी योगदान दिया है। इस संस्थान और इसके सदस्यों की उपलब्धियाँ हमारे राष्ट्र के लिए बहुत गर्व की बात है।
प्यारे विद्यार्थियो,
आज का दिन आपके जीवन का एक यादगार दिन है, आज आप सबने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। आपने लागत और प्रबंधन लेखांकन के कौशल का ज्ञान हासिल कर लिया है, और अब आप अपना करियर शुरू करने वाले हैं। ऐसे समय में, मैं आपको कुछ सलाह देना चाहती हूं।
मुझे महात्मा गांधी का स्मरण हो आया है। जो अदालती मामला दक्षिण अफ्रीका में उन्हें लेकर आया, वह बहीखाता संबंधी मामलों से जुड़ा था। हालाँकि उन्हें उस समय लेखा-कार्य की जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने इससे जुड़ी एक पुस्तक खरीदी, कड़े श्रम से उसे पढ़ा और जल्द ही लेखांकन की मूल बातें सीख लीं।
दक्षिण अफ्रीका और बाद में भारत में, उन्होंने उन सार्वजनिक निकायों के धन का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरती, जिनसे वे जुड़े हुए थे। अपनी आत्मकथा में, उन्होंने लिखा है, "किसी भी संस्था का बारीकी से रखा गया हिसाब उसकी नाक है । इसके अभाव में वह संस्था आखिर गन्दी और प्रतिष्ठा-रहित हो जाती है। शुद्ध हिसाब के बिना शुद्ध सत्य की रक्षा असंभव है।"
गांधीजी स्पष्ट रूप से आपके पेशे को बहुत सम्मान देते थे। वे जानते थे कि लेखांकन और जवाबदेही का आपस में गहरा संबंध है। उनके लिए, लागत-दक्षता जीवन जीने का एक तरीका था। यह धन बचाने से ही संबंधित नहीं है, बल्कि अमूल्य और अक्सर अपूरणीय संसाधनों को बचाने के बारे में है। दुनिया जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रही है। सस्टेनबिलिटी अब एक नारा नहीं रह गया है; यह एक आवश्यकता बन गई है। वह समय बीत चुका है जब कॉर्पोरेट संगठन केवल लाभ के उद्देश्य से काम करते थे। अब उन्हें पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में रखना होगा। ऐसे में सीएमए अपने कौशल से धरती के भविष्य में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
जब आप अपनी पेशेवर जीवन की आरम्भिक अवस्था में हैं, तो यह ध्यान रखें कि आपकी ज़िम्मेदारियाँ वित्तीय लेखांकन तक सीमित नहीं हैं। लागत लेखाकार के रूप में, आप 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने में योगदान देने के लिए बड़ी अच्छी स्थिति में हैं। मुझे विश्वास है कि इस संस्थान में प्राप्त की गई शिक्षा से आप सब सफल पेशेवर तो बनेंगे ही साथ ही राष्ट्र-निर्माण में भी योगदान देंगे। आप सभी ईमानदारी से कार्य करें, अपने कार्य से औरों को प्रेरणा दें और देश का गौरव बढ़ाएं।
मैं एक बार फिर, सभी उत्तीर्ण विद्यार्थियों के साथ-साथ आईसीएमएआई के आधिकारियों और पूरे सीएमए समूहौ को बधाई देती हूँ। आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएँ।
धन्यवाद।
जय हिंद!
जय भारत!