भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में संबोधन
बेंगलुरु : 14.02.2025

आर्ट ऑफ लिविंग के अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के इस उद्घाटन सत्र में आप सभी के साथ सम्मिलित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। दुनिया के विभिन्न भागों में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी इतनी बहनों को यहाँ एकत्रित देखकर बहुत प्रसन्नता हुई है। आप सब ही हैं जो दुनिया में लोगों, विशेषकर अन्य महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक और दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती हैं। इस सम्मेलन का विषय, “जैसे हो वैसे रहो”, लोगों को रुकने, चिंतन करने और अपने भीतर गहराई से देखने के लिए प्रेरित करता है। हमारे भीतर गुणों, प्रतिभाओं और अपार शक्ति का भंडार है। हमें इसे पाना है और इसका उपयोग अपने हित के साथ-साथ मानव जाति के लाभ के लिए करना है। श्री श्री रविशंकर जी और आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर ने पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान और मानव सेवा के जरिए अपने भीतर की शक्ति का पता लगाने और आंतरिक शांति पाने के लिए प्रेरित किया है और सहयोग दिया है।
देवियो और सज्जनो,
हम तकनीकी युग में जी रहे हैं। प्रौद्योगिकी की प्रगति से हमारा जीवन स्तर कुछ बेहतर हुआ है। प्रतिस्पर्धी दुनिया में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मानवीय मूल्य बने रहें। वास्तव में, प्रत्येक व्यक्ति को करुणा, प्रेम और एकता के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सजग होकर अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए। ऐसे में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। महिलाएं करुणा के साथ नेतृत्व करने की विशेष क्षमता रखती हैं। महिलाओं के पास व्यक्ति के पार देखने और परिवारों, समुदायों की भलाई के लिए कार्य करने तथा वैश्विक स्तर पर भी संबंधों के लिए कार्य करने की क्षमता होती है।
आज इस सम्मेलन में वे महिलाएं मौजूद हैं, जिन्होंने अपने अलग तरीकों से लोगों और राष्ट्रों के विकास में योगदान दिया है। मुझे बताया गया है कि वे महिलाएं मन और चेतना से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करेंगी। मुझे यह भी बताया गया है कि इस सम्मेलन के सत्रों में अलग-अलग चुनौतियों से जीतने में मन की शक्ति का उपयोग करने पर चर्चा की जाएगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाली सभी महिलाएँ ऐसे आध्यात्मिक सिद्धांत प्रस्तुत करेंगी जिन्हें लोग अपने जीवन और अपने आसपास के लोगों के जीवन को और अधिक सुंदर और शांतिपूर्ण बनाने के लिए लागू कर पाएं। इस तरह के सम्मेलनों का यह संदेश होता हैं कि व्यक्ति एक अलग इकाई नहीं है, बल्कि वह एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और सम्पूर्ण का अंग है।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि इस सम्मेलन में मानसिक स्वास्थ्य पर भी सत्र आयोजित किए जाएँगे। आज दुनिया में, मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा सभी आयु वर्ग के लोगों के सामने सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। विशेष रूप से महिलाएँ, पेशेवर रूप से प्रतिस्पर्धा करने, सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करने सहित अनेक चुनौतियों का सामना कर रही हैं।
कभी-कभी समाज के सांस्कृतिक मापदण्डों के कारण महिलाएं अपनी भावनाओं के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती हैं। हममें से प्रत्येक को यह समझने की ज़रूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य किसी भी महिला के लिए सार्थक जीवन जीने और परिवार, समाज और दुनिया के लिए योगदान देने की क्षमता का आधार है। आप सब समाज में इस संवाद के लिए स्थान बनाकर और सहायता प्रदान करके मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में व्याप्त चुप्पी को तोड़ने में सहायता कर सकती हैं। आप सब साथ मिलकर परिवर्तन ला सकती हैं और यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़ जाए।
मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि भारत की नारी शक्ति आकांक्षा रखने, उन्हें पूरा करने और योगदान देने के लिए आगे बढ़ रही है। विज्ञान का क्षेत्र हो, खेल का हो, राजनीति, कला या संस्कृति का क्षेत्र हो, हमारी बहनें और बेटियाँ सम्मान के साथ आगे बढ़ रही हैं। महिलाएं अपने परिवार, संस्थानों और देश को गौरवान्वित कर रही हैं। मानसिक क्षमता के बिना बाधाओं को तोड़ना और रूढ़ियों को चुनौती देना आसान नहीं है। मैं प्रत्येक महिला से कहना चाहती हूँ कि वह साहसी बने, बड़े सपने देखे और अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत और क्षमता का उपयोग करे। प्रत्येक द्वारा अपने लक्ष्य की ओर उठाया गया हर छोटा कदम, एक विकसित भारत के लिए उठाया गया कदम होगा।
देवियो और सज्जनो,
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आर्ट ऑफ़ लिविंग शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कार्यक्रम चला रहा है। मुझे बताया गया है कि इन कार्यक्रमों से न केवल शहर के बल्कि देश के दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में भी बच्चों को लाभ मिल रहा है। यह जानकर खुशी होती है कि अधिकांश बच्चों की यह पहली साक्षर पीढ़ी है। मानवता की भलाई के लिए हमारे बच्चों को शिक्षित करने से बड़ा कोई निवेश नहीं है। शिक्षित बनकर गरीबी और असमानता के चक्र को तोड़ा जा सकता है। मैं अपने गांव की पहली लड़की थी जिसने उच्चतर विद्यालयी और कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की। सही मार्गदर्शन और समर्थन से अनेक बच्चे हमारे देश की विकास यात्रा में सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं। अग्रणी महिलाओं के रूप में आप सबको शिक्षा के माध्यम से अगली पीढ़ी के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
मैं, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता के बारे में भी बताना चाहूंगी। मैं चाहती हूं आप सब पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करें। हमारी धरती माता हम सभी का पालन-पोषण करती है। आइए हम ऐसे कदम उठाएं जिससे हमारी धरती मां की शोभा बढ़े।
मैं आप सबसे आशा करती हूं कि आप आगे आएं और हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की जिम्मेदारी उठाएं। मैं आप सभी से एक ऐसा सपना देखने की आशा करती हूँ जो आपकी व्यक्तिगत आकांक्षाओं से बड़ा हो – और वह सपना है अपने देश के लिए सुख का सपना, दुनिया के लिए सुख का सपना। मैं आप सबके उज्ज्वल भविष्य और सार्थक जीवन के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!