भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अंतर्राष्ट्रीय अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी मेला 2023 के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन

प्रगति मैदान, दिल्ली : 16.02.2023

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भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अंतर्राष्ट्रीय अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी मेला 2023 के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन

भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अंतर्राष्ट्रीय अभियांत्रिकी   
मुझे अंतर्राष्ट्रीय अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी मेला 2023 के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर प्रसन्नता हो रही है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आईईटीएफ़ द्विवार्षिक कार्यक्रम का रजत जयंती समारोह मना रहा है। इसने वर्ष 1975 में इसके आरंभ के पश्चात सुनहरा रास्ता तय किया है।

एक ऐसे चरण पर भारत की विनिर्माण क्षमता को प्रदर्शित करने के साथ इसकी शुरुआत हुई, जब देश विकसित देशों की औद्योगिक क्रांतियों के साथ मिलकर चलने के लिए संघर्ष कर रहा था। वह दौर शीत युद्ध का दौर था जब दुनिया दो खेमों में बंटी हुई थी। वैश्वीकरण और आर्थिक एकीकरण तो दूर की बातें थीं। ऐसे मुश्किल दौर में, आईईटीएफ की स्थापना वास्तव में एक प्रशंसनीय कदम था जिसने शुरुआत में ही अपनी गति से कार्य किया।

वास्तव में, आईईटीएफ़ की यात्रा प्रभावशाली रही है। इस वर्ष, मेले का आयोजन न केवल इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षेत्र में भारत की विकास यात्रा के पर्व के रूप में मनाया जा रहा है बल्कि यह आयोजन विश्व में सर्वश्रेष्ठ उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ देश के सहयोग का भी प्रमाण है। वास्तव में मैं, इस आयोजन को भारत के विकास के लिए विकसित प्रौद्योगिकी और नवाचार मंच के रूप में विकसित करने के लिए आईईटीएफ और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की खुले दिल से प्रशंसा करती हूं।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस कार्यक्रम में 34 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह वास्तव में और उत्साहजनक है कि 25 देशों के लगभग 400 exhibitors इस आयोजन की बड़ी सफलता के लिए उत्साहपूर्वक सहयोग कर रहे हैं।

वर्ष 1985 में, आईईटीएफ़ ने विदेशी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए भागीदार देश की अवधारणा विकसित की। इटली ने entrepreneurs और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का एक बड़ा दल भेजा और पहला भागीदार देश बना। भागीदार देश जापान ने आईईटीएफ़ आयोजनों में सर्वाधिक भाग लेने का गौरव अर्जित किया है। मुझे यह बताया गया है कि इस वर्ष फिनलैंड ने आईईटीएफ़ में दूसरी बार भागीदारी की है और भारत-फिनलैंड के कई क्षेत्रों में गहन आर्थिक संबंध होते जा रहे हैं।

देवियो और सज्जनो,

पहले आईईटीएफ़ के आयोजन के बाद 48 वर्षों में भारत ने एक लंबा सफर तय कर लिया है और इस अवधि के दौरान इंजीनियरिंग उद्योग ने नई ऊंचाई हासिल की है। आज, यह भारत के उद्योग क्षेत्र का एक मजबूत, बहु-स्तरीय, विविधता से परिपूर्ण खंड है, जो विकास को गति देने, रोजगार सृजित करने और निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

हाल के दिनों में अपनाई गई नीतियों ने अभूतपूर्व समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है। अर्थव्यवस्था के तेजी से डिजिटलीकरण और सामाजिक स्तर पर इसकी स्वीकृति से नई क्षमता सामने आई है जिसने उच्च विकास के नए पथ प्रशस्त किए हैं। यह अकारण नहीं है कि स्टार्ट-अप और यूनिकॉर्न के विकास में भारत तीसरे रैंक पर है।

आज भारत का विनिर्माण क्षेत्र विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और विकास कर रहा है। रक्षा, एयरोस्पेस जैसे अत्यधिक परिष्कृत क्षेत्रों से लेकर मोबाइल फोन के निर्माण तक, भारत सबसे पसंदीदा देश के रूप में उभर रहा है। भारत में अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ काम करने की पूरी क्षमता है। हमारा हरित विकास क्लीन एनर्जी पर आधारित है और इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जाती है। भारत, वर्ष 2070 में नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य कर रहा है। स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में तेजी से प्रगति करने के लिए हमारी पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है।

हम, इस खूबसूरत ग्रह को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने के लिए प्रकृतिप्रदत्त उपहारों के संरक्षण के प्रति समान रूप से जागरूक हैं। पवित्र गंगा नदी को साफ करने का अभियान और देश भर में जल निकायों के संरक्षण पर जोर देना इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। इसी तरह, हर घर में नल का जल पहुंचाने के सबसे बड़े अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में 11 करोड़ से अधिक घरों में नल से पानी की आपूर्ति करके अपना महत्वपूर्ण उद्देश्य हासिल कर लिया है। इस क्षेत्र में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए भारत दूसरे देशों से भी सीख रहा है। मुझे बताया गया है कि जर्मनी ने जल प्रौद्योगिकी और waste management को प्रदर्शित करने के लिए मंच स्थापित किए हैं। मैं, मानवता की सामूहिक भलाई के लिए इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सराहना करती हूं।

देवियो और सज्जनो,

इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रौद्योगिकी हमारे जीने के तरीके को जल्दी ही बदल देगी। मुझे यह बताया गया है कि इस मेले में उभरती प्रौद्योगिकियों के 11 क्षेत्र शामिल हैं जिनका हमारी अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा जैसे की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जो आने वाले समय में पूरी तरह से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने जा रहा है। इसी तरह, औद्योगिक औटोमेशन और रोबोटिक्स, विनिर्माण को इस तरह से बदल देंगे जिसकी एक दशक पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी के महत्व को कम नहीं आँका जा सकता है। पूरा विश्व कोविड-19 के बड़े संकट से अब उबर रहा रहा है। महामारी के दौरान कई तरह की तकनीकों ने अपनी उपयोगिता साबित की है। आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र पर प्राथमिकता से और ध्यान देना होगा।

जो बात मैं पहले कहती आई हूँ, यहां मैं फिर वही दोहराना चाहूंगी कि सामाजिक परिवर्तन के लिए हमें प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। एक वर्ग तक सीमित रहने वाली कोई भी तकनीक धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। दूसरी ओर, सामान्य लोगों के जीवन को सकारात्मक तरीके से बदलने वाली प्रौद्योगिकियां लोगों को जोड़ देती हैं। भारत में विश्व के सबसे बड़े डिजिटलीकरण अभियान की व्यापक रूप से स्वीकृति, लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाली तकनीकों को समाज द्वारा आसानी से अपना लेने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि इस मेले में प्रकृति और विज्ञान के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने वाली इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकियों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का ठोस प्रयास किया जा रहा है। मुझे लगता है कि मानव प्रतिभा का सर्वोत्तम उपयोग केवल वह प्रकृति का पोषण करने के लिए किया जाए। पर्यावरण के दोहन के लिए विज्ञान के उपयोग से अंततः नुकसान होगा।

यहां, मैं महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा हमारे समय के महान व्यक्ति, महात्मा गांधी की प्रशंसा का जिक्र करना चाहूंगी। उन्होंने गांधी के बारे में कहा था : "मेरा मानना ​​है कि गांधी के विचार हमारे समय के सभी राजनीतिक पुरुषों में सबसे अधिक प्रबुद्ध व्यक्ति के विचार थे। हमें उनकी भावना के अनुसार कार्य करने का प्रयास करना चाहिए: अपने लिए लड़ने में हिंसा का उपयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि किसी भी बुरे कार्य में असहयोग कर लड़ना चाहिए। (ऐसा उन्होंने कहा था) महात्मा गांधी ने दो बार नोबेल पुरस्कार विजेता मैरी क्यूरी को उच्च सम्मान दिया है और उन्हें "सच्ची तपस्विनी" (सच्ची संत) कहा है। मेरा मानना ​​है कि यदि विज्ञान की जानकारी को आध्यात्मिकता के लक्ष्य से जोड़ दिया जाए, तो यह चमत्कार कर सकती है, इसलिए अध्यात्मवाद और विज्ञान को मिलकर काम करना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

भारत अपने उत्कृष्ट विनिर्माण अनुभव, उच्च गुणवत्ता से लैस प्रतिभा और अत्याधुनिक उन्नत प्रौद्योगिकी   
उपलब्धियों का लाभ उठाते हुए अपने वैश्विक जुड़ाव का विस्तार मिशन आधार पर कर रहा है। ऐसे कई   
महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिनमे इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विश्व को भविष्य की एक समृद्ध   
और सुरक्षित जगह बनाने के लिए बदलाव लाएगा।

अंत में, मैं 25वें आईईटीएफ और सीआईआई को शुभकामनाएं देती हूं। मैं सभी प्रतिभागियों के भविष्य में तरक्की की कामना करती हूं और भारतीय उद्योग के साथ आपके निरंतर सहयोग की आशा करती हूं।

धन्यवाद।   
जय हिन्द!

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