भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 65वें एनडीसी पाठ्यक्रम के सदस्यों से मुलाकात के अवसर पर संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 07.10.2025
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आज आप सब से मिलकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मुझे बताया गया है, और मैंने प्रतिभागियों से बात करके और उनके अनुभव से भी जाना है कि इस समूह में भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारी, सिविल सेवा के अधिकारी और मित्र देशों के अधिकारी भी शामिल हैं। मैं मित्र देशों के सभी अधिकारियों का हार्दिक स्वागत करती हूँ।
32 मित्र देशों के अधिकारियों सहित उच्च अधिकारियों का यह समूह आपसी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मैं इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के संचालन के लिए भारतीय राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की सराहना करती हूँ। यह कार्यक्रम अब एक मानक शिक्षण कार्यक्रम बन चुका है। मुझे विश्वास है कि इस कार्यक्रम से सुरक्षा के राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में बेहतर समझ, पारस्परिक सहयोग और समुचित संपर्कों को बढ़ावा मिल रहा है।
मैंने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के प्रतीक चिन्ह को देखा है। इसमें महाविद्यालय का आदर्श वाक्य ,बुद्धिर्यस्य बलम् तस्य' अंकित है, जिसका अर्थ है ,बुद्धि ही शक्ति है,। विशेषकर सुरक्षा के क्षेत्र में सामरिक बुद्धि और ज्ञान से ही नेतृत्व किया जाता है। प्रतिभागियों द्वारा नीतियाँ बनाते और निर्णय लेते समय अपनी-अपनी भूमिकाओं और कार्यों के प्रति अपनाई जाने वाली रणनीतिक दूर दृष्टि में 47 सप्ताह तक चलाए गए इस व्यापक पाठ्यक्रम के परिणाम परिलक्षित होंगे।
देवियो और सज्जनो,
हमारे सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान एकजुटता और रणनीतिक दूरदर्शी क्षमता का प्रदर्शन किया। तीनों सेनाओं की संतुलित कारर्वाई के परिणामस्वरूप प्रभावी तालमेल बना। इसी तालमेल से नियंत्रण रेखा के पार और सीमा पार के क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने का सफल अभियान चलाया गया। मैं आज इस अवसर पर सशस्त्र बलों द्वारा दिखाई गई नेतृत्व क्षमता की हार्दिक प्रशंसा करती हूँ।
जैसा कि आप जानते हैं, मिलकर कार्य करने को बढ़ावा देने का कार्य सैन्य मामलों के विभाग के गठन के साथ शुरू हुआ, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ़ मुख्य सदस्य हैं। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि एकीकृत थिएटर कमांड और एकीकृत युद्ध समूहों की स्थापना के माध्यम से सेनाओं के पुनर्गठन के प्रयास चल रहे हैं।
लगातार बदल रहे भू-राजनीतिक परिवेश और सुरक्षा परिदृश्य में शीघ्रता से जवाबी कार्रवाई करनी पड़ती है। भारत के सशस्त्र बलों को ऐसा बनाया जा रहा है जो तकनीकी रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तैयार हो और बहु-क्षेत्रीय एकीकृत अभियान चला सकें।
देवियो और सज्जनो,
राष्ट्रीय हित और लक्ष्य किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा की नींव माने जाते हैं। हमारे राष्ट्रीय हितों के मूल में सार्वभौमिक मूल्य भी हैं। भारतीय परंपरा में पूरी मानवता को सदा एक परिवार के रूप में देखा जाता रहा है। इसीलिए वसुधैव कुटुम्बकम् के हमारे प्राचीन कथन के अनुसार सबके साथ मिलकर और शांति से रहना हमारी आस्था के मूल तत्व रहे हैं। किन्तु हमने मानवता और हमारे देश के लिए नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों को समाप्त करने के लिए युद्ध के लिए तैयार रहने को भी महत्व दिया है।
सदियों पहले लड़ा गया महा युद्ध पर आधारित महाकाव्य महाभारत में हमें मूल्यवान कथन मिलते हैं जिनका हम आज भी पालन करते हैं। उस युद्ध को टालने और एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने का हर संभव प्रयास किया गया था। शांति के ये प्रयास महाभारत के प्रमुख पात्र श्री कृष्ण ने किए थे जिनको हम एक दिव्य सत्ता मानते हैं। लेकिन जब युद्ध करना अपरिहार्य हो गया तब श्री कृष्ण ने सबसे महत्वपूर्ण योद्धाओं में एक अर्जुन को कहा कि सब संदेहों को त्याग दो और बहादुरी से युद्ध करो।
इस प्रकार, युद्ध और शांति के प्रति समग्र भारतीय दृष्टिकोण में शांति और अहिंसा के मूल्यों को सर्वोच्च महत्व दिया जाता है। किंतु यह दृष्टिकरण युद्ध अपरिहार्य होने की स्थिति में दृढ़ संकल्प के साथ लड़ने की भी प्रेरणा देता है। समग्र भारतीय मूल्य-परम्परा का एक रोचक साक्षात प्रतिबिंब 'गांधी स्मृति' और 'राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय' के परिसरों का आमने-सामने स्थित होना है और यह योजनागत नहीं बल्कि एक संयोग है। इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति इन दोनों संस्थानों को हमारे एकीकृत मूल्यों की याद दिलाने के लिए एक साथ ले आई हो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को शांति और अहिंसा का दूत माना जाता है। हालाँकि, उनका हमेशा यह मानना और कहना था कि अहिंसा बहादुरों का हथियार है। उन्होंने सदा अपने अनुयायियों से पूरा साहस बनने और निडर रहने की अपील की।
मुझे विश्वास है कि यह पाठ्यक्रम पूरा हो जाने के बाद प्रतिभागी विविध महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन अंतर्दृष्टि से समृद्ध होंगे। मैं आप सबको अपने-अपने क्षेत्रों में एक सफल रणनीतिक नेतृत्वकर्ता बनने के लिए शुभकामनाएं देती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!