भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 2024 बैच के भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मुलाकात के अवसर पर संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 19.08.2025

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प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियो,

राष्ट्रपति भवन में आप सबका हार्दिक स्वागत है! मैं आप सभी को भारतीय विदेश सेवा में चयनित होने पर बधाई देती हूँ। विदेश में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना सबके लिए बड़े सौभाग्य की बात होती है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस युवा भारतीय राजनयिकों के समूह में भारत के विविध क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व है और इस समूह में विदेश सेवा में बढ़ता लैंगिक संतुलन दिख रहा है। यह सेवा क्षेत्र और देश के लिए एक शुभ संकेत है।

मुझे आपके गहन प्रशिक्षण अनुभव के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी ने कार्यनीतिक विचारधारा, सांस्कृतिक जागरूकता और प्रभावी संचार विधा के कौशल सीखे हैं, जो एक राजनयिक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।

मैं आप सभी से आग्रह करना चाहूंगी कि अपनी सेवा में आरम्भ से ही, आप सबको देश की सभ्यता से मिले मूल्यों - शांति, बहुलवाद, अहिंसा और संवाद - को साथ लेकर चलना है। साथ ही, आप अपने आसपास की संस्कृति के विचारों, लोगों और दृष्टिकोणों के प्रति अपना नजरिया खुला रखें। 

आपके आसपास की दुनिया में तेज़ी से भू-राजनीतिक बदलाव, डिजिटल क्रांति, जलवायु परिवर्तन और बदलते बहुपक्षवाद से जुड़े परिवर्तन हो रहे हैं। युवा अधिकारियों के रूप में, आप सबकी सजगता और परिवर्तनशीलता हमारी सफलता का आधार बनेगी।

आप सभी 'अमृत काल' के दौरान भारतीय विदेश सेवा में आए हैं – यह ऐसा समय है जब भारत वैश्विक मंच पर एक अग्रणी शक्ति और प्रभावशाली देश के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। आज, भारत दुनिया के समक्ष प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है - चाहे वह ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच असमानता से जुड़े मुद्दे हों, सीमा पार आतंकवाद के खतरे हों, या जलवायु परिवर्तन के मुद्दे हों।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है ही, साथ ही एक निरंतर आगे बढ़ने वाली आर्थिक शक्ति भी है। आज हमारी बात को महत्व दिया जाता है ऐसे में पूरी दुनिया आप राजनयिकों की बातों, कार्यों और मूल्यों को भारत के प्रथम चेहरे के रूप में देखेगी।

प्रिय प्रशिक्षु अधिकारियों आप सबको वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को तो अपनाना है, किंतु ध्यान रखें – राष्ट्रहित सर्वोपरि है – हमारे कार्य अंततः राष्ट्रीय हित पर आधारित रहें। आपके राजनयिक प्रयास देश की घरेलू आवश्यकताओं और 2047 तक विकसित भारत बनने के उद्देश्य के अनुसार होने चाहिएं।

आप सबको हमारे 3.3 करोड़ प्रवासी भारतीयों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी भी निभानी है, जो हमारी विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपनी विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय समुदायों के साथ बातचीत से मैं उनके निवास और मातृभूमि के प्रति उनकी ऊर्जा और प्रतिबद्धता से बहुत प्रभावित हुई हूँ।

आज दुनिया उथल-पुथल के दौर से गुज़र रही है, ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप विदेश में रह रहे हमारे नागरिकों की ज़रूरतों, विशेषकर संकट के समय में, अवश्य पूरा करें। वर्ष 2015 में ऑपरेशन राहत से लेकर 2025 में ऑपरेशन सिंधु तक हमारे राजनयिकों ने किसी भी देश में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। मैं, आपसे कहना चाहूंगी हूँ कि आप इस गौरवशाली परंपरा को संवेदनशीलता और मानवीय गुणों को अपनाते हुए बनाए रखें।

अंत में, मैं आज के समय में सांस्कृतिक कूटनीति के बढ़ते महत्व का उल्लेख करना चाहूँगी। हृदय और अंतरात्मा से बने संबंध स्थाई होते हैं। चाहे वह योग, आयुर्वेद और श्रीअन्न हो, या भारत की संगीत, कलात्मक, भाषाई और आध्यात्मिक परंपराएँ हों, अधिक रचनात्मक और महत्वाकांक्षी प्रयासों से अपनी विशाल विरासत को विदेशों में प्रदर्शित और प्रचारित किया जा सकता है।

मैं समझती हूं कि आप सब जल्दी ही हमारे विदेशों में स्थित मिशनों में अपनी पहली पोस्टिंग पर जाएंगे। आप सबको अपने कार्यों में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के सिद्धांतों का अनुपालन करना है। आप स्वयं को भारत के हितों का संरक्षक ही नहीं मानें, बल्कि उसकी अंतरात्मा का राजदूत भी मानें। मैं भारतीय विदेश सेवा में आपके करियर के लिए शुभकामनाएँ देती हूँ। आप अपने देश का गौरव बढ़ाते रहें, और अपनी सेवा से देश को सम्मान दिलाएं।

धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!

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