भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में संबोधन
तिरुवरुर : 03.09.2025
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मुझे आज तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आप सबके बीच उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। तमिलनाडु अपनी प्राचीन सभ्यता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। तिरुवरुर को समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है।
मैं इस अवसर पर सभी विद्यार्थियों, विशेषकर पदक विजेता विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों और शिक्षकों को बधाई देती हूँ। विद्यार्थियों और उनके परिवारों के लिए यह एक अविस्मरणीय पल है। आज उन्होंने जो उपलब्धि हासिल की है, वह वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है और यह उनके करियर की नींव बनेगी।
तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान शिक्षक और प्रशासक, उच्च शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने और बौद्धिक जिज्ञासा एवं समालोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने वाला प्रेरक वातावरण बनाने के लिए विशेष प्रशंसा के पात्र हैं। मैं ‘विस्तार शिक्षा’ के माध्यम से समाज के व्यापक वर्ग तक शिक्षा का लाभ पहुँचाने के लिए भी आप सबकी प्रशंसा करती हूं। मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को और अधिक जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्य कर रहा है। इस विश्वविद्यालय द्वारा तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार शिक्षा का दायरा बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। यह एक बहुत अच्छी पहल है।
इसी तरह, यह विश्वविद्यालय कम्युनिटी कॉलेज और डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र जैसी पहलों के माध्यम से हाशिए पर पड़े वर्गों के व्यापक विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्तिगत विकास और सामाजिक विकास को जोड़ना होना चाहिए। प्रसिद्ध दार्शनिक और हमारे प्रतिष्ठित पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने इसे बहुत सुंदर ढंग से कहा था कि केवल साक्षर हो जाना शिक्षा या ज्ञान अर्जित कर लेना शिक्षा नहीं है; बल्कि विवेक का विकास, दूसरों के प्रति करुणा का भाव रखना शिक्षित होने की पहचान है। जब भी मुझे दीक्षांत समारोहों में शामिल होने का अवसर मिलता है, तो मैं इस बात पर ज़ोर देती हूँ कि शिक्षा का उद्देश्य समाज का हित करना होना चाहिए। इसके चलते, मैं आपसे आग्रह करूँगी कि उद्योग जगत के साथ साझेदारी से विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग व्यापक रूप से मानवता की भलाई, विशेष रूप से प्रकृति और पारिस्थितिकी को समृद्ध बनाने के लिए करें।
यह विश्वविद्यालय प्रारंभ होने के 14 वर्षों के दौरान भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करता आया है और पूरे देश की लद्दाख से लेकर लक्षद्वीप तक की प्रतिभाओं का पोषण करता आया है। इससे भी ज्यादा उत्साह की बात यह है कि इसके लगभग 3,000 विद्यार्थियों में बेटियों की संख्या अधिक है। इसके अलावा, मुझे यह देखकर विशेष रूप से प्रसन्नता हुई है कि आज दो-तिहाई से अधिक स्वर्ण पदक बेटियों ने जीते हैं। यह समाज के स्वस्थ और समावेशी विकास का संकेत हैं। भारत के अमृत कल को युवाओं द्वारा आकार दिया जाएगा, और मुझे विश्वास है कि इसमें हमारी बेटियों का योगदान बहुत बड़ा होगा।
प्यारे विद्यार्थियो,
मैं एक विद्यालय में शिक्षिका रह चुकी हूँ। जैसा कि कहा जाता है शिक्षक सदा ही, शिक्षक रहता है। इसलिए मुझे आज भी विद्यार्थियों से बातचीत करना बहुत पसंद है। मुझे आज, आप सब का उत्साह देखकर बहुत खुशी हो रही है। आप अपने जीवन के एक नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं। आप में से अनेक विद्यार्थी पढ़ाई जारी रखना चाहेंगे और कई नौकरी शुरू करने की योजना बनाएंगे। आपके मन में अपने करियर और आगे के जीवन को लेकर सपने हैं। आज के इस यादगार मौके पर, मैं आप सब के साथ कुछ बातें साझा करना चाहती हूँ जिन पर आपको विचार करना चाहिए।
जिनकी औपचारिक शिक्षा आज पूरी हो रही है, उनको भी यह स्मरण रखना ज़रूरी है कि सीखने का कार्य जीवन भर चलता रहे। उदाहरण के लिए महात्मा गांधी जीवन पर्यंत विद्यार्थी रहे उन्होंने तमिल और बांग्ला जैसी भाषाएँ, गीता जैसे धर्मग्रंथ से शिक्षाएं ग्रहण की, चप्पल बनाने और चरखा चलाने जैसे कौशल सीखे और यह सूची अंतहीन है। गांधीजी अपने अंतिम समय तक पूरे सतर्क और सक्रिय रहे। आपको आश्चर्य और जिज्ञासा का भाव जीवित रखना चाहिए। इससे निरंतर सीखने का भाव बढ़ेगा और निरंतर सीखते रहने से आपकी और आपके कौशल की मांग हमेशा बनी रहेगी।
भारत की महान और प्राचीन परंपराएँ हैं जो ज्ञान की बढोतरी करने के लिए अधिक से अधिक ज्ञान की तलाश करती रही हैं। आज के डिजिटल युग में, आपके लिए विभिन्न शिक्षण संसाधन हैं। आपके लिए हमारी समृद्ध विरासत को फिर से तलाशना किसी भी पिछली पीढ़ी की तुलना में कहीं अधिक आसान है जो देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में है; यह नीति परंपरा और आधुनिकता के सर्वोत्तम पहलुओं को जोड़ती है।
अधिक व्यावहारिक सोच रखने वालों को मैं कहना चाहूंगी कि: लगातर सीखते रहिए। पिछले कुछ दशकों में इंटरनेट क्रांति से दुनिया में बहुत परिवर्तन हुए हैं और ऐसे अनेक नए पेशे सामने आए हैं जिनकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और औद्योगिक क्रांति 4.0 से कार्य की संस्कृति में और परिवर्तन आएंगे। ऐसे बदलते माहौल में, जो लोग स्वयं को बदल लेंगे और नए कौशल सीख लेंगे वे परिवर्तन में आगे रहेंगे।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस महान देश का नागरिक होने का क्या अर्थ है। यह बड़े गर्व और आत्मविश्वास की बात है। लेकिन इससे बड़ी ज़िम्मेदारियाँ भी जुड़ी हैं। जिस समाज में आप रहते हैं उसका आपकी उपलब्धि में बड़ा योगदान है। समाज ने आपको यहाँ तक पहुँचने में मदद की है, इसलिए आपको उन लोगों की मदद करनी चाहिए जिन्हें मदद की ज़रूरत हो। ऐसे ही समाज आगे बढ़ता है और देश का विकास होता है।
आपके विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य "एक सुगढ़ चरित्र के साथ मूल्य-आधारित पारदर्शी कार्य नैतिकता का पोषण" करना है। मुझे आशा है कि इस नैतिक पहलू को आप अपने कार्यों के साथ-साथ अपने जीवन में भी अपनाएंगे। इससे आपमें वह संवेदनशीलता विकसित होगी, जो आज के समय की आवश्यकता है। आपको बेसहारा और वंचित वर्ग के प्रति विशेष संवेदना रखनी चाहिए और आपको लोगों की ज़रूरतों और अपने आस-पास के माहौल के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। आपके मज़बूत मूल्यों और चरित्र का सकारात्मक प्रभाव तो होगा ही साथ ही जीवन के हर पहलू में सफलता पाने में भी आपको मदद मिलेगी।
मैं एक बार फिर आप सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और अन्य सबको बधाई देती हूँ। मैं सभी विद्यार्थियों के करियर में सफलता और देश के सुखद भविष्य के निर्माण में भागीदार बनने के लिए मेरी शुभकामनाएँ।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!