भारतीय वायुसेना की 25 स्क्वाड्रन तथा 33 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

वायुसेना स्टेशन, सुलुर, तमिलनाडु : 18.12.2012

डाउनलोड : भाषण भारतीय वायुसेना की 25 स्क्वाड्रन तथा 33 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 222.97 किलोबाइट)

speech

श्री के रोसैय्या, तमिलनाडु के राज्यपाल, एयर चीफ मार्शल, एन.ए.के ब्राउन, वायुसेनाध्यक्ष, भारतीय वायुसेना के हवाई लड़ाको और विशिष्ट अतिथिगण।

मुझे आज भारतीय वायुसेना की 25 स्क्वाड्रन तथा 33 स्क्वाड्रन को ध्वज प्रदान करने के लिए यहां सुलुर में आकर बहुत खुशी हो रही है। इन दोनों उड़ान यूनिटों की वीरता और साहस की एक शानदार परंपरा रही है और इन्होंने अपने गठन के समय से ही देश को विशिष्ट सेवा प्रदान की है। इसके पूर्व तथा वर्तमान सैनिकों ने उत्कृष्टता की दिशा में ऐसे उच्चतम मानदंड स्थापित किए है जिनका दूसरों द्वारा अनुकरण किया जाना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों के समक्ष उनके नि:स्वार्थ समर्पण, पेशेवर दक्षता तथा साहस के लिए देश उन्हें आज सम्मानित कर रहा है।

भारतीय वायुसेना ने देश की रक्षा करते हुए बहुत से सम्मान प्राप्त किए हैं। 80 वर्ष से पूर्व, आज़ादी से पहले अपनी स्थापना के बाद भारतीय वायुसेना आज विश्व की सबसे ताकतवर और पेशेवर सेना बन गई है जो कि हमारे देश की अखंडता के लिए किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने में सक्षम है।

भारतीय वायुसेना की संक्रियात्मक क्षमता देश की सैन्य क्षमता का अत्यंत महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। हमारी आजादी के बाद से भारतीय वायुसेना, देश की संप्रभुता की रक्षा करने के साथ-साथ सदैव देश के अंदर तथा बाहर किसी भी प्रकार की आपदा के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए हाजिर रही है। मुझे याद है कि वर्ष 2005 में वायुसेना ने उस समय अमरीका तक राहत सामग्री पहुंचाई थी जब कैटरीना ने न्यू आर्लिन्स को तहस-नहस कर दिया। वर्ष 2008 के दौरान भारतीय वायुसेना ने चीन में सिचुआन के दक्षिण पश्चिम हिस्से के भूकंप ग्रस्त हिस्से में राहत सामग्री पहुंचाई थी।

भारत शांति का पक्षधर है तथा इसकी विदेश नीति इसी उद्देश्य की प्राप्ति पर केंद्रित है। इसलिए कारगर निवारक हमारी रक्षा नीति का आधार है। पंरतु कारगर निवारक के लिए ऐसी सेना का रख-रखाव जरूरी है जिसका हमारे देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए कभी भी आह्वान किया जा सके। हमारी सशस्त्र सेना, जिसके महिला और पुरुष सैनिक यहां हमारे सामने खड़े हैं, इसी क्षमता का प्रतीक है।

हमारे हवाई लड़ाकों का साहस और दृढ़ निश्चय देश के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने इसे भारत में तथा विदेशों में बहु-देशीय अभ्यासों के दौरान अपने प्रदर्शन से अर्जित किया है। कुछ अत्यंत विकसित देशों की वायुसेनाएं भी हमारे महिला एवं पुरुष सैनिकों की तकनीकी और युद्धनीतिक क्षमता पर दंग रह गए हैं। यह अनुशासित तथा कठोर प्रशिक्षण से ही प्राप्त हुआ है। हमारे हवाई लड़ाकों का संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी चयन किया गया है। यह आपकी क्षमता, अनुशासन तथा उत्कृष्टता की प्रतीक है।

25 स्क्वाड्रन, ‘द हिमालयन ईगल्स’ पिछले पाँच दशकों से शांति और युद्ध के समय, उत्तरी सीमाओं में सशस्त्र बलों, कार्मिकों तथा नागरिकों की जीवन रेखा बनी रही है। जम्मू-कश्मीर तथा पूरे उत्तरी क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के अलावा यह सुरक्षा तथा राहत पहुंचाने के लिए एक आधारस्तंभ का कार्य करती रही है।

वर्ष 1965 और 1971 के युद्ध तथा कारगिल ऑपरेशन के दौरान, 25 स्क्वाड्रन के विमान ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में भी सैनिकों के लिए बहुत जरूरी सामग्री पहुंचाई तथा कई महत्त्वपूर्ण ऑपरेशन पूरे किए। इस स्क्वाड्रन ने भुज के भूकंप तथा सुनामी राहत कार्यों सहित, लगभग सभी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नागरिकों को त्वरित राहत प्रदान की। 25 स्क्वाड्रन द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में जो प्रदर्शन किया गया है वहा इस स्क्वाड्रन के कर्मियों द्वारा प्राप्त उच्च पेशेवर दक्षता का परिणाम है। इस प्रकार यह यूनिट अपने ध्येय वाक्य ‘सत्वधिना ही सिद्धय’ अथवा ‘परिणाम से उत्कृष्टता’ पर खरी उतरी है।

33 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना का प्रमुख परिवहन स्क्वाड्रन है। इस स्क्वाड्रन ने वर्ष 1965 और 1971 के दोनों ही युद्धों में भाग लिया। स्क्वाड्रन ने वर्ष 1989 में श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के आपरेशनों में भी बड़ी भूमिका निभाई। जब सुनामी हमारे तटीय क्षेत्रों से टकराई तो 33 स्क्वाड्रन के कार्मिकों ने, बड़े पैमाने पर राहत ऑपरेशनों के लिए उड़ान भरी और स्थानीय जनता के लिए बहुत जरूरी राहत प्रदान की।

यह स्क्वाड्रन हमारे द्वीपीय क्षेत्रों के लिए भी हवाई पुल का कार्य कर रहा है। यह स्क्वाड्रन भी अपने ध्येय वाक्य ‘श्रमो ददाति सिद्धिम्’ अर्थात् ‘कठोर परिश्रम से ही उपलब्धि मिलती है’ पर खरा उतरा है। मुझे विश्वास है कि यह स्क्वाड्रन आने वाले वर्षों में और अधिक गौरव प्राप्त करेगा।

दोनों स्क्वाड्रनों के हवाई लड़ाकों की शानदार परेड को देखकर बहुत प्रसन्नता हुई। आप सभी को मेरी बहुत-बहुत बधाई।

मैं, उनकी वर्षों की शानदार उपलब्धियों की मान्यता तथा सम्मान में 25 स्क्वाड्रन तथा 33 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करता हूं। मैं, इस अवसर पर इन दोनों स्क्वाड्रनों के पूर्व तथा वर्तमान कार्मिकों और उनके परिवारों को उनके सतत् बलिदान तथा देश की सेवा के लिए बधाई देता हूं। देश को आप पर गर्व है। मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।

जय हिंद! 

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.