संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने राष्ट्रपति जी से भेंट की
राष्ट्रपति भवन : 13.01.2015

महामहिम, श्री बान कि मून, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आज (13 जनवरी 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

संयुक्त राष्ट्र महासिचव का भारत में स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की अपनी विश्वसनीयता तथा उसके निर्णयों की वैधता के लिए इसमें सुधार की तात्कालिक आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र को सभी परिस्थितियों में कारगर भूमिका निभानी चाहिए। एक सुधारयुक्त तथा कारगर संयुक्त राष्ट्र विश्व के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का अधिक निर्णायक ढंग से समाधान करने में सफल हो पाएगा। संयुक्त राष्ट्र को आज की भौगोलिक-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह सही है कि सुधारों के विषय में मत वैभिन्य है। परंतु संयुक्त राष्ट्र को इन विभिन्नताओं को दूर करने तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बड़े तबके के लिए स्वीकार्य समाधान ढूंढने के लिए बनाया गया है। संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को कम से कम इसके 70वें वर्ष में तो शुरू किया जाना चाहिए। भारत को संयुक्त राष्ट्र में तात्कालिक सुधार के लिए विचार-विमर्श के संचालन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के नेतृत्व एवं मनाने के कौशल पर उम्मीद तथा भरोसा है।

हाल ही में पेशावर और पेरिस में हुई आतंकवादी घटनाओं की ओर ध्यान बटाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद अब केवल चर्चा का मुद्दा नहीं रह गया है। आतंकवादी निर्दयतापूर्ण विध्वंस करते हैं तथा वे सीमाओं अथवा मूल्यों के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मुखर होते हुए आतंकवाद की समस्या से निपटना होगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव को इस संबंध में पहल करनी होगी।

राष्ट्रपति जी ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कतिपय सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को तथा एक व्यापक उत्तर-2015 विकास एजेंडे का अंतिम रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापन तथा जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के समाधान के लिए गंभीर राष्ट्रीय कार्रवाई तथा वास्तविक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। विकास की भारी चुनौतियों के बावजूद भारत महत्वाकांक्षी जलवायु संबंधी पहलें शुरू कर रहा है। जिसमें अपने आर्थिक वृद्धि में ऊर्जा सघनता में कमी लाना, सभी सेक्टरों में ऊर्जा दक्षता में वृद्धि तथा नवीकरणीय ऊर्जा का अधिक प्रयोग करना शामिल है।

यह उल्लेख करते हुए कि भारत 1945 में, अपनी आजादी से पहले ही संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन चुका था, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों ने संयुक्त राष्ट्र के 16में से 10 शांतिरक्षा मिशनों में 8000 से अधिक सैनिकों और पुलिसकर्मियों के साथ भाग लिया है। भारत, संयुक्त राष्ट्र घोषणपत्र तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के समर्थन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है।

राष्ट्रपति का प्रत्युत्तर देते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि भारत अत्यंत महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति है। इसलिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र तथा भारत के बीच अधिक प्रगाढ़ साझीदारी बनाने के लिए इस देश की लगातार यात्राएं की हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। पेरिस की घटना के बाद विश्व ने भारी एकजुटता का प्रदर्शन किया है, परंतु प्रतिबद्धतापूर्ण कार्रवाई और भी महत्वपूर्ण है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने शांतिरक्षा कार्रवाइयों में भारत के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत अमरीका के बाद लोकतंत्र के फंड में दान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा दानदाता है। उन्होंने लोकतांत्रिक सशक्तीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों के लिए भारत को बधाई दी तथा इस बात की सराहना की कि मंत्रिमंडल में 25 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र में सुधार तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नेतृत्व निभाने की इच्छा के प्रति भारत सहित बहुत से देशों की आकांक्षाओं से अवगत हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को कारगर,प्रतिनिधित्वपूर्ण लोकतांत्रिक तथा पारदर्शी बनना होगा।

यह विज्ञप्ति 15:00 बजे जारी की गई

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