राष्ट्रपति भवन : 28.03.2015
नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा आयोजित सातवें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम में भाग ले रहे युवा प्रतिभागियों के एक समूह ने आज (28 मार्च, 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने सातवें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के प्रतिभागियों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाजों से बहुत कुछ सीखना होगा। जनजातीय समुदायों में लैंगिक व्यवहार और संबंध तथा उनके समाजों में जनजातीय महिलाओं को प्रदत्त सम्मान और आदर हमारे लिए महत्वपूर्ण सीख है। हमें उस तरीके से भी सीख लेनी चाहिए जिसके द्वारा जनजातीय समाजों ने प्रकृति के संग अपने संपर्क को कायम,संरक्षित और विकसित किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय कल्याण की अवधारणा आर्थिक प्रगति के जरिए जनजातीय समुदायों का विकास करना ही नहीं है बल्कि यह समग्र रहन-सहन को प्रोत्साहित करने वाली एक व्यापक जीवनशैली संबंधी संकल्पना है। पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा आरंभ की गई जनजातीय कल्याण का दर्शन उनकी समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सहित मानव विकास था। जनजातीय उत्थान की कोई भी नीति तैयार करने की चुनौती आज भी कायम है क्योंकि मुख्यधारा की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आय अर्जन अवसरों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करते हुए, उनकी विशिष्ट संस्कृति युक्त जनजातीय पहचान के संरक्षण और मूल्यों के बीच उचित संतुलन बनाए रखना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के तिहत्तरवें संशोधन ने निर्णयकरण और स्वशासन में जनजातीय गांवों और टोलों की ग्राम सभा को विशेष शक्तियां प्रदान की। इससे जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा तथा कल्याण वृद्धि में तेजी आई है। समय के इस मोड़ पर, जब देश एकताबद्ध होकर आगे बढ़ रहा है तो यह पूर्णत: आवश्यक है कि हम समावेशी और समतामूलक विकास में समाज के सभी वर्गों की लाभप्राप्ति में भागीदारी सुनिश्चित करें। सरकार ने जनजातीय आबादी के विकास के अनेक उपाय किए हैं। इसने जनजातियों को आबादी की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए तीव्र शैक्षिक विकास पर बल दिया है। इसने जनजातियों की बेहतर शैक्षिक उपलब्धि के लिए बुनियादी सुविधाओं तथा छात्रवृत्तियां,नि:शुल्क भोजन और रहने की व्यवस्था, कपड़े,पुस्तकें और लेखन सामग्री के नि:शुल्क वितरण जैसे अन्य प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए यथेष्ट संसाधन आवंटित किए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा और क्षमता विकास जनजातीय युवाओं के लिए अवसरों के द्वार खोल सकते हैं। जनजातीय समाजों के शिक्षित युवा प्रगति का सूत्रपात कर सकते हैं तथा विकास के अंतर को पाट सकते हैं। उन्होंने उनसे एक युवा और पुनरुत्थानशील भारत का पथप्रदर्शन बनने के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमारे सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए उन्हें शेष देश के युवाओं के साथ एकजुट होना चाहिए। उन्हें पूरे मन से राष्ट्रीय गतिविधियों के साथ जुड़ जाना चाहिए। वे आपराधिकता, निर्धनता, अभाव, पिछड़ेपन, घरेलू हिंसा,जातीय भेदभाव, लैंगिक भेदभाव और शोषण के विरुद्ध लड़ाई में एक प्रबल शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें मूक लोगों की आवाज तथा कमजोरों की ताकत भी बनना चाहिए। उन्होंने जरूरतमंद और वंचितों के संघर्ष को अपना संघर्ष बनाने का उनसे आग्रह किया।
यह विज्ञप्ति 14:00 बजे जारी की गई।