राष्ट्रपति भवन : 08.03.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (07मार्च, 2015) समावेशी नवान्वेषण पर एक वैश्विक गोलमेज बैठक को संबोधित किया। यह बैठक राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए जा रहे सप्ताह भर के नवान्वेषण समारोह के तहत की गई।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में जमीनी नवान्वेषण की दीर्घ परंपरा रही है। इस देश के जनसाधारण ने समय-समय पर अपनी दिन-प्रतिदिन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए नए समाधानों को अपनाया है। बुनियादी अस्तित्व से लेकर विकास में तेजी लाने वाले नवान्वेषणों की खोज को प्रभावित करने के लिए बहुत सारे प्रेरक रहे हैं। हमारे समाज के विभिन्न क्षेत्रों के अनेक वर्गों तथा विविध स्तरों की नवान्वेषी क्षमता का फायदा उठाने के लिए एक श्रेष्ठ माहौल की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक समावेशी माहौल तैयार करने के लिए एक ओर,जमीनी नवान्वेषकों के बीच तथा दूसरी ओर शैक्षिक संस्थाओं और बाजार की शक्तियों के बीच संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता है। ऐसे नेटवर्क के निर्माण में सफल रहने वाले देश नवान्वेषण में अग्रणी बन गए हैं। हमारी युवा शक्ति को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जाना होगा। युवा शक्ति को जनसाधारण की अपूर्ण आवश्यकताओं का पता लगाने तथा नवान्वेषण के अनुसंधान,प्रसार तथा उनका आनंद उठाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और विदेश की कंपनियों और कॉलेजों के साथ साझीदारी करने से हमारे बुनियादी नवान्वेषक एक अलग किस्म के वैश्वीकरण को प्रेरित करेंगे। बुनियादी ज्ञान और रचनात्मकता पर आधारित उत्पाद और सेवाएं वहनीय,सुगम्य और जिम्मेदार तरीके से विश्व बाजार में पहुंचेंगी।
राष्ट्रपति ने बैठक के सभी प्रतिभागियों से भारतीय विकास गाथा में भाग लेने का आग्रह किया,जो अन्य देशों और समुदायों को मितव्ययी और सतत मार्ग दिखाएगी। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में,भारतीय नवान्वेषण और विकास न केवल भारत बल्कि शेष विश्व को भी लाभ पहुंचाएगा। समावेशी नवान्वेषण तथा वहनीयता,सुगम्यता, स्वीकार्यता और उपलब्धता के सम्मिश्रण के माध्यम से विकसित उत्कृष्ट वस्तुओं और सेवाओं में वैश्विक परिदृश्य को बदलने की क्षमता होगी।
यह विज्ञप्ति 12:55 बजे जारी की गई।